**परमेश्वर के निवास स्थान का निर्माण: निर्गमन 26**
उस समय जब इस्राएली जंगल में थे और परमेश्वर ने मूसा को सीनै पर्वत पर बुलाया था, तब उसने उन्हें एक पवित्र निवास स्थान बनाने का आदेश दिया, जिसे “मिलापवाला तम्बू” कहा जाएगा। यह वह स्थान होगा जहाँ परमेश्वर अपनी प्रजा के बीच निवास करेगा। मूसा ने सावधानी से परमेश्वर के दिए हुए निर्देशों को सुना और उन्हें इस्राएल के कारीगरों तक पहुँचाया।
### **तम्बू के पर्दे और आवरण**
परमेश्वर ने मूसा से कहा, “तू मिलापवाला तम्बू दस पट्टियों से बनाना, जो बटी हुई सूक्ष्म सनी के कपड़े की हों, और उन पर नीले, बैंजनी, और लाल रंग के करूबों की कारीगरी हो।” कारीगरों ने सावधानी से इन पट्टियों को बुना, जिनमें से प्रत्येक अट्ठाईस हाथ लंबी और चार हाथ चौड़ी थी। हर पट्टी को दूसरी के साथ जोड़ा गया, ताकि वे एक सुंदर और मजबूत आवरण बना सकें।
इन पट्टियों के ऊपर, बकरियों के बालों से बने ग्यारह पर्दे लगाए गए, जो तम्बू को और सुरक्षा प्रदान करते थे। ये पर्दे तीस हाथ लंबे और चार हाथ चौड़े थे। उन्हें पीतल के कुंडों से जोड़ा गया, जिससे तम्बू का ढाँचा मजबूत बना रहे।
तम्बू के सबसे ऊपरी भाग पर लाल रंग के मेढ़ों के चमड़े का आवरण था, और उसके ऊपर दूसरे आवरण के रूप में साँवले रंग के चमड़े की परत थी। ये आवरण तम्बू को वर्षा, धूप और रेत से बचाते थे, जिससे परमेश्वर का पवित्र स्थान सुरक्षित रहता था।
### **तम्बू की फट्टियाँ और खम्भे**
तम्बू के ढाँचे के लिए शीतम वृक्ष की लकड़ी के खम्भे बनाए गए। ये खम्भे दस हाथ ऊँचे और डेढ़ हाथ चौड़े थे। प्रत्येक खम्भे के नीचे चाँदी की दो कुर्सियाँ लगाई गईं, जो उन्हें स्थिर रखती थीं। तम्बू के दक्षिणी और उत्तरी भाग में बीस-बीस खम्भे थे, और पश्चिमी भाग में छः खम्भे थे।
तम्बू के पर्दों को सोने के कुंडों और चाँदी के हुकों से जोड़ा गया, जिससे वे सुंदर और व्यवस्थित दिखाई देते थे। परमेश्वर ने मूसा को यह भी आदेश दिया कि तम्बू के भीतर एक पर्दा लटकाया जाए, जो पवित्र स्थान और अति पवित्र स्थान को अलग करे। यह पर्दा नीले, बैंजनी और लाल रंग के कपड़े से बना था, और उस पर करूबों की कढ़ाई की गई थी।
### **अति पवित्र स्थान और साक्षीपत्र का सन्दूक**
तम्बू के सबसे भीतरी भाग को “अति पवित्र स्थान” कहा जाता था, जहाँ परमेश्वर की उपस्थिति विशेष रूप से प्रकट होती थी। वहाँ साक्षीपत्र का सन्दूक रखा गया, जिस पर स्वर्णमय प्रायश्चित्त का ढक्कन था। इस ढक्कन पर दो करूबों की मूर्तियाँ बनी थीं, जो अपने पंख फैलाकर परमेश्वर की महिमा का प्रतिनिधित्व करती थीं।
### **तम्बू का महत्व**
मिलापवाला तम्बू इस्राएलियों के लिए परमेश्वर के साथ संगति का स्थान था। यह उन्हें सिखाता था कि परमेश्वर पवित्र है और उसके पास आने के लिए शुद्धता आवश्यक है। तम्बू के हर भाग का एक विशेष अर्थ था—सोना परमेश्वर की महिमा का, नीला रंग स्वर्गीय आज्ञाकारिता का, और लाल रंग बलिदान का प्रतीक था।
जब तम्बू पूरा हो गया, तो परमेश्वर की महिमा उसमें उतरी और उसने अपनी प्रजा के बीच निवास किया। मूसा और हारून ने उस स्थान पर परमेश्वर की आराधना की, और सारा इस्राएल समुदाय उसकी पवित्रता के प्रति सचेत रहा।
इस प्रकार, परमेश्वर ने अपने लोगों को सिखाया कि वह हमेशा उनके साथ है, और उसकी उपस्थिति उनके जीवन का केंद्र होनी चाहिए।