पवित्र बाइबल

मोआब में वाचा का नवीनीकरण: मूसा का अंतिम उपदेश

# **वाचा का नवीनीकरण: व्यवस्थाविवरण 29 की कहानी**

मूसा के दिनों में, इस्राएल के लोग मोआब के मैदान में एकत्र हुए थे। वह स्थान विशाल था, जहाँ एक ओर पहाड़ियाँ दूर तक फैली हुई थीं और दूसरी ओर जर्दन नदी का जल शांत होकर बह रहा था। सूर्यास्त का समय था, और आकाश में लालिमा फैली हुई थी। मूसा, जो अब वृद्ध हो चला था, एक ऊँचे स्थान पर खड़ा हुआ और उसने अपना हाथ उठाकर लोगों को शांत होने का संकेत दिया। उसकी आँखों में गंभीरता थी, क्योंकि वह जानता था कि यह उसके जीवन के अंतिम दिनों में इस्राएल को दिए जाने वाले अंतिम उपदेशों में से एक था।

लोग चुपचाप बैठ गए। पुरुष, स्त्रियाँ, बच्चे और विदेशी जो उनके साथ चल रहे थे—सभी ने मूसा की ओर ध्यान लगाया। हवा में एक पवित्र शांति छा गई, मानो स्वयं परमेश्वर उनके बीच उपस्थित हो।

मूसा ने गंभीर स्वर में कहा, **”हे इस्राएल, आज तुम अपने परमेश्वर यहोवा के सामने खड़े हो। तुमने उन सब बड़े-बड़े कामों को देखा है जो उसने तुम्हारी आँखों के सामने किए। मिस्र से निकालकर, उसने तुम्हें चालीस वर्ष तक जंगल में रखा, परन्तु तुम्हारे वस्त्र नहीं पुराने हुए और न तुम्हारे पाँव सूजे।”**

लोगों ने एक-दूसरे की ओर देखा। उन्हें याद आया कि कैसे परमेश्वर ने उन्हें मिस्र की दासता से छुड़ाया था, कैसे लाल समुद्र को चीरकर उन्हें पार कराया था, और कैसे जंगल में उन्हें मन्ना और बटेर से भरपूर भोजन दिया था। फिर भी, कितनी बार उन्होंने विद्रोह किया था! कितनी बार उन्होंने मूर्तियों की पूजा करके परमेश्वर को क्रोधित किया था!

मूसा ने अपनी आवाज़ को और भी दृढ़ बनाते हुए कहा, **”परन्तु आज, यहोवा तुम्हारे साथ एक वाचा बाँध रहा है। यह केवल तुम्हारे साथ ही नहीं, बल्कि तुम्हारे बच्चों और आने वाली पीढ़ियों के साथ भी है। यह वाचा उन सबके लिए है जो यहाँ उपस्थित हैं और जो आज यहाँ नहीं हैं।”**

एक बूढ़ा व्यक्ति, जिसकी दाढ़ी सफेद हो चुकी थी, धीरे से बोला, **”हमारे पितरों ने भी वाचा तोड़ी थी। क्या हम उससे भिन्न हैं?”**

मूसा ने उसकी ओर देखा और कहा, **”सावधान रहो! कहीं ऐसा न हो कि तुममें से कोई यह सोचे कि वह शांति से रह सकता है, भले ही वह परमेश्वर की आज्ञाओं को तोड़े। यहोवा क्रोधित होगा, और उसका कोप उस व्यक्ति पर भड़क उठेगा। वह देश जो दूध और मधु की धारा बहने वाला है, उसके लिए श्रापित हो जाएगा।”**

लोगों के मन में भय समा गया। उन्होंने सुना था कि कैसे उनके पूर्वजों ने परमेश्वर को ठुकराया था और उनका अंत बुरा हुआ था।

तब मूसा ने उनसे कहा, **”भविष्य में, जब तुम्हारे बच्चे पूछेंगे कि यहोवा ने हमारे साथ ये सब बातें क्यों कीं, तो तुम उन्हें बताना कि हम मिस्र के दास थे, परन्तु यहोवा ने हमें बलवंत हाथ से छुड़ाया। उसने हमें ये आज्ञाएँ दीं ताकि हम सदैव उसके मार्ग पर चलें और जीवित रहें।”**

अंत में, मूसा ने आकाश की ओर देखकर कहा, **”आज मैं तुम्हारे सामने जीवन और मृत्यु, आशीष और श्राप रखता हूँ। यहोवा से प्रेम करो, उसकी आज्ञाओं का पालन करो, और जीवित रहो!”**

लोगों ने एक स्वर में कहा, **”हम यहोवा की वाचा का पालन करेंगे!”**

और इस प्रकार, मोआब के मैदान में, इस्राएल ने एक बार फिर अपने परमेश्वर के साथ वाचा बाँधी। परमेश्वर की उपस्थिति उनके बीच थी, और उनके हृदयों में आशा की ज्योति जगमगा उठी।

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