पवित्र बाइबल

प्रेरितों के काम 6 सात सेवकों का चुनाव और कलीसिया की वृद्धि

**प्रेरितों के काम 6: सात सेवकों का चुनाव**

यरूशलेम की गलियों में सुबह की पहली किरणें फैल रही थीं, और मसीही विश्वासियों का समुदाय एक नए दिन की शुरुआत कर रहा था। प्रारंभिक कलीसिया में लोगों का प्रेम और एकता अद्भुत था। वे सब एक साथ इकट्ठा होते, प्रभु यीशु की शिक्षाओं पर मनन करते, और रोटी तोड़ने की सेवकाई में भाग लेते। धनवान और गरीब सभी एक-दूसरे की सहायता करते, और जरूरतमंदों में संपत्ति बाँट दी जाती थी। परंतु जैसे-जैसे विश्वासियों की संख्या बढ़ने लगी, कुछ व्यावहारिक समस्याएँ भी सामने आईं।

उन दिनों यूनानी भाषा बोलने वाले यहूदी (हेलेनिस्ट) और इब्रानी भाषा बोलने वाले यहूदी दोनों ही मसीह में विश्वास करते थे। परंतु एक दिन, यूनानी भाषी विधवाओं ने शिकायत की कि दैनिक भोजन वितरण में उनकी उपेक्षा हो रही है। वे भूखी रह जाती थीं, जबकि इब्रानी भाषी विधवाओं को भरपूर भोजन मिलता था। यह बात बारह प्रेरितों तक पहुँची।

प्रेरितों ने सभी शिष्यों को एक साथ बुलाया। पतरस, यूहन्ना, याकूब और अन्य प्रेरितों ने विचार-विमर्श किया। उन्होंने कहा, “भाइयो, हम परमेश्वर के वचन की सेवा और प्रार्थना में लगे रहें, यही हमारा प्रमुख कार्य है। लेकिन यह ठीक नहीं कि हम भोजन वितरण जैसे दैनिक कामों में उलझे रहें। इसलिए, तुम में से सात अच्छी गवाही वाले, पवित्र आत्मा और बुद्धि से भरे हुए पुरुषों को चुनो, जो इस सेवकाई का भार संभाल सकें।”

यह सुझाव सभी को पसंद आया। समुदाय ने सात पुरुषों को चुना, जिनमें स्तिफनस (जो परमेश्वर और लोगों के सामने अत्यधिक अनुग्रह और सामर्थ्य से भरा हुआ था), फिलिप्पुस, प्रखोरुस, नीकानोर, तीमोन, परमेनास और नीकोलास (एक यूनानी मतधारी जो अन्ताकिया का रहने वाला था) शामिल थे। इन सातों को प्रेरितों के सामने लाया गया। प्रेरितों ने प्रार्थना की और हाथ रखकर उन्हें इस सेवकाई के लिए अभिषिक्त किया।

इस नए प्रबंध से कलीसिया में शांति और व्यवस्था स्थापित हुई। परमेश्वर का वचन फैलता गया, और यरूशलेम में शिष्यों की संख्या बहुत बढ़ने लगी। यहाँ तक कि बहुत से यहूदी याजक भी विश्वास में आ गए।

स्तिफनस, जो केवल एक सेवक ही नहीं, बल्कि परमेश्वर की सामर्थ्य से परिपूर्ण था, लोगों के बीच बड़े आश्चर्यकर्म और चिन्ह दिखाने लगा। उसकी बुद्धिमत्ता और आत्मिक प्रभाव से कई लोग प्रभावित हुए, लेकिन कुछ विरोधी भी उठ खड़े हुए। वे स्तिफनस से बहस करने लगे, परंतु उसकी तर्कपूर्ण और पवित्र आत्मा से परिपूर्ण बातों का उत्तर देने में असमर्थ रहे।

इस प्रकार, सात सेवकों के चुनाव ने न केवल कलीसिया की व्यावहारिक आवश्यकताओं को पूरा किया, बल्कि परमेश्वर के राज्य के विस्तार का मार्ग भी प्रशस्त किया। स्तिफनस की सेवकाई आगे चलकर और भी महत्वपूर्ण होने वाली थी, क्योंकि परमेश्वर ने उसे एक विशेष गवाही के लिए तैयार किया था।

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