**भजन संहिता 12 पर आधारित एक विस्तृत कहानी**
**शीर्षक: “यहोवा की प्रतिज्ञा – सत्य की रक्षा”**
प्राचीन समय में, एक छोटा-सा गाँव था जो पहाड़ियों की गोद में बसा हुआ था। वहाँ के लोग कभी धर्मपरायण और सच्चे हुआ करते थे, परंतु समय बीतने के साथ, उनके हृदय बदल गए। झूठ, छल और अहंकार ने उनकी बातचीत में घर कर लिया। लोग एक-दूसरे को धोखा देने में माहिर हो गए। मसीह के नाम पर बोलने वाले भी अपने स्वार्थ के लिए धर्म का उपयोग करने लगे।
उस गाँव में एक बूढ़ा व्यक्ति रहता था, जिसका नाम एलीआम था। वह यहोवा का भक्त था और सदैव सत्य की राह पर चलता था। परंतु जब उसने देखा कि चारों ओर अधर्म फैल रहा है, तो उसका हृदय दुख से भर गया। एक दिन, जब वह अपनी छोटी-सी कुटिया में प्रार्थना कर रहा था, तो उसने यहोवा से पुकार की:
**”हे यहोवा, बचा ले! क्योंकि भक्तों का अब अंत हो गया है। सच्चे लोग मनुष्यों के बीच से लुप्त हो गए हैं। हर कोई अपने पड़ोसी से झूठ बोलता है, चापलूसी के होंठों से वे धोखा देते हैं।”**
एलीआम की आँखों में आँसू थे। वह जानता था कि यहोवा सुन रहा है। उसी रात, जब वह सो रहा था, तो उसे एक स्वप्न आया। उसने देखा कि एक प्रकाशमयी आकृति उसके सामने खड़ी है और कहती है:
**”मैं अब उठ खड़ा होऊँगा और उन सबको बचाऊँगा जो दीन-हीन हैं। मेरे शब्द शुद्ध हैं, जैसे चाँदी को भट्ठी में तपाकर निखारा जाता है। मैं दुखियों की रक्षा करूँगा और अहंकारियों को दंड दूँगा।”**
सुबह होते ही एलीआम की आत्मा में नई आशा जाग उठी। उसने गाँव के लोगों को इकट्ठा किया और यहोवा के वचन सुनाए। कुछ लोगों ने उसकी बातों पर ध्यान दिया, परंतु अधिकतर उस पर हँसे। उन्होंने कहा, “तुम्हारा परमेश्वर कहाँ है? हम तो अपनी ताकत से सब कुछ करते हैं!”
लेकिन यहोवा का वचन झूठा नहीं होता। कुछ ही दिनों बाद, एक भयानक आँधी आई। जो लोग अहंकार से भरे हुए थे, उनके घर उजड़ गए। जो धनी थे और गरीबों का शोषण करते थे, उनकी संपत्ति नष्ट हो गई। परंतु एलीआम और जिन्होंने यहोवा पर भरोसा रखा, वे सुरक्षित रहे।
तब लोगों की आँखें खुलीं। वे एलीआम के पास आए और पश्चाताप किया। एलीआम ने उन्हें समझाया, **”यहोवा हमारे शब्दों को नहीं, हमारे हृदय को देखता है। उसके वचन शुद्ध हैं, और वह सत्य के लोगों को कभी नहीं छोड़ता।”**
धीरे-धीरे, गाँव में फिर से सच्चाई और न्याय का राज्य स्थापित हुआ। लोगों ने यहोवा की स्तुति की और उसके वचनों को अपने जीवन का आधार बनाया। एलीआम का विश्वास सच साबित हुआ—यहोवा ने अपने भक्तों की पुकार सुनी और उन्हें बचाया।
**”यहोवा के वचन शुद्ध हैं, वह उन लोगों की रक्षा करता है जो उस पर भरोसा रखते हैं।”** (भजन संहिता 12:6)
इस प्रकार, सत्य की ज्योति ने अंधकार पर विजय पाई, और यहोवा की प्रतिज्ञा सदैव के लिए स्थिर रही।