**यशायाह 15: मोआब का विनाश**
प्राचीन काल में मोआब नामक एक समृद्ध देश था, जो यरदन नदी के पूर्व में स्थित था। यह देश अपनी उर्वरा भूमि, हरे-भरे मैदानों और सुंदर नगरों के लिए प्रसिद्ध था। मोआब के लोग अक्सर अपनी शक्ति और धन पर गर्व करते थे, परन्तु वे परमेश्वर की उपेक्षा करते थे और मूर्तिपूजा में लिप्त थे। उनके नगरों में किर्यत और नबो जैसे स्थान विशेष रूप से प्रसिद्ध थे, जहाँ उनके देवताओं के मंदिर विद्यमान थे।
एक दिन, यशायाह नबी को परमेश्वर का वचन प्राप्त हुआ। परमेश्वर ने उन्हें मोआब के विषय में एक दुःखद भविष्यवाणी सुनाई। यशायाह ने देखा कि मोआब पर एक भयानक विपत्ति आने वाली है। रातों-रात उसके प्रमुख नगर नष्ट हो जाएँगे, और उसकी समृद्धि धूल में मिल जाएगी।
यशायाह ने विस्तार से वर्णन किया कि कैसे मोआब के लोग विलाप करेंगे। किर्यत और नबो के निवासी अपने सिर मुँडवाकर और दाढ़ियाँ कटवाकर शोक मनाएँगे। वे अपने घरों की छतों पर और सड़कों पर चिल्लाते हुए रोएँगे, क्योंकि उनकी धरती उजड़ जाएगी। उनके खेत अनाज से रहित होंगे, और उनके दाख की बारियाँ सूख जाएँगी।
मोआब के योद्धा भीषण दुःख में होंगे। उनके हृदय काँप उठेंगे, जैसे कोई सिंहनी अपने बच्चों को खो देने पर छटपटाती है। दीबोन के कुएँ, जो कभी स्वच्छ जल से भरे रहते थे, अब लहू से लाल हो जाएँगे, क्योंकि वहाँ असंख्य लोग मारे गए होंगे। मोआब के लोग भागकर एदोम और यहूदा की ओर शरण लेने की कोशिश करेंगे, परन्तु उन्हें कहीं भी सुरक्षा नहीं मिलेगी।
यशायाह ने यह भी बताया कि यह सब इसलिए होगा क्योंकि मोआब ने अपने अहंकार और पापों के कारण परमेश्वर के क्रोध को भड़काया है। उन्होंने दीन-हीनों का शोषण किया, अन्याय फैलाया और झूठे देवताओं की पूजा की। परमेश्वर न्यायी है, और वह अंततः पाप का दण्ड अवश्य देता है।
फिर भी, यशायाह की भविष्यवाणी में एक आशा की किरण भी थी। उन्होंने कहा कि भले ही मोआब का विनाश निश्चित है, परन्तु परमेश्वर दयालु भी है। हो सकता है कि भविष्य में, जब मोआब के लोग अपने पापों से पश्चाताप करें, तो परमेश्वर उन पर फिर से दया करे।
इस प्रकार, यशायाह अध्याय 15 मनुष्यों को यह सीख देता है कि अहंकार और पाप का अंत विनाश ही होता है, परन्तु परमेश्वर की दया उन पर बनी रहती है जो उसकी ओर लौटते हैं।