पवित्र बाइबल

भजन संहिता 113 यहोवा की महिमा और करुणा की कहानी

**भजन संहिता 113: एक विस्तृत कहानी**

प्राचीन समय की बात है, जब इस्राएल के लोग बेबीलोन की गुलामी से मुक्त होकर यरूशलेम लौटे थे। वे अपने टूटे हुए मंदिर को फिर से बनाने और परमेश्वर की स्तुति करने के लिए एकत्र हुए थे। उन दिनों एक वृद्ध याजक, एलियाकीम, जो अपने जीवन के अंतिम पड़ाव पर थे, प्रतिदिन सुबह-शाम मंदिर के आँगन में खड़े होकर भजन गाया करते थे। उनकी आवाज़ में एक अद्भुत गहराई थी, जो सुनने वालों के हृदय को छू लेती थी।

एक शाम, जब सूर्य अस्त हो रहा था और आकाश में सुनहरी लालिमा फैली हुई थी, एलियाकीम ने भजन संहिता 113 को गाना शुरू किया:

**”यहोवा के दासों, स्तुति करो! यहोवा के नाम की स्तुति करो! आज से लेकर सदा तक यहोवा का नाम धन्य हो!”**

उनके शब्दों ने वहाँ एकत्रित लोगों के मन में आशा की ज्योति जगा दी। वे सभी जानते थे कि यहोवा महान है और उसकी महिमा आकाश से भी ऊँची है। एलियाकीम ने आगे गाया:

**”कौन है यहोवा के समान, जो सबसे ऊँचे स्थान पर विराजमान है, फिर भी दीन-हीनों पर दृष्टि रखता है? वह धूल में से कंगाल को उठाकर राजाओं के साथ बैठाता है!”**

यह सुनकर एक युवती, जिसका नाम शुलमीत था, आँसू भरी आँखों से आगे बढ़ी। वह एक विधवा थी, जिसका पति युद्ध में मारा गया था, और अब वह अपने छोटे से बेटे के साथ संघर्ष कर रही थी। उसने कभी नहीं सोचा था कि परमेश्वर उसकी सुनता है। लेकिन आज, भजन के इन शब्दों ने उसके हृदय को छू लिया।

एलियाकीम ने उसकी ओर देखा और मुस्कुराते हुए कहा, **”बेटी, यहोवा तेरी पुकार सुनता है। वह तुझे नहीं भूला।”**

उसी समय, मंदिर के दूसरे छोर पर एक धनवान व्यक्ति, नाथन, खड़ा था। वह अपने धन और सत्ता पर घमंड किया करता था। लेकिन आज, भजन के ये शब्द उसके कानों में गूँज रहे थे: **”वह धनवान को खाली हाथ लौटाता है।”** उसका हृदय काँप उठा। उसे एहसास हुआ कि उसका धन उसे परमेश्वर के सामने नहीं बचा सकता।

कुछ ही दिनों बाद, शुलमीत के जीवन में एक चमत्कार हुआ। उसके गाँव में एक सूखा पड़ा था, और उसके पास खाने को कुछ नहीं था। लेकिन एक दिन, उसके द्वार पर अनाज से भरे थैले रखे मिले। कोई नहीं जानता था कि वह कौन था, लेकिन शुलमीत समझ गई—यह यहोवा की करुणा थी।

इधर, नाथन ने अपने मन को बदल लिया। उसने गरीबों की मदद करना शुरू किया और अपना धन परमेश्वर के काम में लगाया। उसने कहा, **”सचमुच, यहोवा ने मेरे हृदय को बदल दिया। अब मैं समझता हूँ कि उसकी दृष्टि में सच्चा धन प्रेम और दया है।”**

एलियाकीम ने अपने अंतिम दिनों में यह देखकर आनंदित हृदय से परमेश्वर की स्तुति की कि उसके गाए भजन ने कितने लोगों के जीवन को छुआ। एक दिन, जब वह प्रार्थना कर रहे थे, उनकी आत्मा शांति से परमेश्वर के पास चली गई। लेकिन उनकी विरासत—भजन 113 का वह सन्देश—आज भी लोगों के हृदय में गूँजता रहा:

**”यहोवा की स्तुति करो, हे सब लोगों! वह दीनों को धूल से उठाता है, निर्धन को कचरे से ऊपर उठाकर राजकुमारों के साथ बैठाता है!”**

और इस तरह, इस्राएल के लोगों ने सीखा कि यहोवा सचमुच महान है, और उसकी करुणा अनन्तकाल तक बनी रहती है।

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