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**1 इतिहास 15: राजा दाऊद और परमेश्वर के सन्दूक की विजयी वापसी**
उन दिनों, जब राजा दाऊद ने यरूशलेम में अपना महल बना लिया और फिलिस्तीनियों से विजय प्राप्त की, तो उसका मन परमेश्वर के सन्दूक के लिए व्याकुल हो उठा। वर्षों पहले, शिलोह से सन्दूक को लाने का प्रयास किया गया था, परन्तु उज्जा की मृत्यु के कारण वह योजना असफल रही थी। अब दाऊद ने ठान लिया कि सन्दूक को यरूशलेम लाना ही होगा, पर इस बार परमेश्वर के नियमों के अनुसार।
### **दाऊद का निर्णय और लेवियों की तैयारी**
राजा दाऊद ने हारून के वंश के याजकों और लेवियों को इकट्ठा किया। उसने उनसे कहा, “तुम ही परमेश्वर के सन्दूक को उठाने के योग्य हो, क्योंकि यहोवा ने तुम्हें इसी काम के लिए चुना है। पहले की भूल को दोहराना नहीं है। इस बार सब कुछ व्यवस्था के अनुसार होगा।”
लेवियों के तीन प्रमुख परिवार—कहात, मरारी, और गेर्शोन—तैयार हुए। उनमें से उब्बेद-एदोम, अहिय्याह, और योएल जैसे प्रमुख पुरुषों को चुना गया। दाऊद ने आज्ञा दी, “तुम अपने-अपने भाइयों के साथ पवित्र कपड़े पहनकर सन्दूक को कंधे पर उठाओ, जैसा मूसा की व्यवस्था में लिखा है।”
### **संगीत और आनन्द का महासमारोह**
दाऊद ने समझा कि परमेश्वर की उपस्थिति में आनन्द और भक्ति का संगीत आवश्यक है। उसने आसाप, हेमान, और यदूथून को बुलाया, जो उस समय के महान संगीतकार और भजन-रचयिता थे। उन्होंने झांझ, वीणा, सारंगी, और तुरहियों के साथ एक विशाल वाद्य-मंडल तैयार किया।
लेवीयों ने सन्दूक को उब्बेद-एदोम के घर से सावधानी से उठाया। जैसे ही वे आगे बढ़े, राजा दाऊद और सभी इस्राएलियों ने पूरे मन से गीत गाए और नृत्य किया। वातावरण आनन्द और भक्ति से गूंज उठा। दाऊद स्वयं भी परमेश्वर के सामने इतना आनन्दित हुआ कि वह साधारण लिनन का एपोद पहनकर उछल-उछलकर नाचने लगा।
### **मीकल की नाराज़गी और दाऊद का उत्तर**
लेकिन जब सन्दूक यरूशलेम पहुँचा, तो दाऊद की पत्नी मीकल, जो शाऊल की बेटी थी, ने खिड़की से देखा कि दाऊद कैसे साधारण लोगों की तरह नाच रहा है। उसके मन में घृणा भर गई। जब दाऊद घर लौटा, तो मीकल ने उसका उपहास करते हुए कहा, “क्या इस्राएल का राजा आज अच्छा लगा, जब तू नौकरों के सामने बेपरवाही से नाच रहा था?”
दाऊद ने गंभीरता से उत्तर दिया, “मैं तो यहोवा के सामने नाचा था! उसी ने मुझे तेरे पिता और उसके पूरे परिवार से ऊपर चुना है। मैं और भी नीचा होकर उसकी सेवा करूंगा, और लोग मुझे इसी रूप में जानेंगे।”
### **सन्दूक का स्थापन और बलिदान**
अंत में, सन्दूक को एक विशेष तम्बू में रखा गया, जिसे दाऊद ने इसके लिए तैयार किया था। लेवियों ने होमबलि और मेलबलि चढ़ाए, और दाऊद ने सारे लोगों को आशीर्वाद दिया। उस दिन, इस्राएल में बड़ा आनन्द मनाया गया, और हर घर में परमेश्वर की महिमा की चर्चा हुई।
इस प्रकार, दाऊद ने सिखाया कि परमेश्वर की सेवा उसके नियमों के अनुसार, पूरे हृदय और आनन्द के साथ करनी चाहिए। यह घटना इस्राएल के इतिहास में एक स्वर्णिम अध्याय बन गई, जहाँ राजा और प्रजा दोनों ने मिलकर यहोवा की महिमा का गुणगान किया।