**दानिय्येल की दर्शन: चार महान जानवर और परमेश्वर का राज्य**
राजा बेलशस्सर के राज्य के पहले वर्ष में, जब दानिय्येल बाबुल में रह रहे थे, एक रात उन्होंने एक अद्भुत दर्शन देखा। वह अपने बिस्तर पर लेटे हुए थे कि अचानक उनकी आँखों के सामने स्वर्ग के द्वार खुल गए, और परमेश्वर की ओर से एक गहरी रहस्यमयी घटना उनके सामने प्रकट हुई।
दानिय्येल ने देखा कि चार महान हवाएँ आकाश के चारों कोनों से उठीं और महासागर को उत्ताल तरंगों में उछालने लगीं। समुद्र की लहरें गर्जना कर रही थीं, मानो संसार के सारे रहस्यों को अपने अंदर समेटे हुए हों। तभी, उन्होंने देखा कि उसी समुद्र से चार विशाल और भयानक जानवर एक के बाद एक प्रकट हुए।
**पहला जानवर: सिंह के समान**
पहला जानवर एक सिंह के समान दिखाई दिया, जिसके पंख गिद्ध के पंखों जैसे थे। वह बलवान और प्रतापी था, मानो सारे पृथ्वी पर राज करने के लिए तैयार हो। किंतु दानिय्येल ने देखा कि उसके पंख नोच लिए गए, और उसे मनुष्य के समान खड़ा कर दिया गया। यह बाबुल के साम्राज्य का प्रतीक था, जो शक्तिशाली था, परंतु अंत में उसका अहंकार उसके पतन का कारण बना।
**दूसरा जानवर: भालू के समान**
दूसरा जानवर एक भालू जैसा था, जो एक ओर उठा हुआ था, मानो किसी को निगलने को तैयार हो। उसके मुंह में पसलियों के तीन टुकड़े दिखाई दिए, और एक स्वर उसे कहता सुनाई दिया, “उठ, और बहुत मांस खा!” यह मादी और फारस के साम्राज्य का प्रतीक था, जो लालची और हिंसक था, जिसने बाबुल को जीतकर अपना विस्तार किया।
**तीसरा जानवर: तेंदुए के समान**
तीसरा जानवर एक तेंदुए के समान था, परंतु उसकी पीठ पर चार पक्षी के पंख थे, और उसके चार सिर थे। वह अत्यंत तेज और चालाक था, जैसे कोई छिपकर शिकार करने वाला हो। यह यूनान के साम्राज्य का प्रतीक था, जो सिकंदर महान के नेतृत्व में तेजी से फैला, किंतु उसकी मृत्यु के बाद चार भागों में बंट गया।
**चौथा जानवर: भयानक और अजीब**
चौथा जानवर सबसे भयानक था। वह पहले तीनों से भिन्न था—उसके लोहे के बड़े-बड़े दांत थे, और वह सब कुछ कुचलकर नष्ट कर देता था। उसके दस सींग थे, और दानिय्येल ने देखा कि एक छोटा सींग उनके बीच में उग आया, जिसमें मनुष्य की आँखें थीं और वह घमंड से भरी बातें कर रहा था। यह रोम साम्राज्य और भविष्य के अत्याचारी शासकों का प्रतीक था, जो परमेश्वर के लोगों को सताएंगे।
**सर्वोच्च न्यायालय का दृश्य**
तभी दानिय्येल ने देखा कि आकाश में सिंहासन स्थापित किए गए, और एक वृद्धजन—अनादि और अनंत परमेश्वर—उस पर विराजमान हुए। उनका वस्त्र हिम के समान श्वेत था, और उनके सिंहासन से आग की ज्वालाएँ निकल रही थीं। हज़ारों स्वर्गदूत उनकी सेवा में खड़े थे, और न्याय की पुस्तकें खोली गईं।
चौथे जानवर का अंत कर दिया गया, और बाकी जानवरों का अधिकार छीन लिया गया, हालाँकि उन्हें कुछ समय के लिए जीवित रहने दिया गया। तब दानिय्येल ने देखा कि मनुष्य के पुत्र के समान एक व्यक्ति आकाश के बादलों के साथ आया, और उसे सर्वशक्तिमान परमेश्वर के सामने लाया गया। उसे सारा अधिकार, महिमा और राज्य दिया गया, और सभी जातियाँ, भाषाएँ और लोग उसकी आराधना करने लगे। उसका राज्य कभी नष्ट नहीं होगा—वह अनन्तकाल तक बना रहेगा।
**दानिय्येल की व्याकुलता और स्वर्गदूत की व्याख्या**
यह दर्शन देखकर दानिय्येल का मन व्याकुल हो उठा। उन्होंने पास खड़े एक स्वर्गदूत से इसका अर्थ पूछा। स्वर्गदूत ने समझाया, “ये चार जानवर चार राजा हैं जो पृथ्वी पर उठेंगे, परंतु सर्वोच्च परमेश्वर के पवित्र लोगों को राज्य मिलेगा, और वे सदा के लिए उसके साथ राज करेंगे।”
दानिय्येल ने छोटे सींग के बारे में पूछा, जो बड़ी बातें बोल रहा था और पवित्र लोगों को सताता था। स्वर्गदूत ने कहा, “वह परमप्रधान के विरुद्ध बोलेगा और संतों को कुचलने का प्रयास करेगा, किंतु न्याय का समय आएगा, और उसका अंत हो जाएगा। परमेश्वर का राज्य सभी मानवीय साम्राज्यों से श्रेष्ठ है और वह सदा बना रहेगा।”
इस दर्शन ने दानिय्येल को गहराई से विचारशील बना दिया। उन्होंने इन बातों को अपने हृदय में छिपा लिया, परमेश्वर की महिमा के बारे में सोचते हुए, जो सभी राजाओं के ऊपर शासन करता है और अपने समय में सच्चा न्याय करेगा।