पवित्र बाइबल

रानी एस्तेर का साहस और हामान की योजना

**एस्तेर की कहानी: अध्याय 5**

राजा अहश्वेरोश के समय में, शूशन नगर की राजधानी में एक यहूदी युवती एस्तेर, जो अब रानी बन चुकी थी, अपने लोगों के लिए बड़े संकट में थी। हामान, राजा का प्रधानमंत्री, सभी यहूदियों को मार डालने की योजना बना रहा था, क्योंकि एस्तेर के पालक पिता मोर्दकै ने उसके सामने झुकने से इनकार कर दिया था। हामान ने राजा से यहूदियों के विनाश के लिए आज्ञा ले ली थी, और अब समय बहुत कम बचा था।

एस्तेर ने मोर्दकै के शब्दों को याद किया: *”अगर तू इस समय चुप रही, तो यहूदियों को कहीं और से छुटकारा मिलेगा, पर तू और तेरे पिता का घर नाश हो जाएगा। कौन जानता है कि तू इसी समय के लिए रानी बनी है?”* (एस्तेर 4:14)। इन शब्दों ने उसके हृदय में साहस भर दिया। उसने निश्चय किया कि वह राजा के पास जाएगी, भले ही उसकी मृत्यु ही क्यों न हो जाए।

### **एस्तेर का राजा के सामने प्रवेश**

तीन दिन के उपवास और प्रार्थना के बाद, एस्तेर ने अपने सबसे सुंदर वस्त्र पहने और राजमहल के आँगन में खड़ी हो गई। राजा सिंहासन पर बैठा था, सोने और मणियों से जड़ित उसका सिंहासन चमक रहा था। जैसे ही उसकी नज़र एस्तेर पर पड़ी, राजा का हृदय प्रसन्न हो गया। उसने अपने हाथ में पकड़े हुए सोने के राजदंड को एस्तेर की ओर बढ़ाया। एस्तेर ने आगे बढ़कर राजदंड को छुआ, और राजा ने उससे पूछा, *”हे रानी एस्तेर, तुम्हारी क्या इच्छा है? यद्यपि मेरे राज्य का आधा भाग भी माँगो, तो वह तुम्हें दिया जाएगा।”*

एस्तेर ने विनम्रता से सिर झुकाया और कहा, *”यदि राजा को प्रसन्नता हो, तो आज मैं चाहती हूँ कि राजा और हामान मेरे साथ उस भोज में आएँ, जो मैंने तैयार किया है।”*

राजा ने तुरंत हामान को बुलवाया, और दोनों एस्तेर के भोज में पहुँचे। महल का वह कक्ष सुगंधित फूलों और महीन सुगंध से भरा हुआ था। मेज़ पर स्वर्ण पात्रों में स्वादिष्ट भोजन और मीठी शराब परोसी गई थी। राजा ने फिर एस्तेर से पूछा, *”तुम्हारी माँग क्या है? मैं तुम्हारी इच्छा पूरी करूँगा।”*

एस्तेर ने गहरी साँस ली और कहा, *”यदि राजा को प्रसन्नता हो, तो कल फिर मेरे भोज में पधारें, और तब मैं अपनी विनती राजा के सामने रखूँगी।”*

### **हामान का घमंड और मोर्दकै से घृणा**

हामान उस दिन बहुत प्रसन्न था। रानी के भोज में केवल वही राजा के साथ आमंत्रित था! लेकिन जैसे ही वह महल से बाहर निकला, उसने मोर्दकै को राजद्वार पर बैठे देखा, जो उसके सामने नहीं झुका। हामान का क्रोध भड़क उठा, पर उसने अपने आप को संयत किया।

घर पहुँचकर उसने अपने मित्रों और पत्नी ज़ेरेश को बुलाया और अपनी समृद्धि का वर्णन किया। *”मैं राजा का प्रिय हूँ, रानी ने आज केवल मुझे और राजा को ही भोज के लिए बुलाया, और कल फिर मैं उनके साथ भोज करूँगा!”*

लेकिन उसका चेहरा उदास हो गया जब उसने कहा, *”पर जब तक यह यहूदी मोर्दकै राजद्वार पर बैठा रहता है, मुझे कोई आनंद नहीं आता!”*

उसकी पत्नी और मित्रों ने सलाह दी, *”एक पचास हाथ ऊँचा फाँसी का फंदा बनवाओ, और कल सुबह राजा से कहकर मोर्दकै को उस पर लटका दो। फिर तुम खुशी से राजा के साथ भोज में जाना।”*

हामान को यह सुझाव पसंद आया। उसने तुरंत लकड़हारों को बुलवाया और फंदा तैयार करवा दिया। वह मन ही मन मोर्दकै की मृत्यु की कल्पना करके प्रसन्न हो रहा था।

### **परमेश्वर की योजना**

लेकिन हामान नहीं जानता था कि उसी रात, राजा को नींद नहीं आई। उसने अपने सेवकों को इतिहास की पुस्तकें लाकर पढ़ने को कहा। जब सेवकों ने पढ़ा कि कैसे मोर्दकै ने राजा की हत्या की साजिश का पर्दाफाश किया था, राजा ने पूछा, *”इसके लिए मोर्दकै को क्या सम्मान दिया गया?”*

सेवकों ने उत्तर दिया, *”कुछ नहीं, महाराज।”*

राजा ने सोचा, *”इस व्यक्ति ने मेरी जान बचाई, और मैंने उसे कुछ भी नहीं दिया?”*

उसी समय, हामान राजद्वार पर आ पहुँचा, ताकि मोर्दकै को फाँसी देने की अनुमति माँग सके। लेकिन परमेश्वर की योजना कुछ और ही थी…

(कहानी जारी रहेगी…)

इस प्रकार, एस्तेर अध्याय 5 में हम देखते हैं कि कैसे परमेश्वर चुपचाप कार्य कर रहा है, अपने लोगों की रक्षा के लिए योजना बना रहा है। एस्तेर का साहस, हामान का घमंड, और मोर्दकै की वफादारी—ये सभी परमेश्वर की महान योजना का हिस्सा हैं।

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