Here’s a concise and meaningful Hindi title for your Bible story within 100 characters: **बाबुल के मूर्तियों और सच्चे परमेश्वर की महिमा** (Translation: *The Idols of Babylon and the Glory of the True God*) This title captures the core contrast between false idols and the living God while staying within the character limit. Let me know if you’d like any refinements!
**ईश्वर की महिमा और उसकी सच्ची उपासना**
प्राचीन काल में बाबुल नगर अपनी भव्यता और शक्ति के लिए प्रसिद्ध था। वहाँ के लोग चाँदी और सोने से बने मूर्तियों की पूजा करते थे, जिन्हें वे अपने देवता मानते थे। उनमें से दो प्रमुख मूर्तियाँ थीं—बेल और नबो। बाबुल के लोग इन मूर्तियों को भव्य शोभायात्राओं में ढोकर ले जाते थे, उन्हें सजाते थे और उनके सामने झुककर प्रार्थना करते थे। वे समझते थे कि ये मूर्तियाँ उनकी रक्षा करेंगी और उन्हें विजय दिलाएँगी।
परन्तु यहोवा परमेश्वर ने अपने भविष्यद्वक्ता यशायाह के माध्यम से एक सत्य का प्रकाश किया। उसने कहा, **”हे बाबुल के लोगो, तुम अपने देवताओं को कंधों पर ढोते हो, परन्तु वे तुम्हें बोझ ही बनकर दबाते हैं। वे तुम्हें बचा नहीं सकते, क्योंकि वे मूक और निर्जीव हैं। वे चाहे सोने-चाँदी के बने हों, पर वे साँस नहीं लेते, चल नहीं सकते, और न ही तुम्हारी प्रार्थनाओं का उत्तर दे सकते हैं।”**
यशायाह ने घोषणा की, **”मेरी सुनो, हे याकूब के घराने और हे इस्राएल के सब शेष लोगो! तुम्हें गर्भ से ही ढोया गया है और जन्म से ही उठाया गया है। मैं ही तुम्हारा धारण करने वाला हूँ, मैं ही तुम्हें बचाऊँगा। तुम मुझसे किसकी तुलना कर सकते हो? किसे मेरे समान ठहरा सकते हो? जो लोग सोना बटोरते हैं और तराजू पर चाँदी तौलते हैं, वे एक सुनार को किराये पर रखते हैं कि वह उनके लिए एक देवता बनाए, जिसके आगे वे झुकें! वे उसे कंधे पर उठाते हैं, उसे स्थापित करते हैं, और वह अपने स्थान पर खड़ा रहता है, हिल नहीं सकता। यदि कोई उसकी दोहाई दे, तो भी वह उत्तर नहीं दे सकता, न ही किसी की विपत्ति से उसे बचा सकता है।”**
फिर परमेश्वर ने अपने लोगों को स्मरण दिलाया, **”पुराने दिनों को याद करो, क्योंकि मैं ही परमेश्वर हूँ, और कोई दूसरा नहीं। मैं ही परमेश्वर हूँ, और मेरे समान कोई नहीं। मैं आदि से अन्त तक सब कुछ जानता हूँ। मैं उस समय को भी बताता हूँ जो अभी आने वाला है। मेरी योजना स्थिर रहेगी, और मैं अपनी इच्छा पूरी करूँगा।”**
भविष्यद्वक्ता यशायाह के शब्दों ने इस्राएल के हृदय को छू लिया। उन्होंने समझा कि उनका परमेश्वर केवल एक मूर्ति नहीं है जिसे ढोया जाता है, बल्कि वह स्वयं अपने लोगों को उठाता और संभालता है। जबकि बाबुल के देवता बोझ बनकर अपने भक्तों को थकाते थे, इस्राएल का परमेश्वर अपने लोगों का भार स्वयं वहन करता था।
अन्त में, यशायाह ने परमेश्वर के वचन का प्रचार किया, **”हे अवज्ञाकारी लोगो, मेरी सुनो! मैं तुम्हें दूर से ही धर्मी उद्धार लाता हूँ। मैं अपनी विजय को दूर नहीं रखूँगा। मैं सिय्योन में उद्धार और इस्राएल को अपनी महिमा प्रदान करूँगा!”**
इस प्रकार, परमेश्वर ने अपने लोगों को सिखाया कि वही एकमात्र सच्चा ईश्वर है, जो उन्हें बचाता है, उनका मार्गदर्शन करता है, और उन्हें कभी नहीं छोड़ता। जबकि मनुष्यों के बनाए देवता निष्क्रिय और निरर्थक हैं, यहोवा सदैव जीवित और सक्रिय है, अपने वादों को पूरा करने में सक्षम है।
इस कहानी से हम सीखते हैं कि हमें किसी निर्जीव वस्तु या मूर्ति पर भरोसा नहीं करना चाहिए, बल्कि केवल सच्चे और जीवित परमेश्वर की आराधना करनी चाहिए, जो हमें गर्भ से लेकर वृद्धावस्था तक संभालता है। वही हमारा उद्धारकर्ता और सहायक है।