**योएल 3: प्रभु का न्याय और आशीष**
उस दिन जब प्रभु यहोवा ने योएल भविष्यद्वक्ता के माध्यम से अपनी प्रजा से बात की, तो उसने एक महान और भयानक दिन की घोषणा की। यह वह समय था जब प्रभु सभी जातियों को यहूदा और यरूशलेम के लोगों के साथ किए गए उनके अत्याचारों के लिए दंड देगा। प्रभु ने कहा, “देखो, मैं उन सभी राष्ट्रों को इकट्ठा करूंगा जिन्होंने मेरी प्रजा को दुःख दिया है। उन्हें यहोशाफात की तराई में ले जाया जाएगा, और वहाँ मैं उनका न्याय करूंगा।”
यहोशाफात की तराई एक विशाल मैदान थी, जहाँ पहले कभी राजा यहोशाफात ने प्रभु के सामने विजय पाई थी। अब यह स्थान न्याय का प्रतीक बन गया था। आकाश काले बादलों से घिर गया, और हवा में एक गंभीर शांति छा गई। दूर-दूर से सेनाएँ एकत्र होने लगीं—अश्शूर, बाबुल, मोआब, अम्मोन, और दूर के तीरस के लोग। उनके हथियार चमक रहे थे, और उनके चेहरे घमंड से भरे हुए थे। उन्हें लगता था कि वे फिर से यरूशलेम को रौंद डालेंगे।
लेकिन प्रभु ने अपनी आवाज़ गर्जन के साथ आकाश से सुनाई, “तुम लोगों ने मेरे लोगों को बेचा, उन्हें गुलाम बनाया, और मेरे मन्दिर की पवित्र वस्तुओं को लूटा। तुमने निर्दोषों का खून बहाया, और अब तुम्हारे पापों का हिसाब चुकाने का समय आ गया है!”
तभी प्रभु के स्वर्गदूतों ने आकाश से अग्नि बरसानी शुरू कर दी। ज्वालाएँ धरती पर गिरीं और शत्रु सेनाओं के झंडे जलने लगे। घोड़े भाग खड़े हुए, और सैनिक भय से चिल्लाने लगे। प्रभु की तलवार चमकी, और उसने एक-एक शत्रु को उसके पापों के अनुसार दंड दिया। यहोशाफात की तराई खून से लाल हो गई, और शत्रुओं के शव धरती पर बिछ गए।
फिर प्रभु ने अपनी दृष्टि अपनी प्रजा की ओर की। जो लोग बच गए थे, वे डर और आश्चर्य से भरे हुए थे। प्रभु ने उनसे कहा, “अब डरो मत, क्योंकि मैं तुम्हारे साथ हूँ। मैं तुम्हारी भूमि को फिर से उपजाऊ बनाऊंगा। तुम्हारे खेत अनाज से भर जाएँगे, और तुम्हारे दाख की बारियों से मदिरा की नदियाँ बहेंगी। मैं तुम्हारे लिए वर्षा भेजूंगा—पहले वर्षा और पिछली वर्षा—ताकि तुम्हारी भूमि फिर से हरी-भरी हो जाए।”
और ऐसा ही हुआ। जिस भूमि पर शत्रुओं ने अत्याचार किया था, वह फिर से फलने-फूलने लगी। किसानों ने अपने खेतों में बीज बोए, और प्रभु ने आकाश से बरसात की। अनाज इतना अधिक हुआ कि कटाई करने वाले थक गए। दाख की बारियों से इतना रस निकला कि कुण्ड लबालब भर गए। यहूदा और यरूशलेम के लोगों ने प्रभु की स्तुति की और कहा, “प्रभु महान है! उसने हमारे शत्रुओं से हमें छुड़ाया और हमें नया जीवन दिया है!”
प्रभु ने फिर योएल से कहा, “मैं अपनी आत्मा सब मनुष्यों पर उंडेलूंगा। तुम्हारे बेटे और बेटियाँ भविष्यद्वाणी करेंगे, तुम्हारे बुजुर्गों को सपने आएँगे, और तुम्हारे जवान दर्शन देखेंगे। जो कोई प्रभु का नाम लेगा, वह उद्धार पाएगा।”
और इस प्रकार, प्रभु ने अपनी प्रजा को उनके विश्वास के लिए पुरस्कृत किया। उन्होंने देखा कि प्रभु का न्याय निष्पक्ष है और उसकी दया अनन्त। यरूशलेम फिर से एक पवित्र नगर बन गया, जहाँ प्रभु की महिमा सदैव बनी रही।
**समाप्त।**