पवित्र बाइबल

पवित्र पर्वत पर यहोवा का राज्य (Note: The title is within 100 characters, symbols and quotes are removed, and it captures the essence of the story based on Psalm 99.)

**भजन संहिता 99 पर आधारित एक विस्तृत कहानी**

**पवित्र पर्वत पर प्रभु का राज्य**

प्राचीन काल में, जब पृथ्वी अंधकार से घिरी हुई थी और लोग अपने पापों में डूबे हुए थे, तब स्वर्ग के सिंहासन पर प्रभु यहोवा सर्वशक्तिमान राज्य कर रहे थे। उनका सिंहासन करूबों से घिरा हुआ था, और उनकी महिमा से आकाश गूंज उठता था। वह पवित्र थे, अद्वितीय थे, और सारी सृष्टि उनके सामने कांप उठती थी।

एक दिन, परमेश्वर ने अपनी इच्छा प्रकट की कि वह पृथ्वी पर अपने न्याय और धार्मिकता को स्थापित करें। उन्होंने अपने सेवक मूसा, हारून और शमूएल को बुलाया, जो उनके विश्वासयोग्य सेवक थे। ये वे पुरुष थे जिन्होंने प्रभु के नाम से प्रार्थना की थी और उनकी आज्ञाओं का पालन किया था।

**सीनै पर्वत पर प्रकट हुए प्रभु**

परमेश्वर ने सीनै पर्वत को चुना, जो ऊंचा और पवित्र था, अपनी उपस्थिति प्रकट करने के लिए। जब वह उतरे, तो पहाड़ धधकने लगा, आकाश में बिजली चमक उठी, और भूमि कांपने लगी। मूसा ने देखा कि बादलों में से प्रभु की ज्योति फूट रही है, और उनकी आवाज गर्जन के समय गूंजी, *”मैं यहोवा तुम्हारा परमेश्वर हूं, पवित्र हूं। मेरी आराधना डरते हुए करो, और मेरे न्याय के सामने झुको।”*

लोगों ने पर्वत के नीचे खड़े होकर यह दृश्य देखा और भय से कांप उठे। हारून ने उन्हें शांत किया और कहा, *”डरो मत, परन्तु प्रभु की पवित्रता को समझो। वह हमारे पापों को क्षमा करने वाले हैं, यदि हम उनकी ओर मुड़ें।”*

**प्रार्थना और उत्तर**

शमूएल, जो प्रभु के सम्मुख निरंतर प्रार्थना करता था, ने लोगों के लिए बलिदान चढ़ाया। धूप की सुगंध आकाश तक पहुंची, और प्रभु ने उसकी प्रार्थना सुनी। उन्होंने अपनी दया दिखाई और लोगों के पापों को ढक दिया। फिर, एक गंभीर स्वर में, परमेश्वर ने आज्ञा दी:

*”मेरी व्यवस्था का पालन करो, मेरे मार्गों पर चलो। मैं तुम्हारा परमेश्वर हूं, और तुम मेरी प्रजा हो। यदि तुम मेरी आज्ञा मानोगे, तो मैं तुम्हें आशीष दूंगा और तुम्हारे शत्रुओं से बचाऊंगा।”*

**धार्मिकता और न्याय की स्थापना**

प्रभु ने अपने न्याय से दुष्टों को दंडित किया और धर्मी को सुरक्षा दी। उन्होंने राजाओं और प्रजा को समान रूप से अपने नियमों के सामने झुकने को कहा। उनकी धार्मिकता सूर्य के प्रकाश के समान प्रकट हुई, और सारी पृथ्वी ने देखा कि यहोवा ही सच्चा परमेश्वर है।

जो लोग उनके नाम से डरते थे, उन्हें उन्होंने महान आशीषें दीं। मूसा, हारून और शमूएल जैसे विश्वासियों को उन्होंने अपनी सेवा के लिए चुना, और उनके माध्यम से अपनी इच्छा प्रकट की।

**उपसंहार: सर्वत्र प्रभु की महिमा**

आज भी, जब कोई प्रभु की पवित्रता को याद करता है और उनके सामने नम्र होकर प्रार्थना करता है, तो वह उसकी सुनता है। वह पवित्र है, शक्तिशाली है, और उसका राज्य सदा बना रहेगा। इसलिए, हम सब उसकी स्तुति करें, उसके नाम को पवित्र मानें, और उसकी धार्मिकता के सामने झुकें।

*”यहोवा हमारा परमेश्वर पवित्र है!”*

LEAVE A RESPONSE

आपका ईमेल पता प्रकाशित नहीं किया जाएगा. आवश्यक फ़ील्ड चिह्नित हैं *