पवित्र बाइबल

यशायाह 40: परमेश्वर की सांत्वना और आशा का संदेश

# **भजन संहिता 40: एक विस्तृत कथा**

## **पृष्ठभूमि**

यहूदा के राज्य में एक कठिन समय चल रहा था। लोग परमेश्वर से दूर हो चुके थे, उनके हृदयों में अविश्वास और निराशा भर गई थी। उन्हें लगता था कि परमेश्वर ने उन्हें भुला दिया है। ऐसे में, भविष्यद्वक्ता यशायाह ने परमेश्वर का वचन सुनाया:

*”सांत्वना दो, मेरी प्रजा को सांत्वना दो,” तुम्हारा परमेश्वर यही कहता है।* (यशायाह 40:1)

## **परमेश्वर की सांत्वना**

यरूशलेम के बाहर एक पहाड़ी पर यशायाह खड़ा था। उसकी आँखों में करुणा थी और उसके हृदय में परमेश्वर का ज्वलंत वचन। उसने लोगों को संबोधित किया:

**”सुनो, हे यहूदा के लोगो! तुम्हारे संघर्षों का अंत निकट है। परमेश्वर तुम्हारे पापों को क्षमा करने आ रहा है। उसकी करुणा अमाप है, उसकी दया अनन्त है। वह तुम्हारे लिए मार्ग तैयार कर रहा है!”**

लोगों ने सिर उठाकर देखा। क्या सच में उनके लिए आशा बची थी?

## **मरुभूमि में मार्ग**

यशायाह ने आगे कहा, *”जंगल में एक आवाज सुनाई देती है: ‘प्रभु का मार्ग तैयार करो, उसके लिए राजमार्ग बनाओ! हर घाटी को भर दो, हर पहाड़ और टीले को समतल कर दो!'”* (यशायाह 40:3-4)

उसने समझाया कि जिस प्रकार एक राजा के आने से पहले उसके लिए सड़कें साफ की जाती हैं, वैसे ही परमेश्वर अपनी प्रजा के पास वापस आएगा। वह उनकी हर बाधा को दूर करेगा, हर दुःख को मिटाएगा।

## **मनुष्य की नश्वरता और परमेश्वर की महिमा**

फिर यशायाह ने लोगों को याद दिलाया: *”सारा मनुष्य घास के समान है, उसकी सारी महिमा मैदान के फूल जैसी। घास सूख जाती है, फूल मुरझा जाता है, परन्तु हमारे परमेश्वर का वचन सदा स्थिर रहता है!”* (यशायाह 40:6-8)

लोगों ने सोचा, वे कितने नश्वर हैं। उनकी ताकत, उनका गर्व, सब कुछ क्षणभंगुर है। लेकिन परमेश्वर का वचन हमेशा बना रहता है।

## **परमेश्वर की शक्ति और प्रेम**

यशायाह ने उन्हें बताया कि परमेश्वर एक महान चरवाहे की तरह है: *”वह अपने बाजू से अपने भेड़-बकरियों को संभालता है, मेमनों को अपनी गोद में उठाकर चलता है।”* (यशायाह 40:11)

लोगों के हृदय में आशा जगी। क्या सच में वह उन्हें इतना प्रेम करता है? क्या वह उनकी हर आवश्यकता को पूरा करेगा?

## **अंतिम प्रतिज्ञा**

यशायाह ने अपना संदेश समाप्त करते हुए कहा: *”क्या तुम नहीं जानते? क्या तुमने नहीं सुना? परमेश्वर सनातन है, वह पृथ्वी के छोर का भी सृजनहार है। वह न थकता है, न हार मानता है। जो उसकी प्रतीक्षा करते हैं, वह उन्हें नई शक्ति देता है। वे उड़ सकेंगे उकाबों की तरह, दौड़ेंगे और न थकेंगे, चलेंगे और न हार मानेंगे!”* (यशायाह 40:28-31)

लोगों की आँखों में आँसू आ गए। उन्होंने महसूस किया कि परमेश्वर उनके साथ है। उनकी निराशा अब आशा में बदल चुकी थी।

## **समापन**

यशायाह का संदेश समाप्त हुआ, लेकिन उसकी गूँज युगों-युगों तक सुनाई देती रही। परमेश्वर की प्रतिज्ञा सच्ची थी—वह अपने लोगों को कभी नहीं छोड़ेगा।

**”प्रभु सदैव तुम्हारे साथ है। उस पर भरोसा रखो, और तुम्हारी शक्ति नई हो जाएगी!”**

इस प्रकार, यशायाह 40 का संदेश आज भी हर उस व्यक्ति के लिए आशा की किरण है जो परमेश्वर की प्रतीक्षा करता है।

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