पवित्र बाइबल

नीम्याह और यरूशलेम की दीवारों का पुनर्निर्माण

**नीम्याह 3: यरूशलेम की दीवारों का पुनर्निर्माण**

यह वह समय था जब यरूशलेम की दीवारें टूटी हुई थीं और उसके फाटक जलकर राख हो चुके थे। परमेश्वर के लोगों के लिए यह बड़ी लज्जा और दुःख का विषय था। नीम्याह, जो राजा अर्तक्षत्र का प्यासा था, ने परमेश्वर की प्रेरणा से यरूशलेम को फिर से बसाने और उसकी दीवारों को बनाने का संकल्प लिया। उसने परमेश्वर से प्रार्थना की और फिर यहूदिया के लोगों को इकट्ठा किया।

नीम्याह ने सभी को समझाया, “हमारे पूर्वजों के पापों के कारण यह नगर उजड़ गया, लेकिन अब परमेश्वर ने हम पर दया की है। आओ, हम मिलकर यरूशलेम की दीवारों को फिर से बनाएं, ताकि हमारा नाम फिर से गौरवान्वित हो।”

लोगों ने उत्साह से काम शुरू किया। नीम्याह ने हर परिवार और हर समूह को दीवार के एक विशेष हिस्से की जिम्मेदारी दी। सभी ने एकजुट होकर काम करने का निर्णय लिया।

### **दीवार का पुनर्निर्माण**

**1. भेड़ फाटक का निर्माण**
सबसे पहले, यादोया नामक एक याजक ने भेड़ फाटक का निर्माण शुरू किया। उसने अपने साथ अन्य याजकों को लगाया और उन्होंने फाटक की नींव रखी। उन्होंने दरवाजे लगाए, उसकी कुंडियाँ और सिटकिनियाँ जमाईं। यह फाटक बहुत महत्वपूर्ण था, क्योंकि यहीं से भेड़ों और बलिदान के पशुओं को मंदिर में लाया जाता था।

**2. मरिय्याह और हशूब का योगदान**
उसके बाद, मरिय्याह और हशूब ने अपने-अपने हिस्से की मरम्मत की। वे मेहनती थे और उन्होंने पत्थरों को सावधानी से जोड़ा। उनके हिस्से में दीवार का एक मजबूत खंड बन गया।

**3. सनबल्लत और तोबियाह का विरोध**
लेकिन काम आसान नहीं था। सनबल्लत और तोबियाह जैसे शत्रु यरूशलेम के पुनर्निर्माण से नाराज थे। वे मजाक उड़ाते हुए कहते, “क्या ये कमजोर यहूदी दीवार बना लेंगे? क्या वे पत्थरों को जीवित कर देंगे?” परन्तु नीम्याह ने प्रार्थना की और लोगों को हिम्मत दी।

**4. योयादा और मशुलाम का परिश्रम**
योयादा और मशुलाम ने पुराने फाटक के पास दीवार बनाई। उन्होंने लकड़ी के बीम लगाए और पत्थरों को मजबूती से जोड़ा। उनकी पत्नियाँ और बच्चे भी उनके साथ काम में जुटे, क्योंकि यह सब परमेश्वर के लिए था।

**5. सोनो के लोगों का उत्साह**
सोनो के निवासियों ने भी अपना हिस्सा पूरा किया। उन्होंने दीवार के एक बड़े हिस्से को मजबूत किया, हालाँकि वहाँ का काम बहुत कठिन था। परन्तु उन्होंने हार नहीं मानी और परमेश्वर पर भरोसा रखा।

**6. नीम्याह का नेतृत्व**
सारे शहर में हर कोई काम में लगा हुआ था। कुछ लोग पत्थर तोड़ रहे थे, कुछ उन्हें ढो रहे थे, और कुछ चूना लगा रहे थे। नीम्याह ने सभी को प्रोत्साहित किया, “मत डरो, परमेश्वर हमारे साथ है। यह उसका काम है, और वह इसे पूरा करेगा।”

### **एकता और विजय**

अंत में, सभी ने मिलकर दीवार को पूरा किया। यह एक अद्भुत चमत्कार था, क्योंकि लोगों ने अपने मतभेद भुलाकर एक साथ काम किया था। याजक, कारीगर, किसान, सभी ने अपना योगदान दिया।

जब दीवार पूरी हो गई, तो लोगों ने आनन्द मनाया। उन्होंने परमेश्वर की स्तुति की और उसकी महिमा गाई। नीम्याह ने कहा, “आज हमने साबित कर दिया कि जब परमेश्वर हमारे साथ होता है, तो कोई भी काम असंभव नहीं है।”

इस प्रकार, यरूशलेम की दीवारों का पुनर्निर्माण हुआ, और परमेश्वर के लोगों ने फिर से अपनी पहचान को स्थापित किया। यह कहानी हमें सिखाती है कि एकता, विश्वास और परिश्रम से हर बाधा को पार किया जा सकता है।

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