पवित्र बाइबल

होशे और गोमर प्रेम और क्षमा की बाइबल कहानी

**होशे 2: प्रेम और विश्वासघात की कहानी**

भूमिका:
प्राचीन इस्राएल के समय में, जब लोग परमेश्वर की आज्ञाओं को भूलकर मूर्तियों की पूजा करने लगे थे, तब परमेश्वर ने भविष्यवक्ता होशे को एक असाधारण आज्ञा दी। उन्होंने कहा, “जा, एक व्यभिचारिणी स्त्री से विवाह कर और उसके द्वारा पैदा हुए बच्चों को अपना बनाए रख, क्योंकि यह देश मेरे सामने घोर व्यभिचार करके मुझसे विमुख हो गया है।” होशे ने गोमर नामक एक स्त्री से विवाह किया, जो समय-समय पर उसका साथ छोड़कर अन्य पुरुषों के पास चली जाती थी। यह सम्बन्ध इस्राएल और परमेश्वर के बीच के टूटे हुए रिश्ते का प्रतीक था।

### **परमेश्वर का न्याय और दया**

एक दिन, होशे ने परमेश्वर का वचन सुनाया: “इस्राएल के बच्चों से कहो कि तुम मेरी प्रजा नहीं हो, और मैं तुम्हारा परमेश्वर नहीं हूँ। तुमने मुझे छोड़कर अन्य देवताओं को चुना है, इसलिए मैं तुम्हें तुम्हारे अपने मार्ग पर छोड़ दूँगा।”

गोमर अपने प्रेमियों के पीछे भागती रही, यह सोचकर कि वे उसे अन्न, जल और वस्त्र देंगे। परन्तु वह यह नहीं जानती थी कि यह सब तो परमेश्वर ही उसे देता आया था। उसने सोचा, “मैं अपने प्रेमियों के पास जाऊँगी, क्योंकि वे मुझे जीवन की अच्छी वस्तुएँ देंगे।” किन्तु परमेश्वर ने उसके मार्ग में काँटे बिछा दिए। उसने उसे रोकने के लिए एक दीवार खड़ी कर दी ताकि वह भटक न सके। जब वह अपने प्रेमियों के पीछे दौड़ती, तो वे उसे धोखा देते और उसकी उपेक्षा करते। उसका सुंदर वस्त्र फट गया, उसके आभूषण छिन गए, और वह निराश होकर बैठ गई।

### **परमेश्वर का प्रेमभरा अनुशासन**

तब परमेश्वर ने कहा, “मैं उसे वन के मार्ग में ले जाऊँगा और उससे कोमल बातें करूँगा। मैं उसकी सारी संकटों की घाटी को आशीर्वाद का द्वार बना दूँगा। वहाँ वह अपनी जवानी के दिनों की तरह मुझसे प्रेम करेगी, जैसे वह मिस्र से निकलते समय करती थी।”

परमेश्वर ने गोमर को दंड दिया, किन्तु उसका उद्देश्य उसे नष्ट करना नहीं, बल्कि उसे शुद्ध करना था। वह चाहता था कि वह फिर से उसकी ओर मुड़े। “मैं उसके मुँह से बालों के नाम हटा दूँगा,” परमेश्वर ने कहा, “ताकि कोई भी उनका उपहास न करे। मैं उसके लिए आकाश और पृथ्वी, अन्न और दाखमधु, सब कुछ नया कर दूँगा। मैं उसे सदा के लिए अपनी पत्नी बनाऊँगा, न्याय और नेकी, प्रेम और दया के साथ।”

### **नया प्रेम, नई वाचा**

परमेश्वर ने होशे से कहा, “जा, फिर से उससे प्रेम कर, जैसे मैं इस्राएल से प्रेम करता हूँ, भले ही वह दूसरे देवताओं की ओर मुड़ जाता है।” होशे ने गोमर को वापस ले लिया, उसे क्षमा किया, और उससे फिर से प्रेम किया। यह इस्राएल के लिए एक चित्र था—परमेश्वर उन्हें छोड़ना नहीं चाहता था, भले ही उन्होंने उसे ठुकरा दिया हो।

अंत में, परमेश्वर ने वादा किया: “मैं तुम्हें सदा के लिए अपनी प्रजा बनाऊँगा, और तुम मुझे ‘मेरे पति’ कहोगे। मैं तुम्हारे युद्धों को समाप्त कर दूँगा, तुम्हें शांति दूँगा, और तुम सदा के लिए मेरी होगी।”

इस तरह, होशे और गोमर की कहानी इस्राएल के लिए एक सबक बनी—परमेश्वर का प्रेम अटूट है, भले ही उसकी प्रजा कितनी भी बार उससे दूर क्यों न भागे। वह हमेशा उन्हें वापस बुलाता है, उन्हें शुद्ध करता है, और उन्हें नया जीवन देता है।

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