पवित्र बाइबल

राजा योशिय्याह और परमेश्वर की खोई हुई व्यवस्था की पुस्तक

**राजा योशिय्याह और हिलकिय्याह की खोज**

यहूदा के राज्य में यरूशलेम शहर सुनहरी धूप में नहाया हुआ था। राजा योशिय्याह, जो केवल आठ वर्ष का था जब वह राजा बना, अब पच्चीस वर्ष का युवा और परमेश्वर की दृष्टि में सीधे मार्ग पर चलने वाला शासक था। उसके हृदय में यहोवा के प्रति गहरी भक्ति थी, और वह अपने पूर्वज दाऊद के मार्ग पर चलने का प्रयास करता था।

एक दिन, राजा ने महल के बाहर मंदिर की ओर देखा, जो कालांतर में उपेक्षित हो गया था। दीवारों पर धूल जमी थी, और फर्श पर पत्तियाँ बिखरी पड़ी थीं। योशिय्याह का हृदय दुखी हुआ। उसने अपने दरबारी शफन को बुलाया, जो एक विश्वासपात्र सेवक था, और आज्ञा दी, *”मंदिर की मरम्मत का कार्य आरंभ करो। याजक हिलकिय्याह को बुलाओ और उन लोगों को इकट्ठा करो जो परमेश्वर के घर की देखभाल करने के लिए तैयार हैं।”*

शफन ने तुरंत हिलकिय्याह को सूचना दी, और वे मजदूरों, बढ़ईयों और राजगीरों को इकट्ठा करने लगे। मंदिर के भीतर काम शुरू हुआ। पुराने पत्थरों को हटाया गया, लकड़ी के सड़े हुए हिस्सों को बदला गया, और स्वर्ण आभूषणों को चमकाया गया। तभी, एक दिन, हिलकिय्याह ने मंदिर के एक कोने में धूल से ढकी हुई एक प्राचीन पुस्तक देखी। उसने उसे उठाया और धीरे से झाड़कर देखा—यह *व्यवस्था की पुस्तक* थी, जिसे मूसा ने लिखा था!

हिलकिय्याह का हाथ काँप उठा। उसने तुरंत शफन को बुलाया और कहा, *”मैंने मंदिर में परमेश्वर की व्यवस्था की पुस्तक पाई है!”* शफन ने पुस्तक को ध्यान से लिया और राजा के पास गया। उसने राजा के सामने पुस्तक खोली और उसके वचन पढ़ने लगा।

योशिय्याह ने जैसे ही परमेश्वर के वचन सुने, उसका हृदय विचलित हो उठा। पुस्तक में लिखी चेतावनियाँ और आज्ञाएँ उसके कानों में गूँजने लगीं। उसने अपने वस्त्र फाड़ डाले, क्योंकि उसे एहसास हुआ कि उसके पूर्वजों ने परमेश्वर की आज्ञाओं की अवहेलना की थी, और इसी कारण यहूदा पर विपत्ति आ सकती थी।

राजा ने तुरंत हिलकिय्याह, शफन और अन्य याजकों को आज्ञा दी, *”जाओ और हुलदा नबिया से पूछो, जो यरूशलेम में रहती है। परमेश्वर के इन वचनों के बारे में उसकी प्रतिक्रिया जानो। क्या यह सच है कि हमारे पापों के कारण हम पर क्रोध आएगा?”*

हिलकिय्याह और शफन हुलदा के पास गए, जो एक बुद्धिमान और परमेश्वर की आत्मा से भरी हुई स्त्री थी। उसने उन्हें सुनकर कहा, *”यहोवा यह कहता है: देखो, मैं इस स्थान और इसके निवासियों पर विपत्ति लाऊँगा, क्योंकि उन्होंने मुझे त्याग दिया है और दूसरे देवताओं को चढ़ावा चढ़ाया है। परन्तु राजा योशिय्याह के विषय में, क्योंकि उसका हृदय नम्र हुआ और उसने मेरे वचनों को सुना, इसलिए वह शांति से अपनी कब्र में जाएगा और यह विपत्ति उसके दिनों में नहीं आएगी।”*

जब यह संदेश राजा के पास पहुँचा, तो उसने सभा बुलाई और सारे यहूदा और यरूशलेम के लोगों को इकट्ठा किया। मंदिर के सामने खड़े होकर, उसने परमेश्वर की व्यवस्था की पुस्तक को सबके सामने पढ़ा। फिर उसने एक वाचा बाँधी कि वह यहोवा की आज्ञाओं का पालन करेगा और उसके सभी नियमों और विधियों के अनुसार चलेगा। सारे लोगों ने भी इस वाचा में भाग लिया।

योशिय्याह ने तुरंत सभी मूर्तियों और मूर्तिपूजा के स्थानों को नष्ट करने का आदेश दिया। उसने यहोवा के लिए एक महान फसह का पर्व मनाया, जैसा कि व्यवस्था की पुस्तक में लिखा था। यरूशलेम में फिर से परमेश्वर की आराधना का स्वर गूँज उठा।

इस प्रकार, योशिय्याह ने यहूदा को परमेश्वर की ओर लौटाया। उसकी खोज और उसकी आज्ञाकारिता ने सिद्ध किया कि जब मनुष्य परमेश्वर के वचन को सुनता और उसका पालन करता है, तो वह उसे आशीष देता है। योशिय्याह का शासनकाल परमेश्वर की महिमा और उसकी व्यवस्था की पुनर्स्थापना के लिए याद किया जाता है।

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