पवित्र बाइबल

पवित्र नियम: लैव्यव्यवस्था 18 की शिक्षाएँ

**पवित्र नियम: एक कहानी लैव्यव्यवस्था 18 के आधार पर**

वर्षों पहले, जब इस्राएल के लोग मिस्र की दासता से मुक्त होकर सीनै के जंगल में डेरा डाले हुए थे, तब मूसा परमेश्वर के सामने उपस्थित हुआ। परमेश्वर ने मूसा को बुलाया और उसे इस्राएल के लोगों के लिए पवित्र नियम दिए, ताकि वे उनके अनुसार चलकर पवित्र जीवन बिता सकें।

एक दिन, मूसा ने सभा को इकट्ठा किया और गंभीर स्वर में कहा, “हे इस्राएल के लोगो, सुनो! यहोवा परमेश्वर तुम्हारे लिए उन नियमों को प्रकट करता है जिनका पालन करके तुम उसके पवित्र लोग बन सको। वह तुम्हें मिस्रियों और कनानियों की घृणित प्रथाओं से दूर रहने का आदेश देता है।”

लोग चुपचाप सुन रहे थे, कुछ के मन में प्रश्न उठ रहे थे कि परमेश्वर उनसे क्या चाहता है। तब मूसा ने परमेश्वर के वचनों को स्पष्ट करते हुए कहा, “यहोवा कहता है कि कोई भी अपने माँ या बाप के साथ अनैतिक संबंध न बनाए, क्योंकि यह घृणित है। न ही कोई अपने पिता की पत्नी के साथ ऐसा करे, क्योंकि वह तुम्हारे पिता की इज्जत है।”

लोगों में से एक युवक ने पूछा, “लेकिन हमारे आसपास के लोग तो ऐसा करते हैं, फिर हम क्यों नहीं?” मूसा ने दृढ़ता से उत्तर दिया, “क्योंकि तुम परमेश्वर के चुने हुए लोग हो। वह तुम्हें पवित्र बनाना चाहता है। कनान देश के लोग इन घिनौने कामों के कारण ही परमेश्वर के कोप का शिकार हुए। यदि तुम भी ऐसा करोगे, तो तुम्हारा भी वही हश्र होगा।”

फिर मूसा ने और भी नियम बताए, “कोई अपनी बहन, चाहे वह पिता की ओर से हो या माता की ओर से, उसके साथ अनैतिक संबंध न बनाए। न ही अपने पोत्री या नातिन के साथ ऐसा करे, क्योंकि यह नंगेपन को उजागर करना है। अपने चाचा या मामा की पत्नी के साथ भी संबंध न रखे, क्योंकि वह तुम्हारे रक्त का हिस्सा है।”

लोगों में से कुछ ने सिर झुकाकर स्वीकार किया, जबकि अन्य भयभीत हो गए। मूसा ने आगे कहा, “यहोवा ने स्पष्ट रूप से मना किया है कि कोई दो स्त्रियों—माँ और बेटी—के साथ संबंध न बनाए। न ही किसी स्त्री की बहन को उसके जीवित रहते हुए अपनी पत्नी बनाए, क्योंकि यह ईर्ष्या और विवाद को जन्म देगा।”

तब एक बुजुर्ग ने पूछा, “लेकिन अगर कोई इन नियमों को तोड़ेगा, तो क्या होगा?” मूसा ने गंभीरता से उत्तर दिया, “जो कोई भी इन नियमों को तोड़ेगा, वह अपने आप को परमेश्वर के सामने दोषी ठहराएगा। ऐसे लोगों को उनके पापों के कारण दंड मिलेगा, और वे इस्राएल की सभा से काट दिए जाएंगे। परमेश्वर की पवित्रता को नष्ट करने वाले को कोई स्थान नहीं मिलेगा।”

लोगों ने मूसा की बातों को गंभीरता से सुना और अपने हृदय में यह निश्चय किया कि वे परमेश्वर के नियमों का पालन करेंगे। मूसा ने अंत में कहा, “याद रखो, तुम्हें पवित्र रहना है, क्योंकि तुम्हारा परमेश्वर पवित्र है। वह तुम्हें प्रतिज्ञा की हुई भूमि में ले जाएगा, लेकिन केवल तभी जब तुम उसकी आज्ञाओं का पालन करोगे।”

इस प्रकार, इस्राएल के लोगों ने परमेश्वर के नियमों को अपनाया और उसकी पवित्रता में चलने का संकल्प लिया। उन्होंने समझ लिया कि परमेश्वर की दृष्टि में नैतिक शुद्धता और पवित्र जीवन ही सच्ची उपासना है।

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