**कुलुस्सियों 3 पर आधारित एक विस्तृत बाइबल कहानी**
**शीर्षक: नया जीवन मसीह में**
एक समय की बात है, कुलुस्से के एक छोटे-से कलीसिया में विश्वासियों का एक समूह रहता था। ये लोग मसीह में नए विश्वासी थे, परंतु उनके बीच कुछ भ्रम और संघर्ष था। कुछ लोग पुराने नियम के नियमों से चिपके हुए थे, तो कुछ संसारिक इच्छाओं में उलझे हुए थे। उनके पास पौलुस प्रेरित का एक पत्र आया, जिसने उनके जीवन को हमेशा के लिए बदल दिया।
### **स्वर्ग की ओर मन लगाओ**
पत्र की शुरुआत में पौलुस ने लिखा, *”यदि तुम मसीह के साथ जिलाए गए हो, तो स्वर्गीय वस्तुओं की खोज करो, जहाँ मसीह परमेश्वर के दाहिने विराजमान है।”* (कुलुस्सियों 3:1)
ये शब्द सुनकर कलीसिया के एक युवक, एपाफ्रास, ने गहराई से सोचा। वह अक्सर सांसारिक सफलता और धन के पीछे भागता था, लेकिन पौलुस के शब्दों ने उसे झकझोर दिया। एक शाम, वह अपने घर की छत पर बैठा और आकाश की ओर देखने लगा। तारों से भरा आकाश उसे परमेश्वर की महिमा की याद दिलाने लगा। उसने प्रार्थना की, *”हे प्रभु, मेरा मन सांसारिक चीज़ों से हटाकर तेरी ओर लगा दे।”*
### **पुराने स्वभाव को उतार फेंको**
पत्र में आगे लिखा था, *”इसलिए पृथ्वी की वस्तुओं को मार डालो: व्यभिचार, अशुद्धता, दुष्ट इच्छा, लोभ जो मूर्तिपूजा के समान है।”* (कुलुस्सियों 3:5)
कलीसिया की एक महिला, लिडिया, जो पहले झूठ बोलने और गपशप करने की आदी थी, इस वचन से काँप उठी। एक दिन, उसकी पड़ोसन ने उसे किसी के बारे में बुराई करते सुना और उसे याद दिलाया, *”क्या तुमने पौलुस का पत्र नहीं पढ़ा? हमें अब पुराने जीवन के कामों को त्याग देना चाहिए।”* लिडिया ने पश्चाताप किया और उसने प्रभु से प्रार्थना की कि वह उसे एक नया हृदय दे।
### **नए स्वभाव को पहन लो**
पौलुस ने लिखा, *”इसलिए परमेश्वर के चुने हुए लोगों के समान जो पवित्र और प्रिय हैं, दया, कृपा, नम्रता, सहनशीलता और प्रेम को धारण करो।”* (कुलुस्सियों 3:12)
कलीसिया के एक बुजुर्ग, फिलेमोन, जो पहले क्रोधी स्वभाव के थे, ने इन शब्दों को अपने जीवन में उतारने का निश्चय किया। एक दिन, उसके एक सेवक, ओनेसिम, ने उसके सामान को तोड़ दिया। पहले तो फिलेमोन का क्रोध भड़क उठा, लेकिन फिर उसे पौलुस के शब्द याद आए। उसने ओनेसिम को माफ कर दिया और उससे प्रेमपूर्वक बात की। यह देखकर पूरा घर हैरान रह गया।
### **मसीह का शांति राज्य करे**
पत्र में लिखा था, *”और मसीह की शांति तुम्हारे हृदय में राज्य करे, जिसके लिए तुम एक देह में बुलाए गए हो।”* (कुलुस्सियों 3:15)
कलीसिया के सदस्यों के बीच कुछ मतभेद थे। कुछ लोग विशेष दिनों को मनाने पर जोर देते थे, तो कुछ नए अनुग्रह में विश्वास करते थे। लेकिन जब उन्होंने पौलुस के शब्द पढ़े, तो उन्होंने एक-दूसरे को समझना शुरू किया। उन्होंने साथ बैठकर प्रभु भोज मनाया और एक-दूसरे के प्रति प्रेम दिखाया।
### **वचन और भजन से परमेश्वर का गुणगान**
अंत में, पौलुस ने लिखा, *”मसीह के वचन को अपने हृदय में बसने दो… भजन और स्तुतिगान और आत्मिक गीतों से परमेश्वर का गुणगान करो।”* (कुलुस्सियों 3:16)
कलीसिया के लोगों ने इसे अपने जीवन में उतारा। वे रोज़ सुबह भजन गाते, परमेश्वर के वचन पर मनन करते और एक-दूसरे को उपदेश देते। उनका जीवन धीरे-धीरे बदल गया, और वे मसीह की छवि में ढलते गए।
**समापन**
इस तरह, कुलुस्से की कलीसिया ने पौलुस के पत्र के माध्यम से एक नया जीवन पाया। उन्होंने सीखा कि मसीह में जीवन का अर्थ है—पुराने स्वभाव को त्यागना, नए मनुष्यत्व को धारण करना, और प्रेम व शांति से एक-दूसरे के साथ रहना। उनकी कहानी आज भी हमें प्रेरणा देती है कि हम भी मसीह में नए जीवन की ओर बढ़ें।
**”और जो कुछ तुम करते हो, वह सब प्रभु यीशु के नाम से करो, उसके द्वारा परमेश्वर पिता का धन्यवाद करते हुए।” (कुलुस्सियों 3:17)**