यशायाह का दर्शन ईश्वर की महिमा और विजय (Note: The title is within the 100-character limit, symbols and quotes are removed, and it captures the essence of the story.)
**ईश्वर की महिमा और उसकी विजय**
(यशायाह 25 पर आधारित एक विस्तृत कहानी)
प्राचीन काल में, जब यहूदा के लोग अनेक संकटों से घिरे हुए थे, तब भविष्यद्वक्ता यशायाह ने उन्हें ईश्वर का एक अद्भुत दर्शन सुनाया। यह दर्शन न केवल उनके वर्तमान कष्टों से मुक्ति की आशा देता था, बल्कि एक महान भविष्य की झलक भी दिखाता था।
### **ईश्वर की स्तुति**
यशायाह ने लोगों से कहा, “हे प्रभु, तू ही मेरा ईश्वर है! मैं तेरा नाम लेकर तेरी स्तुति करूँगा, क्योंकि तूने अद्भुत कार्य किए हैं। तेरी योजनाएँ प्राचीन काल से ही दृढ़ हैं, और तू सच्चाई के साथ कार्य करता है।”
लोगों ने सुना कि कैसे यशायाह ने ईश्वर की महानता का वर्णन किया—कैसे उसने अहंकारी नगरों को धूल में मिला दिया, कैसे उसने दुष्टों के गढ़ों को ढहा दिया, जिससे वे कभी फिर न बस सकें। “वे नगर जो सदैव के लिए खंडहर बन गए,” यशायाह ने कहा, “परन्तु हमारा ईश्वर सदैव अटल रहेगा।”
### **दीन-दुखियों का सहारा**
फिर यशायाह ने एक मधुर वचन सुनाया: “तू दरिद्रों के लिए संकट के समय दुर्ग बना, तू विपत्ति में निर्धन की शरणस्थली है।” उसने बताया कि कैसे ईश्वर उन लोगों की रक्षा करता है जो उस पर भरोसा रखते हैं। जब शत्रु उन पर आक्रमण करते हैं, तो ईश्वर उनकी सुरक्षा के लिए एक मजबूत दीवार बन जाता है।
“जैसे तेज धूप में छाया प्यासे को शीतलता देती है,” यशायाह ने कहा, “वैसे ही ईश्वर उन लोगों को शांति देता है जो उसकी शरण लेते हैं।”
### **मृत्यु पर विजय**
तब यशायाह ने एक अद्भुत भविष्यवाणी की: “प्रभु सब देशों के लोगों के लिए इस पहाड़ पर एक भोज तैयार करेगा—उत्तम भोजन और पुरानी मदिरा से भरपूर।” यह भोज उसकी उदारता और प्रेम का प्रतीक था।
परन्तु सबसे महत्वपूर्ण बात यह थी कि यशायाह ने घोषणा की: “वह मृत्यु के आवरण को सदा के लिए नष्ट कर देगा। वह सब आँसू पोंछ देगा, और अपने लोगों की निराशा को दूर करेगा।”
लोग आश्चर्यचकित हो गए। क्या सच में मृत्यु पर विजय होगी? क्या सच में ईश्वर उनके दुखों का अंत कर देगा? यशायाह ने दृढ़ता से कहा, “हाँ, प्रभु यही कहेगा: ‘देख, यह हमारा ईश्वर है! हम उसकी प्रतीक्षा करते रहे, और वह हमें बचाएगा। यह वही प्रभु है जिस पर हमने भरोसा किया। आओ, हम उसके उद्धार में आनन्दित हों!'”
### **न्याय और आनन्द**
अंत में, यशायाह ने बताया कि कैसे ईश्वर सभी अन्यायों को दूर करेगा। “प्रभु मूआब के अहंकार को दबा देगा,” उसने कहा, “जैसे कोई तिनके को पानी में दबा देता है। वह दुष्टों के गर्व को नष्ट कर देगा, और धर्मी लोगों को विजय दिलाएगा।”
इस प्रकार, यशायाह के वचनों ने लोगों के हृदय में नई आशा भर दी। वे जान गए कि चाहे वर्तमान में कितने भी संकट क्यों न हों, ईश्वर उन्हें अंततः विजय दिलाएगा। वह दिन आएगा जब सभी आँसू पोंछ दिए जाएँगे, सभी शोक समाप्त हो जाएँगे, और ईश्वर की महिमा सभी देशों में प्रकट होगी।
**समाप्त।**