**ईश्वर का संदेश और अहाज के समय की भविष्यवाणी**
यहूदा के राजा अहाज के दिनों में, जब अराम और इस्राएल के राजाओं ने यरूशलेम पर चढ़ाई करने की योजना बनाई, तब यशायाह नबी को प्रभु का वचन मिला। प्रभु ने उससे कहा, “एक बड़ी पट्टिका ले और उस पर स्पष्ट अक्षरों में लिख: ‘माहेर-शलाल-हाश-बाज’ (अर्थात ‘शीघ्र लूट, शीघ्र ही विनाश’)।”
यशायाह ने वैसा ही किया और अपने विश्वासयोग्य शिष्यों में से एक, उरिय्याह को बुलाकर उस पट्टिका को दिखाया। उरिय्याह ने आश्चर्य से पूछा, “हे नबी, यह नाम किसका है?” यशायाह ने गंभीर स्वर में उत्तर दिया, “यह प्रभु की ओर से एक चिन्ह है। जब तक यह बालक बोलना सीखेगा, तब तक अराम और इस्राएल के राजाओं का धन और सामर्थ्य लूट लिया जाएगा।”
कुछ ही समय बाद, यशायाह की पत्नी ने एक पुत्र को जन्म दिया। प्रभु के आदेशानुसार, यशायाह ने उसका नाम “माहेर-शलाल-हाश-बाज” रखा। यह नाम स्वयं प्रभु की ओर से एक चेतावनी थी कि अश्शूर का राजा शीघ्र ही अराम और इस्राएल पर आक्रमण करेगा और उन्हें नष्ट कर देगा।
इसी बीच, अहाज और यहूदा के लोग भयभीत हो रहे थे। अराम और इस्राएल की सेनाएँ उनकी ओर बढ़ रही थीं। परन्तु प्रभु ने यशायाह से कहा, “इन लोगों से मत डरो, न ही उनकी साजिशों से भयभीत हो। मैं स्वयं सर्वशक्तिमान हूँ। यदि तुम मेरी ओर विश्वास रखोगे, तो तुम्हारा स्थिर रहना ही तुम्हारी शक्ति होगी।”
फिर भी, अहाज ने प्रभु पर भरोसा नहीं किया। उसने अश्शूर के राजा तिग्लत-पिलेसेर से सहायता माँगी और उसे बहुत सोना-चाँदी भेंट किया। यशायाह ने उसे चेतावनी दी: “तूने अश्शूर पर भरोसा किया है, परन्तु वही तेरे लिए काँटा बनेगा। प्रभु तेरे विरुद्ध एक शक्तिशाली जल-प्रवाह की भाँति आएगा—अश्शूर की सेना सब कुछ बहा ले जाएगी!”
कुछ वर्षों बाद, जैसा प्रभु ने कहा था, अश्शूर ने अराम और इस्राएल को परास्त कर दिया। परन्तु वे यहूदा पर भी आक्रमण करने आए। अहाज ने मूर्तियों की पूजा की और प्रभु के मन्दिर के बहुमूल्य पात्रों को तोड़कर अश्शूरियों को दे दिया, परन्तु इससे उसकी रक्षा नहीं हुई।
तब यशायाह ने लोगों से कहा, “हे इस्राएल के घराने, अंधकार में न रहो! प्रभु ही तुम्हारा प्रकाश है। उसकी शिक्षाओं को त्याग कर तुम अंधकार में भटक रहे हो। यदि तुम उसकी ओर नहीं लौटोगे, तो भूख, संकट और अंधकार तुम्हें घेर लेंगे।”
परन्तु लोगों ने उसकी नहीं सुनी। वे भूत-पिशाचों और मूर्तियों से पूछने लगे। यशायाह ने चिल्लाकर कहा, “क्या तुम मरे हुओं से जीवितों की बात पूछोगे? सत्य की शिक्षा और गवाही तो प्रभु के वचन में है!”
अंत में, यशायाह ने अपने शिष्यों से कहा, “प्रभु ने मुझे और मेरे घराने को चुना है। हम उसकी शिक्षाओं पर दृढ़ रहेंगे। जो लोग उस पर भरोसा रखेंगे, वे कभी नहीं डगमगाएँगे।”
और इस प्रकार, यशायाह की भविष्यवाणी पूरी हुई। अश्शूर ने यहूदा को भी दबा दिया, परन्तु प्रभु ने एक शेष भाग को सुरक्षित रखा—वे लोग जो उस पर विश्वास करते थे और उसकी प्रतीक्षा करते थे।
इस कहानी से हम सीखते हैं कि प्रभु ही हमारा सच्चा आश्रय है। मनुष्यों की सहायता निष्फल होती है, परन्तु जो परमेश्वर पर भरोसा रखता है, वह सदैव सुरक्षित रहता है।