पवित्र बाइबल

परमेश्वर के साथ मेलमिलाप: लैव्यव्यवस्था 7 की कहानी

**पुराने नियम की एक कहानी: लैव्यव्यवस्था 7**

एक समय की बात है, जब इस्राएल के लोग सीनै के जंगल में यात्रा कर रहे थे। वे मूसा के नेतृत्व में परमेश्वर की आज्ञाओं का पालन करते हुए, उसके निकट रहने का प्रयास कर रहे थे। परमेश्वर ने मूसा के द्वारा उन्हें बलिदान और भेंट चढ़ाने के विस्तृत नियम दिए थे, ताकि वे पवित्र जीवन जी सकें और उसके साथ संगति बनाए रख सकें।

लैव्यव्यवस्था के सातवें अध्याय में, परमेश्वर ने मूसा को होमबलि, अन्नबलि और पापबलि के अलावा, मेलबलि के विषय में विशेष निर्देश दिए। यह बलिदान शांति और आनंद का प्रतीक था, जिसमें लोग परमेश्वर के साथ मेल-मिलाप करते थे और उसकी भलाई का स्मरण करते थे।

एक दिन, इस्राएल के एक गोत्र, यहूदा के कबीले का एक व्यक्ति, एलियाब, अपने परिवार के साथ मिलकर मेलबलि चढ़ाने के लिए तैयार हुआ। उसने अपने झुंड में से एक सुंदर और निर्दोष मेमने को चुना, जिसमें कोई दोष नहीं था। एलियाब ने अपने हाथों से उस मेमने को मिलापवाले तम्बू के द्वार पर लाया, जहां हारून के पुत्र याजक उसकी प्रतीक्षा कर रहे थे।

याजक ने मेमने को लेकर परमेश्वर के वेदी पर रखा। एलियाब ने अपना हाथ मेमने के सिर पर रखा, जैसे परमेश्वर ने आज्ञा दी थी, और याजक ने उसका लहू वेदी के चारों ओर छिड़का। फिर याजक ने मेमने की चर्बी, गुर्दे और कलेजे को अलग करके वेदी पर जलाया। यह सुगंध परमेश्वर के लिए सुखद थी, क्योंकि यह उसके प्रति समर्पण और आज्ञाकारिता का प्रतीक था।

परमेश्वर ने मूसा को यह भी बताया था कि मेलबलि का मांस याजकों और उस व्यक्ति के परिवार को खाने के लिए दिया जाएगा, जिसने बलिदान चढ़ाया था। इसलिए, एलियाब ने अपने परिवार और मित्रों को बुलाया, और सभी ने मिलकर उस पवित्र भोजन में भाग लिया। यह भोजन पवित्र स्थान में हुआ, क्योंकि परमेश्वर ने आज्ञा दी थी कि मेलबलि का मांस केवल पवित्र स्थान में ही खाया जाए।

लेकिन परमेश्वर ने एक सख्त चेतावनी भी दी थी: यदि कोई व्यक्ति अशुद्ध होकर इस भोजन को खाता, तो वह अपने पाप के कारण दण्ड का भागी होता। इसलिए, एलियाब और उसके परिवार ने सावधानी से यह सुनिश्चित किया कि वे सभी शुद्ध और पवित्र हैं, जैसा परमेश्वर ने आज्ञा दी थी।

जब वे भोजन कर रहे थे, तो एलियाब ने अपने बच्चों को समझाया, “यह बलिदान हमें याद दिलाता है कि परमेश्वर हमारे साथ है। वह हमारे पापों को क्षमा करता है और हमें अपनी शांति प्रदान करता है। हमें हमेशा उसकी आज्ञाओं का पालन करना चाहिए।”

इस प्रकार, इस्राएल के लोगों ने परमेश्वर के नियमों का पालन किया और उसके साथ मेल-मिलाप का आनंद लिया। वे जानते थे कि परमेश्वर पवित्र है, और उसके निकट आने के लिए उन्हें भी पवित्र जीवन जीना चाहिए।

और इस तरह, लैव्यव्यवस्था के नियमों के अनुसार, उन्होंने परमेश्वर की सेवा की और उसकी आशीषों का अनुभव किया।

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