पवित्र बाइबल

धन का मिथ्या विश्वास और परमेश्वर की सच्ची महिमा

**भजन संहिता 49 पर आधारित एक विस्तृत कहानी**

**शीर्षक: “धन का मिथ्या विश्वास और परमेश्वर की सच्ची महिमा”**

प्राचीन समय में यरूशलेम के पास एक छोटे से गाँव में दो भाई रहते थे। बड़े भाई का नाम एलीआव और छोटे भाई का नाम योनातान था। एलीआव बहुत धनी था। उसके पास विशाल खेत, ढेर सारे मवेशी और सेवकों की एक बड़ी संख्या थी। वह अपने धन पर इतना गर्व करता था कि उसे लगता था कि उसकी समृद्धि कभी खत्म नहीं होगी। वह अक्सर अपने छोटे भाई को ताना देता, “देखो योनातान, तुम्हारी सादगी और ईमानदारी से क्या मिला? मेरे जैसा धनवान बनो, तभी जीवन सुखद होगा।”

योनातान गरीब था, लेकिन वह परमेश्वर में गहरी आस्था रखता था। वह प्रतिदिन भजन संहिता का पाठ करता और परमेश्वर की स्तुति में समय बिताता। एक दिन, जब वह भजन 49 पढ़ रहा था, तो उसने इन शब्दों पर ध्यान दिया:

*”धन पर भरोसा रखने वाले मूर्ख हैं, क्योंकि कोई भी अपने धन से अपनी जान नहीं बचा सकता। वे तो मृत्यु में गिरेंगे और अपना सब कुछ छोड़ जाएंगे।”*

योनातान ने सोचा कि क्या उसका भाई एलीआव भी इसी चेतावनी को अनदेखा कर रहा है? उसने एलीआव से बात करने का निश्चय किया।

एक शाम, जब एलीआव अपने महलनुमा घर में विलासिता में डूबा हुआ था, योनातान वहाँ पहुँचा और बोला, “भैया, क्या तुमने कभी भजन संहिता की बातें सोची हैं? परमेश्वर कहता है कि धन हमें मृत्यु से नहीं बचा सकता। हमें उस पर भरोसा करना चाहिए जो सच्चा जीवन देता है।”

एलीआव हँस पड़ा, “योनातान, तुम हमेशा इन बेकार की बातों में उलझे रहते हो। देखो मेरे पास कितना कुछ है! मैं जब चाहूँ, जैसा चाहूँ, जीवन जी सकता हूँ। मृत्यु की चिंता मूर्खों के लिए है।”

योनातान ने दुखी होकर कहा, “लेकिन भैया, धन तो क्षणभंगुर है। जिस दिन तुम्हारी आत्मा परमेश्वर के सामने खड़ी होगी, तब ये सब धन किस काम आएगा?”

एलीआव ने उसकी बात को नज़रअंदाज़ कर दिया।

कुछ समय बाद, एक भयानक अकाल पड़ा। पूरे देश में अन्न की कमी हो गई। एलीआव ने सोचा कि वह अपने धन से अनाज खरीद लेगा, लेकिन बाज़ार में अनाज का दाम आसमान छूने लगा। उसके सारे धन का कोई मोल न रहा। वहीं योनातान ने परमेश्वर से प्रार्थना की, और अचानक उसके छोटे से खेत में इतनी फसल हुई कि उसने न केवल अपना पेट भरा, बल्कि गाँव के गरीबों को भी अनाज बाँटा।

एलीआव की स्थिति दिन-प्रतिदिन बिगड़ती गई। अंत में, वह बीमार पड़ गया। डॉक्टरों ने उसकी जान बचाने के लिए बहुत कोशिश की, लेकिन वह मृत्यु के द्वार तक पहुँच गया। उसकी आँखें खुली थीं, लेकिन अब उसे अपनी गलती का एहसास हो रहा था। उसने योनातान को पुकारा और कहा, “भाई, मैंने गलती की। मैंने धन को ही सब कुछ समझ लिया। अब मैं समझता हूँ कि परमेश्वर ही सच्चा जीवन देने वाला है।”

योनातान ने उसके हाथ थामे और प्रार्थना की। एलीआव ने अपने अंतिम समय में परमेश्वर से क्षमा माँगी और शांति से इस संसार को छोड़ दिया।

एलीआव की मृत्यु के बाद, उसका सारा धन दूसरों के हाथों में चला गया। कोई भी उसके नाम को याद नहीं रखता था। लेकिन योनातान की विरासत उसके विश्वास और दयालुता के कार्यों के रूप में जीवित रही। गाँव वाले उसे आज भी याद करते हैं कि कैसे उसने परमेश्वर पर भरोसा रखा और सच्चा जीवन पाया।

**सीख:** भजन 49 हमें याद दिलाता है कि धन और संपत्ति पर भरोसा करना व्यर्थ है। केवल परमेश्वर ही हमारी आत्मा का उद्धार कर सकता है। जो लोग सांसारिक धन पर गर्व करते हैं, वे अंत में निराश होते हैं, लेकिन जो परमेश्वर में विश्वास रखते हैं, वे अनंत जीवन पाते हैं।

*”मनुष्य जो सम्मान पाता है, वह नाशवान है; वह पशुओं के समान नष्ट हो जाता है।”* (भजन 49:12)

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