**अय्यूब 34: एक न्यायी परमेश्वर की कहानी**
एक समय की बात है, जब अय्यूब अपने दुःख और पीड़ा के गहरे अंधकार में डूबा हुआ था। उसके मित्र—एलीपज, बिलदद और सोफर—उसके साथ बैठे थे, परंतु उनके शब्दों में सांत्वना के बजाय निर्णय और आरोप भरे हुए थे। तभी एक चौथा व्यक्ति, एलीहू, जो अब तक चुपचाप सुन रहा था, बोल उठा। उसने अय्यूब और उसके मित्रों को परमेश्वर के न्याय और धार्मिकता के बारे में समझाने का निश्चय किया।
### **एलीहू का उपदेश**
एलीहू ने गंभीरता से अपने शब्दों को सजाया और कहा, **”हे बुद्धिमानों, मेरी बात सुनो! हे अय्यूब, तू कान लगाकर मेरी वाणी को सुन। आओ, हम परमेश्वर के विषय में जाँच करें, क्योंकि उसका न्याय सर्वोच्च और निष्पक्ष है।”**
उसने अपनी आँखें आकाश की ओर उठाईं, जहाँ अनगिनत तारे परमेश्वर की महिमा का बखान कर रहे थे, और बोला, **”परमेश्वर सर्वशक्तिमान है, उसके सामने कौन खड़ा हो सकता है? वह प्रत्येक मनुष्य के कर्मों को जाँचता है, कोई भी बात उसकी दृष्टि से छिपी नहीं है।”**
एलीहू ने अय्यूब की ओर देखा और कहा, **”तूने कहा कि तू निर्दोष है, कि परमेश्वर ने तुझ पर अन्याय किया है। किंतु हे मनुष्य, क्या तू परमेश्वर से बड़ा है? क्या तू उसके न्याय को चुनौती देता है?”**
### **परमेश्वर का धर्मी शासन**
एलीहू ने एक गहरी साँस ली और जारी रखा, **”सुनो! परमेश्वर कभी अन्याय नहीं करता। यदि वह चाहे, तो सारे मनुष्यों का प्राण एक साथ ले सकता है, किंतु वह धैर्यवान और दयालु है। वह दुष्टों को उनके पापों के अनुसार दण्ड देता है और धर्मियों को सुरक्षा प्रदान करता है।”**
उसने एक उदाहरण देते हुए कहा, **”जब कोई अत्याचारी राजा जनता पर अंधेर करता है, तो परमेश्वर उसके पाप को देखता है। वह उसकी शक्ति को चूर-चूर कर देता है और उसे उसके अधर्म का फल देता है। परमेश्वर की आँखें निर्धन और पीड़ितों की पुकार को सुनती हैं। वह उनके आँसूओं को व्यर्थ नहीं जाने देता।”**
### **अय्यूब के प्रति चेतावनी**
एलीहू ने अय्यूब से कहा, **”हे अय्यूब, तू परमेश्वर के विरुद्ध शिकायत करता है, किंतु सावधान रह! परमेश्वर तेरे हृदय को जाँच रहा है। यदि तू सच में धर्मी है, तो उसके न्याय पर विश्वास रख। वह तेरे दुःख को देख रहा है और तुझे शुद्ध करना चाहता है।”**
उसने अपने हाथ आकाश की ओर उठाए और घोषणा की, **”परमेश्वर महान है! उसके मार्ग अगम्य हैं, उसकी बुद्धि अथाह है। मनुष्य उसके न्याय को नहीं समझ सकता, किंतु हमें उसकी इच्छा के आगे नम्र होना चाहिए।”**
### **समापन**
एलीहू के शब्दों ने वहाँ उपस्थित सभी को गहराई से छू दिया। अय्यूब ने अपनी आँखें नीची कर लीं और मन ही मन परमेश्वर के सामने अपने हृदय को तौलने लगा। एलीहू ने अंत में कहा, **”परमेश्वर न्यायी है, और वह सब कुछ ठीक करेगा। हमें केवल उस पर भरोसा रखना चाहिए।”**
और इस प्रकार, अय्यूब 34 का सन्देश हमें सिखाता है कि परमेश्वर का न्याय सही और पूर्ण है। हमें उसकी इच्छा के आगे समर्पण और विश्वास के साथ खड़े होना चाहिए, क्योंकि वही सब कुछ जानता है और सब कुछ ठीक समय पर करेगा।