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यिर्मयाह का संदेश और सिदकिय्याह की चेतावनी

**यिर्मयाह 27: यहोवा का संदेश और यहूदा के राजा सिदकिय्याह के लिए चेतावनी**

उस समय यिर्मयाह नबी के माध्यम से यहोवा का वचन यहूदा के राजा सिदकिय्याह के पास पहुँचा। यह वह समय था जब बाबेल के शक्तिशाली राजा नबूकदनेस्सर ने यरूशलेम पर अपना प्रभुत्व जमा लिया था। यहूदा के लोग भयभीत थे, और राजा सिदकिय्याह अपने आसपास के देशों के राजाओं के साथ मिलकर बाबेल के विरुद्ध विद्रोह की योजना बना रहा था।

### **यिर्मयाह का प्रतीकात्मक कार्य**

यहोवा ने यिर्मयाह से कहा, “जाओ और अपने गले में लकड़ी के जुए की रस्सियाँ बाँध लो। फिर उन्हें यहूदा के राजाओं, एदोम के राजाओं, मोआब के राजाओं, अम्मोन के राजाओं, तूर के राजाओं और सीदोन के राजाओं के पास भेजो। यह संदेश उनके दूतों के माध्यम से पहुँचाओ जो यरूशलेम में सिदकिय्याह से मिलने आए हैं।”

यिर्मयाह ने वैसा ही किया। उसने एक मजबूत लकड़ी का जुआ तैयार किया और उसे अपने गले में धारण कर लिया। फिर उसने राजा सिदकिय्याह और अन्य राजाओं के दूतों के सामने खड़े होकर यहोवा का संदेश सुनाया:

“इस्राएल का परमेश्वर, सेनाओं का यहोवा, यह कहता है: ‘मैंने नबूकदनेस्सर, बाबेल के राजा को इस पृथ्वी पर सारे जानवरों, आकाश के पक्षियों और मनुष्यों पर अधिकार दिया है। अब वही सभी राष्ट्रों पर शासन करेगा। जो कोई उसके जुए के नीचे नहीं झुकेगा, उसे मैं तलवार, अकाल और महामारी से दण्ड दूँगा।'”

### **झूठे नबियों की चेतावनी**

यिर्मयाह ने आगे कहा, “इन राजाओं के नबी तुमसे झूठ बोल रहे हैं। वे कहते हैं कि तुम्हें बाबेल के राजा की सेवा नहीं करनी चाहिए, परन्तु यह सच नहीं है। यदि तुम उनकी बात मानोगे, तो तुम्हारा विनाश निश्चित है। परन्तु यदि तुम नबूकदनेस्सर के आगे झुक जाओगे और उसकी सेवा करोगे, तो तुम जीवित रहोगे। यहोवा की यही इच्छा है।”

राजा सिदकिय्याह और उसके दरबारियों के चेहरे पर भय और संदेह के भाव उभर आए। कुछ ने यिर्मयाह की बातों को गंभीरता से लिया, परन्तु अधिकांश ने उसकी चेतावनी को नजरअंदाज कर दिया।

### **यहोवा का अंतिम निर्णय**

यिर्मयाह ने फिर यहोवा के वचन को दोहराया: “यदि कोई राष्ट्र या राज्य बाबेल के राजा की सेवा नहीं करेगा, तो मैं उसे तब तक दण्ड देता रहूँगा जब तक कि वह नष्ट न हो जाए। इसलिए, उन झूठे नबियों की न सुनो जो कहते हैं कि बाबेल का राज्य कभी तुम पर शासन नहीं करेगा। वे तुम्हें धोखा दे रहे हैं!”

यिर्मयाह ने अपने गले से जुआ उतारकर उसे तोड़ दिया और घोषणा की, “यहोवा यह कहता है: ‘जिस प्रकार मैंने यह जुआ तोड़ा है, उसी प्रकार मैं नबूकदनेस्सर का जुआ भी तोड़ दूँगा, परन्तु यह तभी होगा जब उसका समय पूरा हो जाएगा। तब तक, सभी राष्ट्रों को उसकी अधीनता स्वीकार करनी होगी।'”

### **परिणाम की ओर**

राजा सिदकिय्याह और उसके सलाहकारों ने यिर्मयाह की बात नहीं मानी। उन्होंने बाबेल के विरुद्ध विद्रोह करने की योजना बनाई, और इसका परिणाम विनाशकारी हुआ। यरूशलेम नष्ट हो गया, मन्दिर जलकर राख हो गया, और यहूदा के लोग बंधुआई में ले जाए गए।

यिर्मयाह का संदेश स्पष्ट था: **यहोवा की आज्ञा मानो और जीवित रहो, नहीं तो विनाश तुम्हारी प्रतीक्षा कर रहा है।** परन्तु लोगों ने उसकी चेतावनी को अनसुना कर दिया, और इस प्रकार, उन्हें अपनी अवज्ञा का मूल्य चुकाना पड़ा।

इस कहानी से हमें सीख मिलती है कि परमेश्वर के वचन को गंभीरता से लेना चाहिए, भले ही वह हमारी इच्छाओं के विपरीत क्यों न हो। उसकी आज्ञाकारिता ही सच्ची बुद्धिमानी है।

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