**रानी वशती की कहानी: एस्तेर अध्याय 1**
समय पर्सिया के महान साम्राज्य का था, जहाँ राजा अहश्वेरोश (जिसे कुछ लोग ख़्शयार्शा भी कहते थे) शासन करता था। उसका राज्य हिंदुस्तान से लेकर कूश तक फैला हुआ था, और उसकी शक्ति एवं वैभव अद्वितीय था। राजा ने अपनी राजधानी शूशन नगर को सजाया-संवारा था, जहाँ उसका भव्य राजमहल सोने, चाँदी और कीमती पत्थरों से सुशोभित था।
एक बार, राजा अहश्वेरोश ने अपने सभी प्रधानों, सेनापतियों और विभिन्न प्रांतों के अधिकारियों के लिए एक विशाल भोज का आयोजन किया। यह उत्सव छह महीने तक चला, जिसमें राजा ने अपनी अमूल्य संपत्ति और अपार वैभव का प्रदर्शन किया। इसके बाद, उसने राजधानी शूशन के सभी निवासियों के लिए सात दिनों का एक और भव्य भोज रखा। राजमहल के बगीचों में सफेद, नीले और बैंगनी रंग के पर्दे लटकाए गए थे, जो सुनहरे और चाँदी के खंभों से बँधे हुए थे। मखमली गद्दियों पर बैठकर अतिथि राजा के मनपसंद शराब का आनंद ले रहे थे, जो सोने के प्यालों में परोसी जाती थी। हर प्याला अलग-अलग डिज़ाइन का था, और पीने की कोई मर्यादा नहीं थी।
इसी दौरान, रानी वशती ने भी महिलाओं के लिए एक अलग भोज का आयोजन किया था, जो राजा के महल के दूसरे हिस्से में चल रहा था। रानी वशती अत्यंत सुंदर थी, और उसका रूप-रंग राजा के गौरव को और बढ़ाता था।
भोज के सातवें दिन, जब राजा का मन शराब के नशे में उल्लास से भर गया, तो उसने अपने सात विशेष सेवकों—महूमान, बिज़था, हरबोना, बिगथा, अबगथा, जेथर और कर्कस—को आदेश दिया कि वे रानी वशती को उसके सामने ले आएँ। राजा चाहता था कि वशती अपने मुकुट के साथ सभी अतिथियों के सामने आए, ताकि वे उसकी सुंदरता को देख सकें, क्योंकि वह बहुत खूबसूरत थी।
लेकिन जब राजा का आदेश रानी वशती तक पहुँचा, तो उसने इनकार कर दिया। वह राजा के सामने आने से मना कर दी। यह सुनकर राजा क्रोध से भर गया, और उसका गुस्सा भड़क उठा। उस समय, राजा के आसपास बैठे उसके सलाहकारों और विद्वानों ने देखा कि यह केवल एक व्यक्तिगत मामला नहीं था, बल्कि इसका प्रभाव पूरे साम्राज्य पर पड़ सकता था।
ममूकान नामक एक बुद्धिमान सलाहकार ने राजा से कहा, “महाराज, रानी वशती ने न केवल आपके विरुद्ध अपराध किया है, बल्कि सभी प्रांतों के प्रधानों और सभी लोगों के सामने अनुचित उदाहरण प्रस्तुत किया है। अगर यह बात फैल गई, तो सभी स्त्रियाँ अपने पतियों का आदर करना छोड़ देंगी और कहेंगी कि राजा अहश्वेरोश ने रानी वशती को बुलाया, पर वह नहीं आई। आज ही राजकुमारों और प्रधानों के सामने एक राजाज्ञा जारी की जाए कि वशती फिर कभी राजा के सामने न आए, और उसका रानी का पद किसी दूसरी योग्य स्त्री को दे दिया जाए। जब यह आदेश आपके विशाल साम्राज्य में सुनाई जाएगी, तो सभी स्त्रियाँ अपने-अपने पतियों का सम्मान करेंगी, चाहे वे धनी हों या निर्धन।”
यह सुझाव राजा और उसके सभी सलाहकारों को पसंद आया। अतः राजा ने ममूकान के शब्दों के अनुसार पत्र लिखवाए और उन्हें साम्राज्य के हर प्रांत में भेज दिया, जो उनकी अपनी-अपनी भाषा और लिपि में लिखे गए थे। पत्र में यह घोषणा की गई कि हर पुरुष अपने घर का मालिक है, और स्त्रियाँ उनकी आज्ञा का पालन करें।
इस प्रकार, रानी वशती को उसके पद से हटा दिया गया, और राजा ने एक नई रानी के चुनाव की तैयारी शुरू कर दी। यह घटना भविष्य में होने वाली महान घटनाओं का आधार बनी, जहाँ परमेश्वर ने अपनी योजना को पूरा करने के लिए एक साधारण यहूदी लड़की, एस्तेर, को उठाया।
इस कहानी से हम सीखते हैं कि परमेश्वर मनुष्यों के कार्यों के पीछे भी अपनी इच्छा को पूरा करता है, और वह अपने लोगों की रक्षा के लिए हर परिस्थिति में कार्य करता है।