पवित्र बाइबल

जैतून के वृक्ष की रहस्यमयी कथा: परमेश्वर की अद्भुत योजना

**एक विस्तृत कहानी: जैतून के वृक्ष की रहस्यमयी कहानी (रोमियों 11 पर आधारित)**

एक समय की बात है, जब प्राचीन रोम की गलियों में प्रेरित पौलुस परमेश्वर के प्रेम और उसकी अद्भुत योजना के बारे में गहराई से सोच रहा था। वह इस्राएल के लोगों के बारे में चिंतित था, क्योंकि उनमें से अधिकांश ने मसीह को स्वीकार नहीं किया था। परन्तु पौलुस जानता था कि परमेश्वर का प्रेम कभी असफल नहीं होता। वह एक जैतून के वृक्ष के दृष्टांत के माध्यम से परमेश्वर की योजना को समझाने लगा।

### **जैतून का पवित्र वृक्ष**

एक बार एक सुंदर जैतून का वृक्ष था, जिसकी जड़ें पवित्र और मजबूत थीं। यह वृक्ष परमेश्वर के चुने हुए लोग, इस्राएल, का प्रतीक था। परमेश्वर ने इब्राहीम, इसहाक और याकूब से वाचा बाँधी थी, और इस वृक्ष की शाखाएँ उनके वंशजों की तरह फैली हुई थीं। परन्तु जब मसीह आया, तो कई शाखाएँ—अर्थात इस्राएल के बहुत से लोग—अविश्वास के कारण टूट गईं।

पौलुस ने समझाया, “भाइयो, यह न सोचो कि परमेश्वर ने अपने लोगों को पूरी तरह से त्याग दिया है। मैं भी तो इस्राएली हूँ, और परमेश्वर ने मुझे अपनी कृपा दी है।” उसने बताया कि जैसे एलिय्याह के समय में भी कुछ विश्वासी बचे थे, वैसे ही अब भी एक अवशेष है जो मसीह में विश्वास करता है।

### **जंगली जैतून की शाखाएँ**

तब पौलुस ने एक आश्चर्यजनक बात कही: “परमेश्वर ने जंगली जैतून की शाखाओं—अन्यजातियों—को उस पवित्र वृक्ष में रोप दिया है!” ये शाखाएँ, जो कभी परमेश्वर की प्रतिज्ञाओं से दूर थीं, अब उसी जड़ से पोषण पा रही थीं। परन्तु पौलुस ने चेतावनी भी दी: “अभिमान मत करो। तुम जड़ को धारण नहीं करते, बल्कि जड़ तुम्हें धारण करती है।”

उसने कहा, “यदि परमेश्वर ने मूल शाखाओं को नहीं बख्शा, तो तुम्हें भी नहीं बख्शेगा यदि तुम विश्वास में दृढ़ न रहे।” अन्यजातियों को यह समझना था कि उनका विश्वास परमेश्वर की कृपा पर निर्भर है, न कि अपनी धार्मिकता पर।

### **टूटी हुई शाखाओं का पुनर्जोड़न**

फिर पौलुस ने एक आशा की बात कही: “यदि टूटी हुई शाखाएँ अविश्वास से निकाल दी गईं, तो क्या विश्वास से फिर से नहीं जोड़ी जा सकतीं?” उसने भविष्यवाणी की कि एक समय आएगा जब इस्राएल पूरी तरह से मसीह को स्वीकार करेगा। “यदि उनका अस्वीकार करना संसार के लिए मेल-मिलाप का कारण बना, तो उनका स्वीकार करना तो मृतकों में से जी उठने के समान होगा!”

पौलुस ने गहरे आश्चर्य के साथ कहा, “परमेश्वर की बुद्धि और ज्ञान क्या ही गहरे हैं! उसके निर्णय अगम्य हैं, और उसके मार्ग अथाह!” उसने समझाया कि परमेश्वर ने सब को अवज्ञा में डाल दिया, ताकि वह सब पर दया करे।

### **परमेश्वर की महिमा**

अंत में, पौलुस ने परमेश्वर की स्तुति करते हुए कहा:
“ओह, परमेश्वर की धन-सम्पदा, बुद्धि और ज्ञान क्या ही अद्भुत है!
उसके निर्णय कितने गहरे, और उसके मार्ग कितने रहस्यमय!
क्योंकि उसे किसी ने जाना नहीं, न उसने किसी को अपना मंत्री बनाया।
किसी ने उसे कुछ दिया नहीं, जिसका उसे बदला देना पड़े।
क्योंकि सब कुछ उसी में से, उसी के द्वारा और उसी के लिए है।
उसी की महिमा युगानुयुग होती रहे। आमीन।”

इस प्रकार, पौलुस ने रोम की कलीसिया को सिखाया कि परमेश्वर की योजना अद्भुत और अथाह है। न तो इस्राएल को हमेशा के लिए त्याग दिया गया है, न ही अन्यजातियों को घमंड करने का अधिकार है। सब कुछ परमेश्वर की दया और उसकी अद्भुत योजना के अनुसार है। और जिस प्रकार जैतून का वृक्ष एक दिन पूरी तरह से फलता-फूलता रहेगा, वैसे ही परमेश्वर का राज्य भी पूरा होगा।

**इस प्रकार, यह कहानी हमें सिखाती है कि परमेश्वर की योजना हमेशा पूर्ण और प्रेम से भरी है, चाहे हम उसे अभी पूरी तरह न समझ पाएँ।**

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