**भजन 70 पर आधारित एक विस्तृत कहानी**
**शीर्षक: “दीन-हीन की पुकार और परमेश्वर की शीघ्र सहायता”**
प्राचीन समय में यरूशलेम के पास एक छोटे से गाँव में दाऊद नाम का एक वृद्ध व्यक्ति रहता था। वह परमेश्वर का बहुत बड़ा भक्त था और अपने जीवन में कई बार उसने यहोवा की सामर्थ और करुणा का अनुभव किया था। लेकिन अब वह बुढ़ापे और कमजोरी के कारण बहुत दीन-हीन अवस्था में था। उसके चारों ओर शत्रु घेरा डाले हुए थे, जो उसकी निर्बलता का लाभ उठाकर उसे हानि पहुँचाना चाहते थे।
एक दिन, जब दाऊद अपनी कुटिया में बैठा हुआ था, तो उसने बाहर से हँसी और तानों की आवाजें सुनीं। उसके पड़ोसी, जो उसकी भक्ति का मजाक उड़ाते थे, उसके दरवाजे पर आकर चिल्ला रहे थे, “हे दाऊद, तेरा परमेश्वर कहाँ है? क्या अब वह तेरी सुनने से इनकार कर देगा?” दाऊद का हृदय दुख से भर गया, लेकिन उसने अपनी आँखें आकाश की ओर उठाईं और प्रार्थना करने लगा।
**दाऊद की पुकार**
उसने परमेश्वर से विनती की, “हे यहोवा, मुझे बचाने के लिए शीघ्र आ! हे प्रभु, मेरी सहायता करने में देर न कर! मेरे प्राण लेने की इच्छा रखने वाले लज्जित और निराश हों। जो मेरी हानि चाहते हैं, वे पीछे हटें और अपमानित हों। जो मुझे चिढ़ाते हैं, उन्हें अपने कुकर्मों के कारण लज्जा का भागी होना पड़े।”
दाऊद की आवाज काँप रही थी, लेकिन उसकी प्रार्थना में विश्वास की गहरी निश्चयता थी। वह जानता था कि परमेश्वर ने उसे कभी नहीं छोड़ा और न ही अब छोड़ेगा। उसने अपने मन में उन पलों को याद किया जब परमेश्वर ने उसे शेर और भालू के पंजों से बचाया था, जब वह युवा था। अब भी वह विश्वास करता था कि परमेश्वर उसकी सुनेंगे।
**परमेश्वर का उत्तर**
उसी रात, जब दाऊद सो रहा था, उसे एक स्वप्न दिखाई दिया। उसने देखा कि एक प्रकाशमान दूत उसके सामने खड़ा है और कहता है, “दाऊद, परमेश्वर ने तेरी विनती सुन ली है। वह तेरे लिए लड़ेगा और तेरे शत्रुओं को शर्मिंदा करेगा। तू चिंता न कर, क्योंकि यहोवा तेरा ढाल और तेरा बचाव करने वाला है।”
दाऊद नींद से जाग गया और उसका हृदय आनंद से भर गया। उसने परमेश्वर का धन्यवाद दिया और भजन गाने लगा, “हे यहोवा, तू महान है! तू दीन-हीन की पुकार सुनता है और उसकी रक्षा करता है।”
**शत्रुओं की पराजय**
अगले ही दिन, गाँव के लोगों ने देखा कि दाऊद के पड़ोसियों के घरों में अचानक आग लग गई। जो लोग उसका उपहास उड़ा रहे थे, वे अपने ही कर्मों के कारण संकट में फँस गए। कुछ लोग बीमार पड़ गए, तो कुछ के खेत सूख गए। लोगों ने समझ लिया कि यह परमेश्वर का हाथ है और वे डर गए। वे दाऊद के पास आए और क्षमा माँगने लगे।
दाऊद ने उन्हें दिल से माफ कर दिया और कहा, “परमेश्वर दयालु है। यदि तुम सच्चे मन से पश्चाताप करो, तो वह तुम्हें भी क्षमा करेगा।” उस दिन के बाद से, गाँव में शांति छा गई और दाऊद फिर से सुरक्षित और प्रसन्न होकर रहने लगा।
**उपसंहार**
इस कहानी से हम सीखते हैं कि परमेश्वर अपने भक्तों की पुकार को कभी नहीं भूलते। वे संकट के समय शीघ्र सहायता करते हैं और अपने लोगों को शत्रुओं से बचाते हैं। भजन 70 की यह घटना हमें याद दिलाती है कि हमें हर परिस्थिति में परमेश्वर पर भरोसा रखना चाहिए, क्योंकि वही हमारा सच्चा सहारा और उद्धारकर्ता है।
“हे यहोवा, मुझे बचाने के लिए शीघ्र आ!” — यही प्रार्थना हर विपत्ति में हमारी आशा और शक्ति बन सकती है।