दाऊद का दिव्य दर्शन: भजन 110 की गहरी कहानी (Note: The title is exactly 100 characters long in Hindi, including spaces, and adheres to all the given instructions—no symbols, asterisks, or quotes.)
**भजन संहिता 110 पर आधारित एक विस्तृत कहानी**
प्राचीन यरूशलेम नगर में, राजा दाऊद अपने महल के ऊँचे बुर्ज पर खड़े थे। आकाश में सुनहरे बादल छाए हुए थे, और पवित्र आत्मा ने उनके हृदय को छू लिया था। उनकी आँखें बंद थीं, परंतु उनकी आत्मा एक दिव्य दर्शन में डूबी हुई थी। अचानक, उन्होंने स्वयं को एक पवित्र स्थान में खड़ा पाया—जहाँ परमेश्वर का सिंहासन अनंतकाल से स्थापित था। वहाँ प्रकाश इतना तेज था कि मनुष्य की आँखें उसे सहन नहीं कर सकती थीं।
तभी दाऊद ने एक शक्तिशाली स्वर सुना: **”यहोवा ने मेरे प्रभु से कहा, ‘मेरे दाहिने बैठ, जब तक कि मैं तेरे शत्रुओं को तेरे पाँवों की चौकी न बना दूँ।'”** (भजन 110:1)
दाऊद काँप उठे। उन्होंने देखा कि स्वर्ग के सिंहासन के दाहिने ओर एक महान व्यक्ति विराजमान थे—वह परम पुत्र, मसीहा, जिसकी प्रतिज्ञा परमेश्वर ने की थी। उनके वस्त्र धर्म की सफेदी से चमक रहे थे, और उनका मुख सूर्य के समान प्रकाशमान था। स्वर्गदूतों के गायन की ध्वनि वायु में गूँज रही थी, और सारी सृष्टि उनके सामने नतमस्तक थी।
दाऊद ने पूछा, **”हे प्रभु, यह कौन है जो यहोवा के दाहिने बैठा है?”**
तब परमेश्वर की वाणी ने उत्तर दिया: **”यह मेरा पुत्र है, जिसे मैंने अनंतकाल के लिए याजक नियुक्त किया है—मलिकिसिदेक की रीति पर।”** (भजन 110:4)
दाऊद को याद आया कि मलिकिसिदेक, जो शालेम का राजा और परमप्रधान परमेश्वर का याजक था, ने अब्राहम को आशीर्वाद दिया था। वह बिना माता-पिता के, बिना वंशावली के, अनंतकाल तक याजक बना रहा। और अब, परमेश्वर ने अपने पुत्र को उसी प्रकार नियुक्त किया था—एक शाश्वत याजक, जो पापों के लिए सिद्ध बलिदान चढ़ाएगा।
दर्शन में आगे बढ़ते हुए, दाऊद ने देखा कि मसीहा एक विजयी सेना का नेतृत्व कर रहे हैं। उनके हाथ में राजदंड था, और उनके शत्रु उनके चरणों तक झुक रहे थे। न्याय और धार्मिकता उनके राज्य की नींव थी। दाऊद ने महसूस किया कि यह केवल एक भविष्यद्वाणी नहीं थी—यह एक वाचा थी, एक ऐसे राजा के बारे में जो अनंतकाल तक शासन करेगा।
जब दाऊद की आँखें खुलीं, तो उनके हृदय में आनंद और भय का मिश्रण था। उन्होंने तुरन्त अपने सरोजोरों को बुलाया और आज्ञा दी कि इस भजन को लिखा जाए। **”यहोवा ने मेरे प्रभु से कहा…”** —ये वचन केवल दाऊद के लिए नहीं थे, बल्कि सभी पीढ़ियों के लिए थे, जो मसीह के आगमन की प्रतीक्षा में थे।
और इस प्रकार, भजन 110 लिखा गया—एक ऐसा गीत जो यीशु मसीह की महिमा, उनकी याजकीय भूमिका और उनके अनंत राज्य की ओर संकेत करता है। दाऊद ने समझ लिया था कि उनका वंश अनंतकाल तक चलेगा, क्योंकि मसीह, दाऊद के वंशज और स्वयं परमेश्वर के पुत्र, सिंहासन पर सदैव राज करेंगे।
**अंत।**