# **विश्वास का वाचा: अब्राहम और परमेश्वर की प्रतिज्ञा**
(उत्पत्ति 15 पर आधारित)
सूरज अस्ताचल की ओर झुक रहा था, और आकाश में सुनहरी और लालिमा छा रही थी। माम्रे की तराई में अब्राम (जिसे परमेश्वर ने बाद में अब्राहम नाम दिया) अपने तम्बू के बाहर बैठा हुआ था। उसके मन में कई प्रश्न उमड़-घुमड़ रहे थे। वर्षों पहले, परमेश्वर ने उसे अपने देश और कुटुम्ब को छोड़कर एक अनजान भूमि की ओर चलने को कहा था, और वादा किया था कि उसके वंश से एक महान जाति उत्पन्न होगी। किन्तु अब तक, अब्राम और साराई के कोई संतान नहीं थी। उम्र बढ़ती जा रही थी, और मानो समय उनके हाथ से रेत की तरह फिसलता जा रहा था।
तभी, अचानक, परमेश्वर का वचन अब्राम के पास आया। उसकी आत्मा में एक गहरी शांति छा गई, जैसे कोई मधुर संगीत उसके हृदय को छू गया हो। परमेश्वर ने उससे कहा, **”हे अब्राम, मत डर; मैं तेरी ढाल हूँ, और तेरा बहुत ही बड़ा फल मिलेगा।”**
अब्राम ने सिर झुकाकर परमेश्वर की आराधना की। किन्तु फिर भी, उसके मन में एक प्रश्न उठा। उसने कहा, **”हे प्रभु यहोवा, तू मुझे क्या देगा? मैं तो निःसंतान हूँ, और मेरे घर का मालिक तो दमिश्क का एलीएजर है!”** अब्राम ने अपनी आँखें उठाकर आकाश की ओर देखा, मानो वह परमेश्वर के मुख से कोई उत्तर ढूँढ रहा हो।
तब परमेश्वर ने उससे कहा, **”यह तेरा वारिस नहीं होगा, परन्तु जो तेरे अपने शरीर से उत्पन्न होगा, वही तेरा वारिस होगा।”** फिर उसने अब्राम को बाहर ले जाकर आकाश की ओर देखने को कहा। **”अब आकाश के तारों को गिन, क्या तू उन्हें गिन सकता है? तेरे वंश भी ऐसे ही असंख्य होंगे!”**
अब्राम ने आकाश की ओर देखा, जहाँ अनगिनत तारे टिमटिमा रहे थे। उसका हृदय विश्वास से भर गया। उसने परमेश्वर की बात पर भरोसा किया, और परमेश्वर ने उसके इस विश्वास को उसके लेखे में धर्म गिना।
फिर अब्राम ने पूछा, **”हे प्रभु, मैं कैसे जानूँ कि मैं इस देश का अधिकारी होऊँगा?”**
तब परमेश्वर ने उससे एक विचित्र आज्ञा दी। उसने कहा, **”मेरे लिए एक गाय, एक बकरी, एक भेड़, एक कबूतर और एक पिण्डुक ले आ।”** अब्राम ने तुरंत यह सब लाकर उन्हें बीच से चीरकर अलग-अलग रख दिया, केवल पक्षियों को नहीं चीरा।
सूरज डूब गया, और गहरा अंधकार छा गया। अब्राम को नींद आने लगी, और तभी एक भयानक अन्धकार उस पर छा गया। परमेश्वर ने उसे भविष्य के बारे में बताया: **”तू निश्चय जान कि तेरा वंश परदेश में पराए देश में रहेगा, और वे उनकी दासता करेंगे, और उन्हें चार सौ वर्ष तक दुःख देंगे… परन्तु चौथी पीढ़ी में वे यहाँ लौट आएँगे।”**
तभी, धुएँ की एक लपट और आग की एक जलती हुई मशाल प्रकट हुई, जो टुकड़ों के बीच से गुज़री। यह परमेश्वर की उपस्थिति का प्रतीक था। फिर परमेश्वर ने अब्राम से वाचा बाँधी और कहा: **”मैं यह देश तेरे वंश को देता हूँ, नदी से लेकर नहर तक, कनानियों, किन्नियों, कद्मोनियों, हित्तियों, परिज्जियों, रपाइयों, एमोरियों, गिर्गाशियों और यबूसियों का देश।”**
अब्राम ने अपने चेहरे को भूमि पर झुकाया। उसका हृदय आनन्द और श्रद्धा से भर गया। परमेश्वर ने न केवल उसे एक पुत्र का वादा किया था, बल्कि उसके बाद की पीढ़ियों के लिए एक स्थायी विरासत भी दी थी।
उस रात के बाद, अब्राम का विश्वास और दृढ़ हो गया। वह जानता था कि परमेश्वर की प्रतिज्ञाएँ निष्फल नहीं होतीं। भले ही मानवीय दृष्टि में सब कुछ असंभव लगे, परन्तु परमेश्वर के लिए कुछ भी असंभव नहीं है।
और इस प्रकार, अब्राम और परमेश्वर के बीच यह पवित्र वाचा स्थापित हुई, जो आगे चलकर इस्त्राएल के इतिहास और मुक्ति की योजना का आधार बनी।