**भजन संहिता 13 पर आधारित एक विस्तृत कहानी**
**शीर्षक: अंधकार से प्रकाश की ओर**
एक समय की बात है, यरूशलेम से दूर एक छोटे-से गाँव में दाविद नाम का एक वृद्ध व्यक्ति रहता था। वह एक धर्मपरायण और ईश्वर में अटूट विश्वास रखने वाला था, लेकिन जीवन ने उसके साथ कठोर खेल खेला था। उसके दिन दुःख और चिंता से भरे हुए थे। उसके शत्रु उस पर हावी हो रहे थे, उसके मित्रों ने उसका साथ छोड़ दिया था, और ऐसा लगता था मानो ईश्वर ने भी उसकी ओर से अपना मुख मोड़ लिया हो।
एक रात, जब अँधेरा घना था और हवा में एक सिसकती हुई ठंडक थी, दाविद अपनी कुटिया के बाहर बैठा हुआ था। उसका मन भारी था, और आँखों से आँसू बह रहे थे। उसने ऊपर आकाश की ओर देखा और मन ही मन प्रार्थना करने लगा:
**”हे यहोवा, तू कब तक मुझे भूला रहेगा? क्या सदा के लिए? तू कब तक अपना मुख मुझ से छिपाए रखेगा?”**
उसकी आवाज़ काँप रही थी, और हृदय में एक गहरी पीड़ा थी। वह दिन-रात अपने मन में संघर्ष करता रहता था, अपने विचारों से जूझता हुआ। उसे लगता था मानो उसका दुःख कभी खत्म नहीं होगा। उसके शत्रु उस पर हँसते थे और कहते थे, “तुम्हारा ईश्वर कहाँ है? उसने तुम्हें छोड़ दिया है!”
लेकिन दाविद ने हार नहीं मानी। वह जानता था कि ईश्वर सच्चा है, भले ही इस समय वह उसकी पुकार सुनता नहीं लग रहा हो। उसने फिर से प्रार्थना की:
**”हे मेरे परमेश्वर, मेरी ओर देख और मेरी सुन, मेरी आँखों को ज्योति दें, ऐसा न हो कि मैं मृत्यु की नींद सो जाऊँ। मेरे शत्रु यह न कहें कि हम ने उसको जीत लिया!”**
उसकी प्रार्थना में विश्वास की एक छोटी सी चिंगारी थी। वह जानता था कि ईश्वर का प्रेम अटल है, और वह उसकी पीड़ा को देख रहा है। धीरे-धीरे, उसके हृदय में शांति का एक कोमल संगीत बजने लगा। उसने अपने आप से कहा, **”मैं तेरे करुणा पर भरोसा रखता हूँ; मेरा हृदय तेरे उद्धार से आनन्दित होगा। मैं यहोवा का गीत गाऊँगा, क्योंकि उसने मेरा भला किया है।”**
कुछ दिनों बाद, ईश्वर ने दाविद की प्रार्थना सुन ली। उसके शत्रु पीछे हट गए, और उसके जीवन में फिर से आशा की किरण दिखाई दी। उसके दुःखों का अंधकार छँट गया, और उसने महसूस किया कि ईश्वर हर समय उसके साथ था, भले ही वह उसे महसूस नहीं कर पा रहा था।
दाविद ने अपने अनुभव को एक भजन के रूप में लिखा, जो आज भजन संहिता 13 के नाम से जाना जाता है। यह भजन हर उस व्यक्ति के लिए प्रेरणा है जो अंधकार में भटक रहा है, यह सिखाता है कि विश्वास और धैर्य से ईश्वर की करुणा का अनुभव किया जा सकता है।
**सीख:**
– ईश्वर कभी हमें नहीं भूलता, चाहे हमें ऐसा क्यों न लगे।
– प्रार्थना और विश्वास हमें अंधकार से प्रकाश की ओर ले जाते हैं।
– दुःख के समय में भी ईश्वर की स्तुति करने से हमारा हृदय शक्ति पाता है।
इस कहानी के माध्यम से हम सीखते हैं कि भजन 13 केवल एक प्रार्थना नहीं, बल्कि हर विपत्ति में ईश्वर पर भरोसा रखने का एक सशक्त संदेश है।