पवित्र बाइबल

लैव्यव्यवस्था 6 होमबलि और याजकों के पवित्र कर्तव्यों की कथा

**पवित्र शास्त्र: लैव्यव्यवस्था 6 – एक विस्तृत कथा**

प्राचीन काल में, जब इस्राएल के लोग मिस्र की दासता से मुक्त होकर सीनै के जंगल में डेरे डाले हुए थे, तब परमेश्वर ने मूसा के द्वारा उन्हें पवित्र और शुद्ध जीवन जीने के नियम दिए। लैव्यव्यवस्था की पुस्तक में, परमेश्वर ने याजकों और सामान्य लोगों दोनों के लिए विस्तृत निर्देश दिए थे, ताकि वे उसकी पवित्रता के अनुरूप चल सकें। लैव्यव्यवस्था 6 में, परमेश्वर ने विशेष रूप से होमबलि और याजकों के कर्तव्यों के बारे में बताया।

### **होमबलि की अग्नि: एक निरंतर भेंट**

सुबह की पहली किरणों के साथ ही मिलापवाले तम्बू के आँगन में याजकों की व्यस्तता बढ़ने लगी। हारून के पुत्र एलीआजर ने अपने सफेद सनी के वस्त्र पहने और अपने हाथों में लकड़ी और घी की टोकरी उठाई। वह जानता था कि परमेश्वर ने आज्ञा दी थी कि होमबलि की अग्नि सदैव जलती रहे—कभी भी बुझने न पाए।

“यह अग्नि परमेश्वर के सामने प्रज्वलित रहेगी,” एलीआजर ने अपने सहायक याजकों से कहा, जबकि वह वेदी के पास गया। उसने ध्यान से लकड़ियों को व्यवस्थित किया और फिर एक बेदाग मेमने को लाया गया, जिसे उसने वेदी पर चढ़ाने के लिए तैयार किया।

“याद रखो,” एलीआजर ने कहा, “होमबलि पूरी रात जलती रहेगी, और प्रातःकाल हम नई भेंट चढ़ाएँगे। यह परमेश्वर के प्रति हमारी निरंतर समर्पण का प्रतीक है।”

उसने मेमने के सिर पर हाथ रखा, जैसा कि परमेश्वर ने आज्ञा दी थी, और फिर उसने उसे वध किया। रक्त को वेदी के चारों ओर छिड़का गया, और मांस को सावधानी से काटकर अग्नि पर रख दिया गया। धुआँ ऊपर उठता हुआ आकाश की ओर बढ़ा, जैसे परमेश्वर के पास एक सुगंधित भेंट पहुँच रही हो।

### **याजकों का पवित्र कर्तव्य**

जब बलि चढ़ाई गई, तो एलीआजर ने अपने सहायकों को याद दिलाया, “परमेश्वर ने हमें आज्ञा दी है कि हम याजकों के वस्त्र, जो सनी के हैं, पहनकर ही वेदी की राख उठाएँ। फिर हमें शिविर से बाहर एक शुद्ध स्थान पर उसे ले जाना है।”

याजकों ने सफेद वस्त्र पहने और वेदी के पास से राख एकत्र की। उन्होंने इसे ध्यान से एकत्र किया और शिविर से दूर ले जाकर शुद्ध स्थान पर डाल दिया। यह कार्य दिखाता था कि पाप और अशुद्धता को परमेश्वर के निवास स्थान से दूर किया जाना चाहिए।

### **अन्नबलि की पवित्रता**

उसी दिन, एक इस्राएली व्यक्ति नाम योनातान ने परमेश्वर के सामने अन्नबलि चढ़ाने का निर्णय लिया। उसने उत्तम मैदा ली, उसमें जैतून का तेल मिलाया, और लोबान डाला। वह इसे मिलापवाले तम्बू में ले गया, जहाँ याजकों ने उसकी भेंट स्वीकार की।

एलीआजर ने अन्नबलि का एक भाग लिया और उसे वेदी पर जलाया। “यह परमेश्वर के लिए सुगंधित भेंट है,” उसने कहा। शेष भाग याजकों के लिए था, जिसे वे पवित्र स्थान में खा सकते थे। “इसे अखमीरी रोटी के साथ खाना चाहिए,” एलीआजर ने समझाया, “क्योंकि यह परमेश्वर का भाग है, और यह अति पवित्र है।”

### **पापबलि और प्रायश्चित**

कुछ दिनों बाद, एक व्यक्ति नाम शिमोन ने अनजाने में पाप किया। जब उसे अपनी गलती का एहसास हुआ, तो वह पश्चाताप से भर गया। वह मिलापवाले तम्बू में आया और एक पापबलि के रूप में एक बकरा लाया।

याजकों ने उसके पाप का निवारण करने के लिए बकरे को वेदी पर चढ़ाया। रक्त को वेदी के सींगों पर लगाया गया, और शेष रक्त वेदी के आधार पर उंडेला गया। “परमेश्वर दयालु है,” एलीआजर ने शिमोन से कहा, “यदि तू पश्चाताप करे और उसकी आज्ञाओं का पालन करे, तो वह तेरे पापों को क्षमा करेगा।”

### **परमेश्वर की पवित्रता का महत्व**

इन सभी बलियों और नियमों के माध्यम से, परमेश्वर इस्राएल के लोगों को सिखा रहा था कि पवित्रता और आज्ञाकारिता उसके साथ संबंध बनाए रखने के लिए आवश्यक हैं। हर बलि, हर नियम, और हर अनुष्ठान उन्हें याद दिलाता था कि परमेश्वर पवित्र है, और उसके पास आने के लिए उन्हें भी पवित्र होना चाहिए।

एलीआजर ने अपने साथी याजकों से कहा, “हमें परमेश्वर की सेवा करनी चाहिए जैसा उसने हमें सिखाया है। कोई भी लापरवाही नहीं होनी चाहिए, क्योंकि वह हमारी आराधना और आज्ञाकारिता की माँग करता है।”

और इस प्रकार, इस्राएल के लोग परमेश्वर के मार्गदर्शन में चलते रहे, उसकी पवित्रता का सम्मान करते हुए और उसकी आज्ञाओं का पालन करते हुए। लैव्यव्यवस्था 6 का यह संदेश आज भी हमें याद दिलाता है कि परमेश्वर की सेवा पूर्ण समर्पण और शुद्ध हृदय से की जानी चाहिए।

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