**भविष्यवक्ता मीका की कहानी: परमेश्वर का शांतिदायक राज्य**
एक समय की बात है, जब यहूदा और इस्राएल के लोग अंधकार में भटक रहे थे। उनके हृदय अहंकार, लालच और पाप से भर गए थे। उन्होंने परमेश्वर की आज्ञाओं को ताक पर रख दिया था और मूर्तियों की पूजा करने लगे थे। न्याय करने वाले न्यायाधीश भ्रष्ट हो चुके थे, और गरीबों का शोषण हो रहा था। ऐसे समय में, परमेश्वर ने भविष्यवक्ता मीका को बुलाया और उनके माध्यम से एक महान संदेश दिया।
मीका ने लोगों से कहा, **”परमेश्वर यहोवा का वचन सुनो! वह दिन आने वाला है जब सभी जातियाँ और लोग उसके पवित्र पर्वत की ओर आकर्षित होंगे। यहोवा का मंदिर सभी पहाड़ों में सबसे ऊँचा होगा, और सारी दुनिया उसकी महिमा को देखेगी।”**
लोगों ने आश्चर्य से पूछा, **”ऐसा कैसे होगा? हम तो युद्ध और विपत्तियों से घिरे हुए हैं!”**
मीका ने गंभीर स्वर में उत्तर दिया, **”परमेश्वर का वादा अटल है। वह दिन आएगा जब लोग अपनी तलवारें फावड़ों में और भालों को दरांतियों में बदल देंगे। कोई राष्ट्र दूसरे राष्ट्र के विरुद्ध युद्ध नहीं करेगा, और न ही वे फिर से युद्ध की कला सीखेंगे। हर कोई अपनी अंगूर की बेल और अंजीर के पेड़ के नीचे शांति से बैठेगा, और कोई भी उन्हें डराएगा नहीं। यह सब यहोवा सर्वशक्तिमान के कारण होगा!”**
लोगों के मन में आशा की एक किरण जगी, परंतु कुछ संदेहास्पद थे। **”क्या वास्तव में ऐसा होगा? क्या हमारे पापों के बावजूद परमेश्वर हमें बचाएगा?”**
मीका ने दृढ़ता से कहा, **”हाँ! यद्यपि अब तुम दुःख और अपमान सह रहे हो, परन्तु परमेश्वर तुम्हें एकत्र करेगा और तुम्हारी स्थिति को बदल देगा। जैसे एक चरवाहा अपनी भेड़ों को संभालता है, वैसे ही यहोवा तुम्हारा मार्गदर्शन करेगा। वह तुम्हारे सभी शत्रुओं को दंड देगा और तुम्हें एक नया जीवन देगा।”**
भविष्यवक्ता की बातें सुनकर कुछ लोगों ने पश्चाताप किया और परमेश्वर की ओर लौट आए। उन्होंने अन्याय और भ्रष्टाचार को त्याग दिया और दीन-हीनों की सहायता करने लगे। परमेश्वर ने उनकी प्रार्थनाएँ सुनीं और उन्हें आशीर्वाद दिया।
अंत में, मीका ने घोषणा की, **”यहोवा की योजना पूरी होगी! उसका राज्य स्थापित होगा, और सभी राष्ट्र उसकी आराधना करेंगे। वह दिन दूर नहीं जब हमेशा के लिए शांति और धार्मिकता का राज्य स्थापित होगा। तब तक, विश्वास रखो और उसके मार्ग पर चलो!”**
इस प्रकार, भविष्यवक्ता मीका ने लोगों को परमेश्वर की महान योजना के बारे में बताया, जो एक दिन पूरी होगी—जब सभी लोग शांति और प्रेम में एक साथ रहेंगे, और यहोवा ही सर्वोपरि होगा।