पवित्र बाइबल

पवित्र पर्वत पर यहोवा की महिमा (Note: The title is under 100 characters, symbols and quotes are removed, and it captures the essence of the story based on Psalm 24.)

**भजन संहिता 24 पर आधारित एक विस्तृत कहानी**

**शीर्षक: “पवित्र पर्वत की यात्रा”**

प्राचीन समय में, यरूशलेम नगर एक पहाड़ी पर बसा हुआ था, और उसकी गोद में यहोवा का पवित्र मंदिर खड़ा था। लोग दूर-दूर से उस पवित्र स्थान पर आते थे, क्योंकि वे मानते थे कि परमेश्वर का निवास वहीं है। एक दिन, एक युवक नाम दाऊद, जो बाद में इस्राएल का महान राजा बना, परमेश्वर के सामने गहरी लालसा लेकर उस पवित्र पर्वत की ओर चल पड़ा।

उसका मन भजन संहिता 24 के वचनों से भरा हुआ था: *”पृथ्वी और उसकी संपूर्ण वस्तुएं यहोवा की हैं; संसार और उसमें रहने वाले सब लोग उसी के हैं।”* दाऊद जानता था कि सृष्टिकर्ता ही सब कुछ का स्वामी है, और उसकी महिमा के लिए ही मनुष्य का जन्म हुआ है।

रास्ते में उसने देखा कि कई लोग भी उसी पवित्र पर्वत की ओर जा रहे हैं। कुछ के हाथों में भेंट थी, कुछ प्रार्थना करते हुए चल रहे थे, और कुछ मौन थे, मानो उनके हृदय में कोई गहरा विचार चल रहा हो। दाऊद ने एक बूढ़े व्यक्ति से पूछा, “हे पिता, क्या आप भी यहोवा के दर्शन के लिए जा रहे हैं?”

बूढ़े ने मुस्कुराते हुए कहा, “हां, पुत्र। पर क्या तुम जानते हो कि वह पवित्र स्थान किसके लिए है? भजन कहता है कि *’वह कौन है जो यहोवा के पर्वत पर चढ़ सकता है? वह कौन है जो उसके पवित्र स्थान में खड़ा हो सकता है?’* केवल वही जिसके हाथ शुद्ध हैं और हृदय पवित्र।”

दाऊद ने सिर झुकाया। उसने अपने जीवन को याद किया—कभी वह चरवाहा था, कभी युद्ध में विजयी हुआ था, पर क्या उसका हृदय वास्तव में पवित्र था? उसने प्रार्थना की, “हे यहोवा, मेरे पापों को धो दे, और मुझे शुद्ध कर, ताकि मैं तेरे सामने खड़ा हो सकूं।”

जैसे-जैसे वे पर्वत के निकट पहुंचे, उन्होंने देखा कि मंदिर के द्वार पर याजक खड़े थे। याजकों ने पूछा, *”हे द्वारों, अपने सिर उठाओ; हे सनातन द्वारों, ऊंचे हो जाओ, ताकि महिमा का राजा प्रवेश करे!”*

लोगों ने पूछा, “यह महिमा का राजा कौन है?”

याजकों ने उत्तर दिया, *”यहोवा ही वह पराक्रमी योद्धा है; यहोवा ही युद्ध में शक्तिशाली है। वही महिमा का राजा है!”*

तब सभी लोगों ने आनंद से गाना शुरू किया, *”हे द्वारों, अपने सिर उठाओ; हे सनातन द्वारों, ऊंचे हो जाओ, ताकि महिमा का राजा प्रवेश करे!”*

दाऊद का हृदय आनंद से भर गया। उसने महसूस किया कि परमेश्वर न केवल उस पहाड़ पर बल्कि उसके हृदय में भी राज्य करता है। उसने अपने मन में प्रतिज्ञा की कि वह सदैव पवित्र जीवन जिएगा और यहोवा की महिमा का गुणगान करेगा।

और इस प्रकार, भजन संहिता 24 का यह सन्देश सदियों तक लोगों के हृदय में गूंजता रहा—कि यहोवा ही सब कुछ का स्वामी है, और उसके सामने खड़े होने के लिए हमें शुद्ध हाथ और पवित्र हृदय चाहिए।

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