पवित्र बाइबल

सर्वशक्तिमान की छाया में सच्ची शरण

**भजन संहिता 91: एक विस्तृत कथा**

**शीर्षक: “सर्वशक्तिमान की छाया में शरण”**

प्राचीन समय में यरूशलेम के निकट एक छोटे से गाँव में योनातान नाम का एक धर्मपरायण व्यक्ति रहता था। वह प्रतिदिन भजन संहिता का पाठ करता और परमेश्वर पर अटूट विश्वास रखता था। उसका जीवन सादगी से भरा था, परन्तु उसके हृदय में परमेश्वर के प्रति गहरी निष्ठा थी। एक दिन, जब पूरे देश में भयंकर महामारी फैली, तो लोग डर से घरों में दुबक गए। मार्ग सुनसान हो गए, और लोगों के चेहरे पर भय के भाव थे। परन्तु योनातान शांत था। उसने भजन संहिता 91 को अपने हृदय में संजोया हुआ था:

**”जो परमप्रधान के छत्र के नीचे वास करता है, वह सर्वशक्तिमान की छाया में शरण पाएगा।”**

एक शाम, जब योनातान अपने खेत में काम कर रहा था, तो उसने देखा कि उसके पड़ोसी का घर रोने की आवाज़ों से गूँज रहा है। पता चला कि उसके पड़ोसी के पुत्र को उस भयंकर बीमारी ने जकड़ लिया था। गाँव के लोग दूर-दूर भाग रहे थे, क्योंकि वे संक्रमण से डरते थे। परन्तु योनातान ने साहस बटोरा और उसके घर गया। वहाँ पहुँचकर उसने देखा कि लड़का बुखार से तप रहा था। योनातान ने घुटने टेककर प्रार्थना की:

**”हे प्रभु, तू ही मेरा शरणस्थान है। तू इस बालक को अपनी दया से छू ले।”**

उसी रात, योनातान ने अपने पड़ोसी को भजन 91 सुनाया:

**”वह तुझे शिकारी के जाल से, और उपद्रव की घातक बीमारी से बचाएगा। वह तुझे अपने पंखों से ढाँप लेगा, और तू उसके डैनों के नीचे शरण पाएगा।”**

पड़ोसी ने आँसू भरी आँखों से पूछा, “क्या वास्तव में परमेश्वर हमें इस विपत्ति से बचा सकता है?” योनातान ने विश्वास से कहा, “हाँ, वह हमारा रक्षक है।”

अगले दिन, जब सूर्योदय हुआ, तो लड़के का बुखार उतर चुका था। गाँव वाले आश्चर्यचकित थे। धीरे-धीरे, महामारी का प्रकोप कम होने लगा। योनातान ने लोगों को समझाया कि परमेश्वर की शरण में रहने वालों के लिए कोई भय नहीं है। उसने उन्हें भजन 91 की शिक्षा दी:

**”यदि तू परमेश्वर को अपना शरणस्थान बनाएगा, तो कोई विपत्ति तुझे छू नहीं पाएगी। उसके दूत तेरे चारों ओर तैनात रहेंगे, ताकि तू अपने पैरों से पत्थर से न टकराए।”**

लोगों ने योनातान की बातों को गंभीरता से लिया और परमेश्वर की शरण में आने लगे। गाँव में फिर से आनंद और शांति लौट आई। योनातान ने सबको याद दिलाया कि परमेश्वर की प्रतिज्ञाएँ सच्ची हैं।

**”जो मुझसे प्रेम रखता है, मैं उसे उद्धार दूँगा। जो मेरा नाम जानता है, मैं उसे उच्च स्थान दूँगा।”**

इस प्रकार, भजन 91 के वचनों ने न केवल योनातान के जीवन को, बल्कि पूरे गाँव को परिवर्तित कर दिया। वे सभी जान गए कि सच्ची सुरक्षा केवल सर्वशक्तिमान परमेश्वर की छाया में ही मिल सकती है।

**समाप्त।**

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