पवित्र बाइबल

ज़फन्याह और प्रभु के न्याय का भयानक दिन

**ज़फन्याह 1: प्रभु का न्याय का दिन**

एक समय की बात है, जब यहूदा के देश में लोग परमेश्वर की आज्ञाओं को भूल चुके थे। यरूशलेम के गलियों में मूर्तियों की पूजा फैल गई थी, और लोगों के हृदय अहंकार और पाप से भर गए थे। राजा योशिय्याह के शासनकाल में, परमेश्वर ने एक भविष्यद्वक्ता को उठाया—ज़फन्याह। वह एक साहसी और धर्मी व्यक्ति था, जिसने यहोवा के वचन को बिना डर सुनाया।

एक दिन, जब सूरज डूब रहा था और आकाश लालिमा से भरा हुआ था, ज़फन्याह ने परमेश्वर का सन्देश सुना। उसकी आवाज़ गर्जन के समान थी, जो उसके हृदय में गूंजी: **”मैं पृथ्वी के मुख से सब कुछ नष्ट कर डालूँगा। मैं मनुष्य और पशु, आकाश के पक्षियों और समुद्र की मछलियों को दण्ड दूँगा। मैं दुष्टों को उखाड़ फेंकूँगा और मनुष्यों को पृथ्वी के मुख से मिटा दूँगा।”**

ज़फन्याह काँप उठा। उसने जान लिया कि परमेश्वर का कोप यहूदा और यरूशलेम पर आने वाला है। वह शहर की सड़कों पर चल पड़ा, उसकी आँखों में आँसू थे। उसने देखा कि कैसे लोग बाल की मूर्तियों के सामने झुक रहे थे, कैसे याजक मिल्कोम नामक देवता के लिए धूप जलाते थे। राजमहल के ऊपर भी अशुद्ध प्रथाओं का अंधकार छाया हुआ था।

अगले दिन, ज़फन्याह ने यरूशलेम के मुख्य चौक में खड़े होकर घोषणा की: **”यहोवा का दिन निकट है! वह एक भयानक दिन होगा, जब उसकी आक्रोश की आग सब कुछ भस्म कर देगी।”** लोग इकट्ठा हुए, कुछ हँसते हुए, कुछ डर से सहमे हुए। उसने चिल्लाकर कहा, **”जो लोग परमेश्वर को भूल गए हैं, जो कहते हैं, ‘यहोवा न तो भला करेगा, न बुरा,’ उनका धन और उनके महल कुछ भी नहीं बचाएँगे!”**

उसने उन्हें चेतावनी दी कि **”यहोवा उन राजकुमारों को दण्ड देगा जो विदेशी वस्त्र पहनते हैं, जो पराये देवताओं के पीछे भागते हैं। वह उन व्यापारियों को भी दण्ड देगा जो धन के लोभ में अन्याय करते हैं।”**

लोगों के मन में भय समा गया। कुछ ने पश्चाताप किया, पर अधिकतर ने उसकी बातों को ठट्ठे में उड़ा दिया। ज़फन्याह ने आगे कहा, **”वह दिन अंधकार और उदासी का होगा। लोग अँधेरे में टटोलते हुए चलेंगे, क्योंकि उनका पाप उन्हें घेर लेगा। उनका रक्त धूल की तरह बहाया जाएगा, और उनकी देह गोबर के समान फेंक दी जाएगी।”**

अंत में, ज़फन्याह ने उनसे विनती की: **”यहोवा के सामने नम्र बनो! धर्म की खोज करो, नम्रता से उसकी आज्ञाओं का पालन करो। शायद तुम उसके क्रोध के दिन छिपाए जाओ।”**

परन्तु जब लोगों ने नहीं सुना, तो परमेश्वर का न्याय आया। बाबुल की सेनाएँ यरूशलेम पर टूट पड़ीं, और जैसे ज़फन्याह ने भविष्यद्वाणी की थी, वह शहर रोते हुए लोगों से भर गया। उस दिन, यहोवा का वचन सच हुआ—जो अहंकारी थे, वे नष्ट हो गए, और केवल वही बचे जो नम्र थे और परमेश्वर की खोज में लगे रहे।

इस प्रकार, ज़फन्याह की भविष्यद्वाणी ने सिखाया कि परमेश्वर पवित्र है और पाप को सहन नहीं करेगा, पर वह उन्हें अवश्य बचाता है जो उसकी ओर मुड़ते हैं।

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