पवित्र बाइबल

एजेकील 20 इस्राएल की अवज्ञा और परमेश्वर की कृपा

# **एजेकील 20: इस्राएल की अवज्ञा और परमेश्वर की कृपा**

## **भूमिका**

एक गर्म दिन, बाबुल के निर्वासन में बैठे हुए, यहूदा के पुरनिए एजेकील के पास आए और यहोवा से प्रश्न पूछने लगे। वे जानना चाहते थे कि क्या परमेश्वर उनकी सुनेंगे। किन्तु, यहोवा ने एजेकील से कहा कि वह उन पुरनियों को उत्तर देने के स्थान पर, इस्राएल के इतिहास में उनकी अवज्ञा और अपनी कृपा का वर्णन करे।

## **मिस्र में इस्राएल की अवज्ञा**

यहोवा ने एजेकील से कहा, “हे मनुष्य के सन्तान, इस्राएल के पुरनियों से कहो कि यहोवा परमेश्वर यों कहता है: जब मैंने इस्राएल को चुना, तब वे मिस्र देश में थे। मैंने उनसे प्रतिज्ञा की कि मैं उन्हें मिस्र की दासता से निकालकर एक उपजाऊ देश में ले जाऊँगा, जहाँ दूध और मधु की धाराएँ बहती हैं।

किन्तु, इस्राएल ने मिस्र में ही मूर्तियों की पूजा शुरू कर दी। वे लकड़ी और पत्थर के बने देवताओं के सामने झुकते थे, जो न तो सुन सकते थे और न ही बचा सकते थे। फिर भी, मैंने उन्हें नष्ट नहीं किया, क्योंकि मैंने अपने नाम की महिमा के लिए उन पर दया की। मैंने उन्हें मिस्र से बाहर निकाला, ताकि सारे राष्ट्र जानें कि मैं यहोवा हूँ।”

## **जंगल में परीक्षा**

जब इस्राएल जंगल में पहुँचा, तो मैंने उन्हें अपने नियम दिए और विश्रामदिन को पवित्र मानने की आज्ञा दी। किन्तु, वे फिर भी मेरी आज्ञाओं को तोड़ते रहे और मूर्तिपूजा में लिप्त हो गए। मैंने कहा, ‘मैं जंगल में ही उन पर अपना क्रोध उंडेलूँगा और उनका अंत कर दूँगा।’

फिर भी, मैंने अपने नाम के लिए ऐसा नहीं किया। मैंने उन्हें दण्ड दिया, किन्तु उनका विनाश नहीं किया। मैंने उनके बच्चों से कहा, ‘अपने पिताओं के मार्ग पर न चलो। मेरे नियमों का पालन करो और मेरे विश्रामदिन को पवित्र रखो।’

## **वादा किए हुए देश में पाप**

जब उनके बच्चे वादा किए हुए देश में पहुँचे, तो उन्होंने भी अपने पूर्वजों के पापों को दोहराया। वे ऊँचे स्थानों पर मूर्तियों की पूजा करने लगे और बाल देवता के लिए बलिदान चढ़ाने लगे। मैंने उन्हें चेतावनी दी, किन्तु उन्होंने नहीं सुनी।

तब मैंने उन्हें दण्ड देने के लिए अन्यजातियों को उन पर आक्रमण करने दिया। उनके शत्रु उन पर हावी हो गए, और वे पराये देशों में बिखर गए। फिर भी, मैंने उन्हें पूरी तरह नष्ट नहीं किया, क्योंकि मैं चाहता था कि वे पश्चाताप करें और मेरे पास लौट आएँ।

## **भविष्य की आशा**

यहोवा ने एजेकील से कहा, “इस्राएल के पुरनियों से कहो कि यहोवा यों कहता है: क्या तुम मुझसे पूछने आए हो? जैसे तुम्हारे पूर्वजों ने मूर्तिपूजा की, वैसे ही तुम भी कर रहे हो। मैं तुम्हें न्याय दूँगा, किन्तु एक दिन मैं तुम्हें फिर से इकट्ठा करूँगा।

मैं तुम्हें जंगलों से निकालकर फिर से अपने देश में ले आऊँगा। तुम अपनी घृणित मूर्तियों को त्याग दोगे, और मैं तुम्हें नया हृदय दूँगा। तब तुम जानोगे कि मैं यहोवा हूँ। मेरी आराधना करोगे, और मेरे पवित्र पर्व मनाओगे। मैं तुम्हें सच्ची आराधना करने वाला लोग बनाऊँगा।”

## **निष्कर्ष**

एजेकील ने यहोवा के वचनों को सुनकर पुरनियों को सुनाया। उन्होंने समझाया कि परमेश्वर ने बार-बार इस्राएल को दण्ड दिया, किन्तु उन पर दया भी की। अब समय आ गया था कि वे अपने पापों से पश्चाताप करें और सच्चे मन से यहोवा की ओर लौटें।

इस प्रकार, एजेकील 20 का संदेश हमें सिखाता है कि परमेश्वर की कृपा अटल है, किन्तु उसकी पवित्रता के सामने हमें अपने पापों का त्याग करना चाहिए। जो कोई उसकी ओर फिरेगा, वह उसे नया जीवन देगा।

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