पवित्र बाइबल

समय का रहस्य: रामू और साधु की ज्ञान की कहानी

**एक समय की बात है, जब यरूशलेम के एक बुद्धिमान राजा सुलैमान ने परमेश्वर के प्रेरणा से एक गहन सत्य को उजागर किया। उसने देखा कि संसार में हर चीज़ का एक निश्चित समय होता है, और हर कार्य का एक विशेष अवसर। यह ज्ञान उसने अपनी पुस्तक “उपदेशक” (Ecclesiastes) में लिखा, ताकि लोग परमेश्वर की व्यवस्था को समझ सकें।**

**एक गाँव में, रामू नाम का एक किसान रहता था। वह मेहनती था, लेकिन अक्सर जीवन की अनिश्चितताओं से परेशान रहता। एक दिन, जब वह अपने खेत में हल चला रहा था, उसने देखा कि पास के बरगद के पेड़ के नीचे एक बूढ़ा साधु ध्यानमग्न बैठा है। रामू ने सोचा, “शायद यह साधु मुझे जीवन का कोई रहस्य बताएगा।” वह उसके पास गया और विनम्रता से प्रणाम किया।**

**साधु ने आँखें खोलीं और मुस्कुराते हुए पूछा, “क्या तुम्हें कोई परेशानी है, बेटा?” रामू ने कहा, “गुरुजी, मैं दिन-रात मेहनत करता हूँ, लेकिन कभी फसल अच्छी होती है, तो कभी खराब। कभी खुशी मिलती है, तो कभी दुःख। मैं समझ नहीं पाता कि जीवन का नियम क्या है?”**

**साधु ने गहरी साँस ली और कहा, “बेटा, परमेश्वर ने हर चीज़ के लिए एक समय नियुक्त किया है। उपदेशक ग्रंथ में लिखा है—’हर बात का एक नियत समय है, और हर काम का, जो आकाश के नीचे होता है, एक अवसर होता है।’ जन्म का समय होता है, और मृत्यु का भी। रोपने का समय होता है, और उखाड़ने का भी। रोने का समय होता है, और हँसने का भी।”**

**रामू चुपचाप सुनता रहा। साधु ने आगे कहा, “तुम्हारी फसल अगर इस बार खराब हुई है, तो यह उखाड़ने का समय है। लेकिन जब बारिश अच्छी होगी, तो रोपने का समय आएगा। दुःख का समय भी परमेश्वर की इच्छा से आता है, ताकि तुम सीखो और मजबूत बनो।”**

**रामू ने पूछा, “लेकिन गुरुजी, मैं इन समयों को कैसे पहचानूँ?” साधु ने कहा, “प्रार्थना और धैर्य से। परमेश्वर ने सब कुछ सुन्दर बनाया है, और उसने मनुष्य के हृदय में अनन्तकाल का भाव भर दिया है। फिर भी, कोई भी मनुष्य परमेश्वर के काम को आदि से अन्त तक नहीं समझ सकता। तुम्हें बस विश्वास रखना है कि उसकी योजना सर्वोत्तम है।”**

**कुछ दिनों बाद, रामू के गाँव में भयंकर बाढ़ आई। सबकी फसलें बर्बाद हो गईं। लोग रोने लगे, लेकिन रामू ने साधु की बात याद की—”रोने का भी एक समय होता है।” उसने अपने पड़ोसियों को धीरज बँधाया और सबने मिलकर फिर से खेती शुरू की। अगले साल, अच्छी बारिश हुई और फसल भरपूर हुई। गाँव वाले खुशी से नाचने-गाने लगे। रामू ने महसूस किया कि यह “हँसने और नाचने का समय” था।**

**समय बीतता गया। रामू बूढ़ा हो गया। एक शाम, जब वह अपने पोते को गोद में लिए आँगन में बैठा था, तो उसने कहा, “बेटा, परमेश्वर ने हर पल को खास बनाया है। चुप रहने का समय होता है, और बोलने का भी। युद्ध का समय होता है, और शांति का भी। जब तुम इन समयों को समझोगे, तो जीवन सरल हो जाएगा।”**

**उसकी बातें सुनकर पोता मुस्कुराया। रामू ने आँखें बंद करके परमेश्वर का धन्यवाद किया। उसे अब पता था कि उपदेशक की बात सच थी—”उसने सब कुछ उसके समय पर सुन्दर बनाया है।”**

**और इस तरह, रामू ने सीखा कि जीवन के हर पल में परमेश्वर की योजना छुपी होती है। हमें बस विश्वास और धैर्य के साथ उसके समय का इंतज़ार करना चाहिए।**

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