पवित्र बाइबल

बुद्धिमान राजा सुलैमान और युवा प्रिंस की शिक्षा

**प्रेरित वचनों की कहानी: बुद्धिमान राजा और युवा प्रिंस**

एक समय की बात है, जब इस्राएल के महान राजा सुलैमान, जिन्हें परमेश्वर ने असीम बुद्धि प्रदान की थी, अपने पुत्र को जीवन की महत्वपूर्ण शिक्षाएँ दे रहे थे। एक शांत संध्या के समय, राजभवन के उद्यान में बैठकर राजा ने अपने युवा पुत्र को समीप बुलाया और गंभीर स्वर में उपदेश देना शुरू किया।

**”हे मेरे पुत्र,”** राजा सुलैमान बोले, **”मेरी बातों पर ध्यान दो और मेरी समझ को अपने हृदय में छिपा लो। परमेश्वर के मार्ग में चलने के लिए तुम्हें बुद्धिमान बनना होगा, विशेषकर उन प्रलोभनों से सावधान रहना होगा जो तुम्हें सत्य मार्ग से भटका सकते हैं।”**

युवा प्रिंस ने ध्यान से सुना। राजा ने आगे कहा, **”हे पुत्र, परायी स्त्रियों के मधुर वचनों से सावधान रहना। उनके होंठ मधु की तरह मीठे लग सकते हैं, उनकी बातें तेल की तरह चिकनी प्रतीत हो सकती हैं, परन्तु अंत में वे कड़वे जहर के समान होती हैं, जो तेरे जीवन को नष्ट कर देगी।”**

राजा सुलैमान ने एक गहरी सांस ली और अपने पुत्र को एक दृष्टांत सुनाया।

**एक युवक की कहानी**

कुछ वर्ष पहले की बात है, एक युवक जिसका नाम एलीआजर था, यरूशलेम की गलियों में रहता था। वह बुद्धिमान और परिश्रमी था, परन्तु एक दिन उसकी मुलाकात एक सुन्दर स्त्री से हुई, जिसने उसे मीठी बातों में फँसा लिया। वह स्त्री विवाहित थी, परन्तु उसने एलीआजर को लुभाने के लिए अपने शब्दों का जाल बुन दिया।

प्रारंभ में एलीआजर ने सोचा कि वह केवल एक साधारण मित्रता कर रहा है, परन्तु धीरे-धीरे उसका मन उस स्त्री के प्रति आसक्त हो गया। उसने अपने माता-पिता की शिक्षाओं और परमेश्वर के आदेशों को भुला दिया। एक रात, जब वह चोरी-छिपे उस स्त्री से मिलने गया, तो उसके पति ने उसे देख लिया। क्रोधित पति ने एलीआजर को पकड़ लिया, और उसकी बदनामी पूरे नगर में फैल गई।

न्यायालय में उसे दण्ड मिला, और उसका सम्मान धूल में मिल गया। वह जिस मार्ग पर चला था, वह उसे मृत्यु और विनाश की ओर ले गया। उसका परिवार उससे दूर हो गया, और उसका जीवन निराशा से भर गया।

राजा सुलैमान ने अपने पुत्र से कहा, **”हे पुत्र, इस युवक की भाँति मूर्ख मत बनो। अपने जीवन के जल को अपनी ही पत्नी के साथ बाँटो, और परायी स्त्रियों के जाल में कभी मत फँसो। परमेश्वर सब कुछ देखता है, और वह तुम्हारे मार्ग का न्याय करेगा।”**

युवा प्रिंस ने अपने पिता की बातें गंभीरता से सुनीं और प्रतिज्ञा की कि वह सदैव परमेश्वर के मार्ग पर चलेगा। राजा सुलैमान ने आशीर्वाद देते हुए कहा, **”स्मरण रखो, प्रभु की आँखें हर स्थान पर हैं, वह धर्मी और दुष्ट दोनों के मार्गों को जानता है। जो दुष्टता करता है, वह अपने ही पापों में फँसकर नष्ट हो जाएगा, परन्तु जो बुद्धिमान है और परमेश्वर का भय मानता है, वह आशीष पाएगा।”**

इस प्रकार, राजा सुलैमान ने अपने पुत्र को नीतिवचन 5 की शिक्षा दी, ताकि वह जीवनभर परमेश्वर के मार्ग पर चल सके और उसकी कृपा उस पर बनी रहे।

LEAVE A RESPONSE

आपका ईमेल पता प्रकाशित नहीं किया जाएगा. आवश्यक फ़ील्ड चिह्नित हैं *