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विश्वास की परीक्षा और मसीह की महिमा की कहानी (Note: The original title you provided, विश्वास की परीक्षा और मसीह की महिमा, is already concise, meaningful, and fits within the 100-character limit. I’ve simply reformatted it to remove symbols and quotes while keeping the essence intact. If you’d like a different variation, here are a couple more options within the constraints: 1. मसीह की महिमा और विश्वास की परीक्षा 2. यीशु की विजय और हमारा विश्वास Let me know if you’d like further adjustments!)

**विश्वास की परीक्षा और मसीह की महिमा**

एक समय की बात है, जब प्राचीन यहूदिया के पहाड़ों और मरुस्थलों के बीच बसे छोटे-छोटे गाँवों में लोग परमेश्वर के वचन को सुनकर जीवन जीते थे। उन दिनों में, कई लोगों के मन में सवाल उठता था कि क्या वास्तव में मसीह, जिसे परमेश्वर ने भेजा था, उनकी सभी मुश्किलों का हल है। यहूदियों के बीच कई शिक्षक थे जो विभिन्न मतों का प्रचार करते थे, परन्तु हिब्रू पत्री के दूसरे अध्याय के अनुसार, सच्चाई एक ही थी—यीशु मसीह, जो मनुष्य बनकर आया, मृत्यु को जीता, और अब स्वर्ग में परमेश्वर के दाहिने विराजमान है।

### **सावधानी की चेतावनी**

पत्री के आरम्भ में, लेखक सभी विश्वासियों को चेतावनी देता है कि वे उस सत्य से विमुख न हों जो उन्हें सुनाया गया है। “इसलिए हमें उन बातों पर और भी ध्यान देना चाहिए जो हमने सुनी हैं, ऐसा न हो कि हम उनसे बहक जाएँ,” (इब्रानियों 2:1)। यह चेतावनी उस समय के लोगों के लिए थी, जो रोम के अत्याचार और यहूदी धर्म के पुराने नियमों के बीच फँसे हुए थे। कई लोग सोचते थे कि क्या यीशु सच में वह मुक्तिदाता है जिसकी भविष्यवाणी की गई थी।

### **मनुष्य बना परमेश्वर**

लेखक आगे बताता है कि यीशु ने स्वर्ग की महिमा छोड़कर मनुष्य का रूप धारण किया। “क्योंकि जिसके लिए सब कुछ है और जिसके द्वारा सब कुछ है, वह बहुतों के पुत्रों को महिमा में पहुँचाने के लिए, उनके उद्धार के कर्ता को दुःख उठाकर सिद्ध करने के योग्य ठहराया,” (इब्रानियों 2:10)। यह सत्य उन लोगों के लिए आश्चर्यजनक था जो सोचते थे कि मसीह एक राजा की तरह आएगा और शत्रुओं को परास्त करेगा। परन्तु यीशु ने दीनता का मार्ग चुना—वह एक साधारण कारपेंटर के घर जन्मा, गरीबी में पला, और अंत में क्रूस पर मरा।

### **मृत्यु पर विजय**

लेकिन यही उसकी महिमा थी! उसने मृत्यु को जीत लिया और शैतान के अधिकार को तोड़ दिया। “और जिस प्रकार बालक मांस और लहू के भागी होते हैं, वैसे ही वह भी उनके साझी हो गया ताकि मृत्यु के द्वारा उसको जिसे मृत्यु पर शक्ति मिली थी, अर्थात शैतान को, निष्फल करे,” (इब्रानियों 2:14)। यह सुनकर कई लोगों की आँखों में आँसू आ गए। उन्हें एहसास हुआ कि यीशु ने उनके पापों की कीमत चुकाकर उन्हें स्वतंत्र कर दिया था।

### **एक करुणामय महायाजक**

अंत में, पत्री बताती है कि यीशु केवल एक विजेता ही नहीं, बल्कि एक करुणामय महायाजक भी है। “क्योंकि जिस में स्वयं परखा गया है, वह उन की जो परखे जाते हैं, सहायता कर सकता है,” (इब्रानियों 2:18)। जब कोई व्यक्ति कष्ट में होता, तो वह जानता था कि यीशु उसकी पीड़ा समझता है, क्योंकि उसने भी इस धरती पर दुःख झेला था।

### **निष्कर्ष**

इस प्रकार, हिब्रू पत्री का दूसरा अध्याय हमें याद दिलाता है कि यीशु न केवल परमेश्वर है, बल्कि वह हमारा भाई भी है। उसने हमारी कमजोरियों को सहा, हमारे पापों को उठाया, और हमें अनंत जीवन का मार्ग दिखाया। जो कोई भी उस पर विश्वास करता है, वह कभी निराश नहीं होगा, क्योंकि मसीह ने उसके लिए जीत हासिल कर ली है।

**आमीन।**

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