**बाबेल का मीनार: एक विस्तृत कथा (उत्पत्ति 11)**
प्राचीन काल में, संसार की सारी मनुष्य जाति एक ही भाषा बोलती थी और एक ही प्रकार के शब्दों का प्रयोग करती थी। जब लोग पूर्व की ओर बढ़े, तो उन्हें शिनार नामक एक विशाल मैदान मिला। वहाँ उन्होंने बसने का निर्णय लिया और एक-दूसरे से कहा, “आओ, हम ईंटें बनाएँ और उन्हें अच्छी तरह पकाएँ।” उन्होंने पत्थर के स्थान पर ईंटों का और चूने के स्थान पर गारे का उपयोग किया।
फिर उन्होंने कहा, “आओ, हम अपने लिए एक नगर और एक ऐसा मीनार बनाएँ जिसकी चोटी आकाश तक पहुँचे। इस प्रकार हम अपने लिए एक नाम करेंगे, ऐसा न हो कि हम सारी पृथ्वी पर बिखर जाएँ।”
उनका यह विचार मनुष्यों का घमंड और परमेश्वर से स्वतंत्र होने की इच्छा को दर्शाता था। वे अपनी शक्ति और बुद्धि पर इतना भरोसा करते थे कि उन्होंने परमेश्वर की आवश्यकता ही नहीं समझी। उनका लक्ष्य केवल अपनी महानता स्थापित करना था, न कि परमेश्वर की महिमा को बढ़ाना।
तब परमेश्वर ने मनुष्यों के नगर और मीनार को देखा जिसे वे बना रहे थे। वह जानता था कि यदि वे एक साथ मिलकर ऐसा कार्य करते रहे, तो कोई भी काम उनके लिए असंभव नहीं रहेगा। परन्तु परमेश्वर ने मनुष्य की अवज्ञा और अहंकार को देखा और उनकी एकता को भंग करने का निर्णय लिया।
अतः परमेश्वर ने कहा, “आओ, हम उतरकर उनकी भाषा में गड़बड़ी डालें, ताकि वे एक-दूसरी की बात न समझ सकें।” और ऐसा ही हुआ। परमेश्वर ने उनकी एक भाषा को अनेक भाषाओं में बाँट दिया, जिससे वे एक-दूसरे की बोली नहीं समझ पाए।
इस भाषा की गड़बड़ी के कारण, लोगों में भ्रम और अराजकता फैल गई। वे अपना काम जारी न रख सके और एक-दूसरे से बात करने में असमर्थ हो गए। धीरे-धीरे, वे वहाँ से तितर-बितर होकर पृथ्वी के विभिन्न भागों में फैल गए। इस प्रकार, उनका नगर बनाने और मीनार को पूरा करने का सपना अधूरा रह गया।
उस स्थान का नाम “बाबेल” (अर्थात “गड़बड़ी”) पड़ा, क्योंकि परमेश्वर ने वहाँ सारी पृथ्वी की भाषा में गड़बड़ी डाली और वहाँ से लोगों को सारी पृथ्वी पर फैला दिया।
**सीख:**
इस कहानी से हमें यह शिक्षा मिलती है कि मनुष्य का अहंकार और परमेश्वर के विरुद्ध बढ़ने की इच्छा हमेशा विफल होती है। परमेश्वर मनुष्य के घमंड को सहन नहीं करता और वह उसे दण्ड देकर नम्र बनाता है। बाबेल के मीनार की घटना यह भी दिखाती है कि मनुष्य की एकता तभी सच्ची और स्थायी हो सकती है जब वह परमेश्वर की इच्छा के अनुसार हो।