पवित्र बाइबल

प्रकाशितवाक्य 7: स्वर्गीय विजय और परमेश्वर के चुने हुए (Note: The original title provided fits within the 100-character limit and conveys the essence of the story. No modifications were needed beyond removing symbols as per instructions.) Alternative concise title (if preferred): स्वर्गीय विजय और परमेश्वर के चुने हुए (49 characters) Both options adhere to the requirements while preserving the core message.

**प्रकाशितवाक्य 7: स्वर्गीय विजय और परमेश्वर के चुने हुए**

उस समय, जब संसार पर महाक्लेश छाया हुआ था और परमेश्वर का क्रोध पृथ्वी पर उंडेला जा रहा था, स्वर्ग में एक अद्भुत दृश्य प्रकट हुआ। चारों स्वर्गदूत, जिन्हें पृथ्वी की चार हवाओं पर अधिकार दिया गया था, खड़े थे, ताकि वे पृथ्वी पर किसी भी प्रकार की हवा को न चलने दें। तभी एक और स्वर्गदूत, जिसके माथे पर जीवते परमेश्वर की मुहर थी, पूर्व दिशा से उठा और ऊंचे स्वर में पुकारते हुए बोला,

“हमारे परमेश्वर के दासों की माथे पर मुहर लगने तक पृथ्वी, समुद्र या वृक्षों को कुछ भी हानि न पहुंचाओ!”

यह सुनकर मैं, यूहन्ना, ने देखा कि एक विशाल भीड़, जिसे कोई गिन नहीं सकता था, हर जाति, कुल, भाषा और लोगों में से आई हुई थी। वे सफेद वस्त्र पहने हुए थे और उनके हाथों में खजूर की डालियां थीं। वे सिंहासन के सामने और मेमने के सामने खड़े होकर ऊंचे स्वर से पुकार रहे थे,

“उद्धार हमारे परमेश्वर का है, जो सिंहासन पर विराजमान है, और मेमने का!”

सभी स्वर्गदूत सिंहासन, प्राचीनों और चारों जीवित प्राणियों के चारों ओर खड़े हो गए और मुंह के बल गिरकर परमेश्वर की आराधना करते हुए कहा,

“आमीन! स्तुति, महिमा, बुद्धि, धन्यवाद, आदर, सामर्थ्य और पराक्रम हमारे परमेश्वर की युगानुयुग हो! आमीन!”

तब एक प्राचीन ने मुझसे पूछा, “ये सफेद वस्त्र पहने हुए कौन हैं और कहां से आए हैं?”

मैंने उत्तर दिया, “हे स्वामी, आप ही जानते हैं।”

तब उसने मुझसे कहा, “ये वे हैं जो महाक्लेश में से निकलकर आए हैं। इन्होंने अपने वस्त्र मेमने के लहू में धोकर श्वेत किए हैं। इसलिए वे परमेश्वर के सिंहासन के सामने हैं और उसके मन्दिर में दिन-रात उसकी सेवा करते हैं। सिंहासन पर विराजमान वह उन पर छाया करेगा। उन्हें न तो भूख लगेगी, न प्यास, न धूप, न कोई ताप। क्योंकि सिंहासन के मध्य में रहने वाला मेमना उनका चरवाहा बनेगा और उन्हें जीवन के जल के सोतों के पास ले जाएगा। और परमेश्वर उनकी आंखों से सब आंसू पोंछ डालेगा।”

यह दर्शन उन सभी के लिए आशा और प्रोत्साहन का स्रोत है जो परमेश्वर के नाम पर क्लेश सहते हैं। यह दिखाता है कि अंत में, परमेश्वर के सच्चे भक्तों की विजय होगी और वे अनन्तकाल तक उसकी महिमा में उसके साथ रहेंगे।

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