# **दाऊद और बतशेबा: एक विस्तृत कथा**
**(2 शमूएल 11)**
## **1. राजा दाऊद की आलस्य की घड़ी**
यरूशलेम के राजमहल में वसंत ऋतु का समय था। पेड़ों पर नए पत्ते लहलहा रहे थे, और हवा में फूलों की सुगंध फैली हुई थी। राजा दाऊद, जो सामान्यतः अपनी सेना के साथ युद्ध के मैदान में रहता था, इस बार अपने महल में ही विश्राम कर रहा था। उसकी सेना योद्धाओं के नेतृत्व में रब्बा के युद्ध में अम्मोनियों के विरुद्ध लड़ रही थी, परन्तु दाऊद ने स्वयं युद्ध में जाने का प्रयास नहीं किया।
एक शाम, जब सूर्य अस्त हो रहा था और आकाश में लालिमा छाई हुई थी, दाऊद अपने राजमहल की छत पर टहलने लगा। वहाँ से उसे नीचे एक सुंदर स्त्री स्नान करती हुई दिखाई दी। उसका सौंदर्य अद्भुत था—उसकी त्वचा चाँदी जैसी चमकदार, और उसके लंबे बाल जल की बूंदों से भीगे हुए थे। दाऊद का मन उसकी ओर आकर्षित हो गया।
## **2. बतशेबा का परिचय और पाप की शुरुआत**
दाऊद ने तुरंत अपने सेवकों से उस स्त्री के बारे में पूछताछ की। सेवकों ने बताया, “वह एलियाम की पुत्री बतशेबा है, जो हित्ती उरिय्याह की पत्नी है।”
यह जानकर भी कि वह किसी और की पत्नी है, दाऊद का हृदय उसके प्रति अभिलाषा से भर गया। उसने अपने दूतों को भेजकर बतशेबा को महल में बुलवा लिया। जब वह उसके सामने आई, तो दाऊद ने उसके साथ पाप किया। कुछ समय बाद, बतशेबा ने दाऊद को सूचना भेजी, “मैं गर्भवती हूँ।”
## **3. उरिय्याह को वापस बुलाना**
यह समाचार सुनकर दाऊद घबरा गया। उसने तुरंत अपने सेनापति योआब के पास संदेश भेजकर हित्ती उरिय्याह को युद्ध से वापस बुलवा लिया। जब उरिय्याह महल में आया, तो दाऊद ने उससे युद्ध की स्थिति के बारे में पूछा, मानो वह केवल सैन्य समाचार जानने के लिए ही उसे बुलाया गया हो। फिर उसने उरिय्याह से कहा, “अपने घर जाओ और विश्राम करो।”
परन्तु उरिय्याह एक निष्ठावान योद्धा था। उसने राजा से कहा, “जब मेरे साथी युद्ध के मैदान में तंबुओं में सो रहे हैं, तो मैं अपनी पत्नी के पास जाकर सुख भोगूँ? यह उचित नहीं है!” वह महल के द्वार पर ही सो गया।
अगले दिन दाऊद ने उसे फिर बुलवाया और उसे मदिरा पिलाई, ताकि वह नशे में अपने घर जाए। परन्तु उरिय्याह फिर भी अपने साथियों के साथ ही सोया।
## **4. उरिय्याह की हत्या की योजना**
जब दाऊद ने देखा कि उसकी चाल काम नहीं आ रही, तो उसने एक घिनौनी योजना बनाई। उसने योआब के नाम एक पत्र लिखा, जिसमें आदेश दिया गया था कि उरिय्याह को युद्ध के सबसे खतरनाक मोर्चे पर भेजा जाए, ताकि वह मारा जाए। पत्र देकर उसने उरिय्याह को ही वापस भेज दिया।
योआब ने राजा के आदेश का पालन किया। उसने उरिय्याह को उस स्थान पर रखा, जहाँ शत्रु के सबसे बड़े योद्धा थे। युद्ध में उरिय्याह वीरगति को प्राप्त हुआ।
## **5. बतशेबा से विवाह**
जब बतशेबा को पता चला कि उसका पति मर चुका है, तो उसने शोक मनाया। शोक की अवधि पूरी होने के बाद, दाऊद ने उसे अपने महल में बुलवा लिया और उससे विवाह कर लिया। कुछ समय बाद, बतशेबा ने एक पुत्र को जन्म दिया।
## **6. परमेश्वर की दृष्टि में पाप**
परन्तु यहोवा की दृष्टि में दाऊद का यह काम बुरा था। उसने न केवल व्यभिचार किया था, बल्कि एक निर्दोष व्यक्ति की हत्या का षड्यंत्र भी रचा था। परमेश्वर ने नबी नातान को दाऊद के पास भेजा, जिसने उसे एक दृष्टांत सुनाकर उसके पाप का एहसास कराया। दाऊद ने अपना अपराध स्वीकार किया, परन्तु इस पाप के परिणामस्वरूप उसके घर में कलह और संकट आया।
इस प्रकार, राजा दाऊद का यह कृत्य उसके जीवन का एक काला अध्याय बन गया, जो हमें सिखाता है कि पाप की छोटी सी शुरुआत भी विनाशकारी परिणाम ला सकती है।