पवित्र बाइबल

रोमियों 3 की कहानी: सभी ने पाप किया है, पर अनुग्रह है मुक्ति

**रोमियों 3 पर आधारित बाइबल कहानी: सभी ने पाप किया है**

एक समय की बात है, जब प्राचीन रोम नगर में मसीही विश्वासियों का एक छोटा-सा समुदाय रहता था। उनके बीच कई सवाल उठ रहे थे—क्या यहूदी गैर-यहूदियों से बेहतर हैं? क्या व्यवस्था के पालन से कोई धर्मी ठहर सकता है? इन सभी प्रश्नों का उत्तर देने के लिए प्रेरित पौलुस ने उन्हें एक पत्र लिखा, जिसमें उसने परमेश्वर के न्याय और अनुग्रह की गहरी शिक्षा दी।

### **मनुष्य का पाप और परमेश्वर की पवित्रता**

रोम नगर की गलियों में एक बूढ़ा यहूदी रब्बी बैठा था, जो व्यवस्था की पुस्तकों का अध्ययन कर रहा था। उसके पास एक युवक आया और पूछने लगा, “गुरुजी, क्या हम यहूदी परमेश्वर के चुने हुए लोग नहीं हैं? फिर क्या हमारे पास विशेषाधिकार नहीं है?”

रब्बी ने गहरी सांस ली और कहा, “हमें निश्चित रूप से बड़ी आशीषें मिली हैं। परमेश्वर ने हमें अपनी व्यवस्था दी, अपनी प्रतिज्ञाएँ दीं, और अपने वचन की जिम्मेदारी सौंपी। लेकिन याद रखो, केवल यहूदी होने से कोई धर्मी नहीं ठहरता।”

युवक हैरान हुआ, “लेकिन फिर क्या परमेश्वर हमारे पापों को नज़रअंदाज़ कर देगा?”

रब्बी ने पौलुस के शब्दों को दोहराते हुए कहा, “नहीं, बिल्कुल नहीं। पवित्र शास्त्र कहता है—’कोई धर्मी नहीं, एक भी नहीं। कोई समझदार नहीं, कोई परमेश्वर का खोजने वाला नहीं। सभी भटक गए हैं, सब के सब निकम्मे हो गए हैं, कोई भी भलाई करने वाला नहीं, एक भी नहीं।'” (रोमियों 3:10-12)

### **सच्चाई का सामना**

उसी शहर में एक गैर-यहूदी व्यापारी रहता था, जो धन और सुख-सुविधाओं में डूबा हुआ था। वह मानता था कि अच्छे कर्मों से वह परमेश्वर को प्रसन्न कर सकता है। एक दिन, उसने मसीही प्रचारकों को सुना, जो कह रहे थे, “सभी ने पाप किया है और परमेश्वर की महिमा से रहित हैं।” (रोमियों 3:23)

व्यापारी ने सोचा, “मैंने तो कभी किसी की हत्या नहीं की, न ही चोरी की। मैं दान देता हूँ, तो मैं पापी कैसे हुआ?”

तभी एक मसीही बुजुर्ग ने उससे कहा, “भाई, परमेश्वर की दृष्टि में घमंड, लालच, झूठ और स्वार्थ भी पाप हैं। क्या तुमने कभी झूठ नहीं बोला? कभी किसी से ईर्ष्या नहीं की? यदि हम अपने हृदय की गहराई में देखें, तो पाएँगे कि हम सब अपूर्ण हैं।”

व्यापारी का सिर झुक गया। उसे एहसास हुआ कि वह भी पाप के दोषी हैं।

### **अनुग्रह ही आशा है**

रोम के एक छोटे-से घर में मसीही विश्वासी इकट्ठा हुए और पौलुस का पत्र पढ़ा:

_”परन्तु अब व्यवस्था से अलग हुए, परमेश्वर का वह धार्मिकता प्रगट हुई है, जिसकी गवाही व्यवस्था और भविष्यद्वक्ताओं की पुस्तकों ने दी है। यह धार्मिकता परमेश्वर की ओर से आती है, यीशु मसीह पर विश्वास करने से, उन सब के लिए जो विश्वास करते हैं।”_ (रोमियों 3:21-22)

एक स्त्री, जिसका जीवन पापों से भरा था, रोने लगी। “तो क्या मेरे पापों की क्षमा हो सकती है?”

प्रचारक ने उत्तर दिया, “हाँ! यीशु ने क्रूस पर अपना लहू बहाया, जो हमारे सारे पापों को धो देता है। यह हमारे कर्मों के कारण नहीं, बल्कि उसके अनुग्रह के कारण है।”

### **निष्कर्ष: विश्वास से धर्मी ठहरना**

रब्बी, व्यापारी और पाप से त्रस्त स्त्री—सभी ने समझा कि मनुष्य के अपने प्रयासों से कोई धर्मी नहीं हो सकता। परमेश्वर ने यीशु मसीह के बलिदान के द्वारा एक मार्ग बनाया है, जहाँ विश्वास करने वाला हर कोई उद्धार पा सकता है।

जैसे पौलुस ने लिखा:

_”क्योंकि हम जानते हैं कि मनुष्य व्यवस्था के कामों के बिना विश्वास से धर्मी ठहरता है।”_ (रोमियों 3:28)

और इस प्रकार, रोम के उन विश्वासियों ने जाना कि न तो यहूदी, न गैर-यहूदी, बल्कि केवल मसीह में विश्वास ही सच्ची मुक्ति का मार्ग है।

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