**नीहेम्याह 13: परमेश्वर के घर की शुद्धता**
यरूशलेम की दीवारों का पुनर्निर्माण पूरा हो चुका था, और नीहेम्याह ने लोगों के साथ मिलकर परमेश्वर की महिमा का जश्न मनाया था। लेकिन जब वह फारस के राजा आर्तक्षत्र के पास वापस गया, तो यहूदा की स्थिति फिर से बिगड़ने लगी। कुछ समय बाद, नीहेम्याह को राजा से फिर से यरूशलेम जाने की अनुमति मिली। जब वह वापस लौटा, तो उसने देखा कि लोग परमेश्वर के नियमों को भूल चुके थे और उन्होंने फिर से पाप में जीवन जीना शुरू कर दिया था।
### **एलियाशीब और तोबियाह का पाप**
नीहेम्याह ने देखा कि महायाजक एलियाशीब ने तोबियाह नामक एक अम्मोनी को परमेश्वर के मंदिर के एक बड़े कक्ष में रहने की अनुमति दे दी थी। तोबियाह वही था जिसने यरूशलेम की दीवारों के पुनर्निर्माण का मजाक उड़ाया था और नीहेम्याह के काम का विरोध किया था। अब वह परमेश्वर के पवित्र स्थान में बस गया था! यह देखकर नीहेम्याह का हृदय दुख से भर गया।
वह तुरंत कार्यवाही करने लगा। उसने तोबियाह के सारे सामान को कक्ष से बाहर फेंक दिया और उस स्थान को शुद्ध किया। फिर उसने वहाँ परमेश्वर के भेंट के बर्तन, अन्न, और लोबान को रखवाया, जैसा कि व्यवस्था में लिखा था। नीहेम्याह ने एलियाशीब को डांटा और कहा, *”क्या तुम परमेश्वर के घर का अपमान करने से नहीं डरते? तुमने एक अम्मोनी को इस पवित्र स्थान में जगह दी, जबकि व्यवस्था स्पष्ट कहती है कि वे परमेश्वर की सभा में प्रवेश नहीं कर सकते!”*
### **लेवियों की उपेक्षा**
नीहेम्याह ने यह भी देखा कि लेवीयों को उनका हिस्सा नहीं दिया जा रहा था। परमेश्वर की व्यवस्था के अनुसार, लोगों को अपनी उपज का दसवाँ हिस्सा लेवियों को देना था, ताकि वे परमेश्वर की सेवा कर सकें। लेकिन लोगों ने दशमांश देना बंद कर दिया था, जिसके कारण लेवीयों को अपने खेतों में काम करने के लिए मजबूर होना पड़ा।
यह देखकर नीहेम्याह ने यरूशलेम के अगुवों को इकट्ठा किया और उन्हें फटकार लगाई। उसने कहा, *”क्यों तुम परमेश्वर के घर की उपेक्षा कर रहे हो? लेवीयों को उनका हिस्सा दो, ताकि वे फिर से परमेश्वर की सेवा में लग सकें!”* लोगों ने पश्चाताप किया और दशमांश लाना शुरू कर दिया। नीहेम्याह ने विश्वसनीय लोगों को भंडारघरों की देखभाल के लिए नियुक्त किया, ताकि सब कुछ न्यायपूर्वक वितरित हो सके।
### **विश्रामदिन की अवहेलना**
एक और बड़ा पाप यह था कि लोग विश्रामदिन का पालन नहीं कर रहे थे। कुछ लोग तो उस दिन भी खेतों में काम करते थे, और व्यापारी यरूशलेम में आकर सामान बेचते थे। नीहेम्याह ने उन्हें समझाया, *”क्या तुम्हारे पूर्वजों के पापों ने इस नगर को नष्ट नहीं किया था? क्या तुम फिर से उसी रास्ते पर चलोगे?”*
उसने यरूशलेम के फाटकों को विश्रामदिन से पहले ही बंद करवा दिया और कहा कि सूर्यास्त तक उन्हें न खोला जाए। कुछ व्यापारी शहर के बाहर रात बिताने आए, लेकिन नीहेम्याह ने चेतावनी दी, *”अगर तुम फिर यहाँ आए, तो मैं तुम्हें पकड़ लूँगा!”* इसके बाद लोगों ने विश्रामदिन का पालन करना शुरू कर दिया।
### **विदेशी पत्नियों का मामला**
सबसे गंभीर समस्या यह थी कि कई यहूदियों ने विदेशी स्त्रियों से विवाह कर लिया था, जो मूर्तिपूजा में लिप्त थीं। यहाँ तक कि महायाजक के पोते ने होरोनी सनबल्लत की बेटी से शादी कर ली थी—वही सनबल्लत जो यरूशलेम के विरोध में खड़ा था! नीहेम्याह ने उन्हें दृढ़ता से फटकारा और कहा, *”क्या तुम परमेश्वर के वचन को नहीं जानते? सुलैमान भी विदेशी स्त्रियों के कारण पाप में फंस गया था। क्या तुम उसी गलती को दोहराओगे?”*
उसने कुछ लोगों को दंडित किया और शपथ दिलाई कि वे अपनी विदेशी पत्नियों और बच्चों को छोड़ देंगे। उसने प्रार्थना की, *”हे परमेश्वर, मुझे याद रखना! मैंने तेरे घर की शुद्धता के लिए संघर्ष किया है। इन पापों के कारण मुझे दुख होता है, पर मैं तेरी महिमा के लिए खड़ा हुआ हूँ।”*
### **नीहेम्याह की विजय**
इस तरह, नीहेम्याह ने यरूशलेम को फिर से परमेश्वर की व्यवस्था के अनुसार चलाने का प्रयास किया। उसने लोगों को सच्ची आराधना और आज्ञाकारिता की ओर लौटने के लिए प्रेरित किया। उसकी दृढ़ता और परमेश्वर के प्रति समर्पण ने यहूदा के लोगों को पाप से बचाया और परमेश्वर के घर की पवित्रता बहाल की।
अंत में, नीहेम्याह ने प्रार्थना की, *”हे मेरे परमेश्वर, मुझे अच्छे के लिए स्मरण करना। मैंने तेरी सेवा में अपना सब कुछ लगा दिया है।”* और परमेश्वर ने उसकी प्रार्थना सुनी।