पवित्र बाइबल

बुद्धिमानी की राह पर रहूबेन की सीख

**कहानी: बुद्धिमान की राह (नीतिवचन 23 पर आधारित)**

एक समय की बात है, यरूशलेम के पास एक छोटे से गाँव में एक बुद्धिमान बूढ़ा रहता था, जिसका नाम एलीशाफ़ था। वह नीतिवचनों की शिक्षा देता था और लोगों को परमेश्वर के मार्ग पर चलने की सलाह देता था। एक दिन, उसके पास एक जवान आदमी आया, जिसका नाम रहूबेन था। रहूबेन धनवान था, लेकिन उसका मन लालच और भोग-विलास में डूबा हुआ था।

एलीशाफ़ ने उसे देखकर प्यार से कहा, “बेटे, तू जब किसी शासक के साथ भोजन करने बैठे, तो अपने मन में सावधान रह। यदि तू लोभी है, तो अपने गले में छुरी रख ले। उसके स्वादिष्ट भोजन का लालच मत कर, क्योंकि वह छल का भोजन है।” (नीतिवचन 23:1-3)

रहूबेन हँसा और बोला, “मैं तो धनी हूँ, मुझे किसी की दया की ज़रूरत नहीं। मैं जो चाहूँ, खा सकता हूँ और जो चाहूँ, पी सकता हूँ!”

एलीशाफ़ ने उसकी ओर दया भरी नज़रों से देखा और कहा, “बेटे, धन एक दिन उड़ जाता है, जैसे उड़ते हुए गरुड़ की ओर देखते-देखते वह दूर आकाश में लुप्त हो जाता है। परमेश्वर की बुद्धि ही सच्चा धन है।” (नीतिवचन 23:4-5)

लेकिन रहूबेन ने उसकी बात नहीं मानी। वह मौज-मस्ती में डूब गया और अपनी संपत्ति को व्यर्थ में उड़ाने लगा। एक दिन, वह एक भव्य भोज में शामिल हुआ, जहाँ शराब की नदियाँ बह रही थीं। वहाँ उसने बहुत पीया और मदहोश हो गया। एलीशाफ़ की चेतावनी उसके कानों में गूँजी, “शराब की ओर मत देख, वह लाल होती है, प्याले में चमकती है और सुगमता से उतरती है, पर अंत में वह साँप की तरह डसती है।” (नीतिवचन 23:31-32)

लेकिन रहूबेन ने कुछ नहीं सुना। अगले दिन, जब वह होश में आया, तो पाया कि उसने अपने धन का बड़ा हिस्सा जुए में हार दिया है। वह दुखी होकर एलीशाफ़ के पास पहुँचा और रोते हुए बोला, “मैंने तुम्हारी बात नहीं मानी और अब मैं नष्ट हो गया हूँ!”

एलीशाफ़ ने उसे गले लगाया और कहा, “बेटे, परमेश्वर हमेशा तुझे माफ़ करने को तैयार है। सत्य की राह पर लौट आ। अपने पिता की शिक्षा को मान, और अपनी माता की शिक्षा को न त्याग।” (नीतिवचन 23:22)

रहूबेन ने पश्चाताप किया और परमेश्वर की शरण में आया। धीरे-धीरे, उसने अपनी गलतियों को सुधारा और बुद्धिमानी से जीवन जीने लगा। उसने सीखा कि सच्चा धन परमेश्वर की आज्ञाकारिता में है।

**सीख:** इस कहानी से हमें यह शिक्षा मिलती है कि लालच और भोग-विलास हमें बर्बाद कर सकते हैं, लेकिन परमेश्वर की बुद्धि हमें सुरक्षित रखती है। जैसे नीतिवचन 23:12 कहता है, “अपने मन को शिक्षा की ओर लगा, और अपने कानों को ज्ञान की बातों की ओर।”

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