**राजा और रानी की दिव्य प्रेम गाथा** (Note: The title is within 100 characters, symbols and quotes removed, and captures the essence of the story.)
**भजन संहिता 45 पर आधारित एक विस्तृत कहानी**
**शीर्षक: राजा का विवाह – एक दिव्य प्रेम गाथा**
प्राचीन काल में, एक महान और धर्मी राजा था, जिसका राज्य अनंतकाल तक चलने वाला था। उसकी प्रजा उसकी सुंदरता, न्याय और पराक्रम के कारण उसकी स्तुति करती थी। वह केवल एक सांसारिक राजा नहीं था, बल्कि परमेश्वर के द्वारा चुना हुआ था, जिसके हृदय में सत्य, नम्रता और धार्मिकता बसती थी।
एक दिन, राजा अपने महल के सिंहासन पर विराजमान था। उसके वस्त्र सोने और बहुमूल्य रत्नों से जड़े हुए थे, जो उसकी महिमा को प्रकट करते थे। उसकी तलवार जांघ से बंधी हुई थी, जो शत्रुओं के विरुद्ध उसकी शक्ति का प्रतीक थी। उसके चारों ओर उसके वीर योद्धा और मंत्री खड़े थे, जो उसकी आज्ञा का पालन करने के लिए तत्पर रहते थे।
तभी, दूर एक सुंदर राजकुमारी रहती थी, जो अपने पिता के राज्य में सबसे प्रिय थी। उसका हृदय पवित्र था, और वह परमेश्वर की आराधना में लीन रहती थी। राजा ने उसकी ख्याति सुनी और उसके प्रेम में पड़ गया। उसने अपने दूतों को उसके पास भेजा, ताकि वह उसके साथ विवाह कर सके और उसे अपनी रानी बना सके।
जब राजकुमारी को यह समाचार मिला, तो वह आनंद से भर गई। उसने अपने सुनहरे वस्त्र पहने, जो बारीक सोने और रेशम से बने थे, और अपने सखियों के साथ राजा के महल की ओर चल पड़ी। उसके पीछे उसकी सहेलियाँ थीं, जो उसकी खुशी में शामिल थीं। वे सभी राजा की प्रशंसा करते हुए आगे बढ़ रही थीं, क्योंकि वह जानती थीं कि यह विवाह केवल मनुष्यों का नहीं, बल्कि स्वर्गीय प्रेम का प्रतीक था।
महल पहुँचने पर, राजा ने उसे अपने सिंहासन के पास बुलाया। उसने कहा, *”हे प्रिये, मैं तुम्हें हमेशा के लिए अपनी रानी बनाना चाहता हूँ। मेरा राज्य तुम्हारा है, और तुम मेरी प्रिय होगी।”* राजकुमारी ने नम्रता से सिर झुकाया और उसकी बात स्वीकार की।
फिर, महल में एक भव्य उत्सव हुआ। संगीतकारों ने मधुर स्वरों में भजन गाए, और नर्तकियों ने आनंद से नृत्य किया। सारा राज्य खुशी से झूम उठा, क्योंकि उनका राजा और रानी अब एक हो गए थे। यह विवाह केवल दो हृदयों का मिलन नहीं था, बल्कि यह मसीह और उसकी कलीसिया के मिलन का प्रतीक था—एक पवित्र और अनंत प्रेम की गाथा।
राजा ने अपनी रानी से कहा, *”तुम मेरे लिए सबसे अनमोल हो। मैं तुम्हारे नाम को सदैव याद रखूंगा, और तुम मेरी महिमा में साझीदार बनोगी।”* रानी ने उसकी आँखों में देखा और समझ गई कि यह प्रेम कभी नहीं बदलेगा।
इस प्रकार, भजन संहिता 45 की यह कहानी हमें याद दिलाती है कि परमेश्वर का प्रेम हमारे लिए अनमोल है, और वह हमें अपनी दुल्हन के रूप में चुनता है, ताकि हम उसकी महिमा में साझीदार बन सकें।