**1 तीमुथियुस 5 पर आधारित बाइबल कथा**
**शीर्षक: विधवाओं की देखभाल और सम्मान**
एक समय की बात है, जब प्रेरित पौलुस ने अपने आत्मिक पुत्र तीमुथियुस को एक पत्र लिखा, जिसमें उसने मसीही समुदाय के भीतर विभिन्न लोगों के प्रति उचित व्यवहार के बारे में महत्वपूर्ण निर्देश दिए। इनमें से एक विशेष निर्देश विधवाओं के बारे में था।
### **विधवाओं का सम्मान**
तीमुथियुस एफिसुस की कलीसिया का नेतृत्व कर रहा था, जहाँ कई विधवाएँ रहती थीं। कुछ विधवाएँ वृद्ध थीं, जिनके पास कोई सहारा नहीं था, तो कुछ युवा थीं, जो अभी जीवन के संघर्षों से जूझ रही थीं। पौलुस ने तीमुथियुस को स्पष्ट निर्देश दिया कि विधवाओं के साथ कैसा व्यवहार किया जाना चाहिए।
“तीमुथियुस,” पौलुस ने लिखा, “विधवाओं का सम्मान करो, खासकर वे जो सचमुच अकेली और परमेश्वर पर निर्भर हैं। उनकी सहायता करना कलीसिया का कर्तव्य है, क्योंकि परमेश्वर पिता अनाथों और विधवाओं का सहारा है।”
### **कौन सी विधवाएँ सहायता के योग्य हैं?**
पौलुस ने समझाया कि हर विधवा को कलीसिया की सहायता नहीं मिलनी चाहिए। कुछ विधवाओं के बच्चे या नाती-पोते होते हैं, जिन्हें अपनी माताओं और दादी की देखभाल करनी चाहिए। “यह परमेश्वर को स्वीकार्य है,” पौलुस ने लिखा। “अगर कोई विधवा के परिवार वाले उसकी ज़िम्मेदारी लेते हैं, तो कलीसिया को अन्य विधवाओं पर ध्यान देना चाहिए जिनका कोई नहीं है।”
उसने एक उदाहरण दिया: “एक विधवा जिसके बच्चे हैं, उन्हें चाहिए कि वे अपनी माँ के प्रति कृतज्ञता दिखाएँ और उसकी आवश्यकताओं को पूरा करें। यही सच्ची भक्ति है।”
### **वास्तविक विधवा कौन है?**
पौलुस ने तीमुथियुस को बताया कि असली विधवा वह है जो अकेली है, परमेश्वर पर भरोसा रखती है, और रात-दिन प्रार्थना और विनती में लगी रहती है। लेकिन जो विधवा सुख-विलास में डूबी रहती है, वह जीते जी मर चुकी है।
“तीमुथियुस, ऐसी विधवाओं को चेतावनी दो कि वे अपना जीवन सुधारें, नहीं तो उनकी आदतें उन्हें बुराई की ओर ले जाएँगी,” पौलुस ने लिखा।
### **युवा विधवाओं के बारे में सलाह**
युवा विधवाओं के बारे में पौलुस ने विशेष निर्देश दिए। “युवा विधवाओं को दोबारा विवाह करना चाहिए, बच्चे पैदा करने चाहिए, और अपने घर की अच्छी देखभाल करनी चाहिए,” उसने लिखा। “अगर वे ऐसा नहीं करतीं, तो आलस और फिजूलखर्ची के कारण वे चुगलखोरी करने लगती हैं और दूसरों के घरों में दखल देती हैं।”
उसने कहा कि कुछ युवा विधवाएँ जो वास्तव में सेवा करना चाहती हैं, उन्हें कलीसिया की सूची में नामांकित किया जा सकता है, लेकिन उनकी आयु और चरित्र का ध्यान रखना आवश्यक है।
### **प्राचीनों का सम्मान**
पौलुस ने तीमुथियुस को यह भी याद दिलाया कि कलीसिया के बुजुर्गों, विशेषकर वे जो अच्छी तरह से सेवा करते हैं, उनका दोगुना सम्मान किया जाना चाहिए। “जो प्राचीन वचन और शिक्षा में परिश्रम करते हैं, उन्हें उचित मजदूरी मिलनी चाहिए,” उसने लिखा।
लेकिन अगर किसी प्राचीन के विरुद्ध कोई शिकायत हो, तो दो या तीन गवाहों के बिना उसे दोषी न ठहराया जाए। “पाप को सबके सामने प्रकट करो, ताकि दूसरे भी डरें,” पौलुस ने कहा।
### **अंतिम चेतावनी**
अपने पत्र के अंत में, पौलुस ने तीमुथियुस को चेतावनी दी: “किसी को जल्दबाजी में अभिषेक न करो, न ही दूसरों के पापों में भागीदार बनो। अपनी पवित्रता बनाए रखो।”
इस तरह, पौलुस ने तीमुथियुस को विधवाओं, प्राचीनों और पूरी कलीसिया के प्रति उचित नेतृत्व का मार्गदर्शन दिया। तीमुथियुस ने इन निर्देशों को गंभीरता से लिया और एफिसुस की कलीसिया को परमेश्वर के अनुसार चलाने का प्रयास किया।
**समाप्त।**