पवित्र बाइबल

बुद्धिमान और मूर्ख की कहानी: परिश्रम का महत्व

**कहानी: बुद्धिमान और मूर्ख का चुनाव**

एक समय की बात है, यरूशलेम के पास एक छोटे से गाँव में दो युवक रहते थे—एलिय्याह और योशिय्याह। दोनों एक ही उम्र के थे, एक ही गाँव में पले-बढ़े थे, पर उनके जीवन के रास्ते बिल्कुल अलग थे। एलिय्याह बुद्धिमान और परमेश्वर के वचन को मानने वाला था, जबकि योशिय्याह हठीला और अपनी इच्छाओं के पीछे भागने वाला।

एक दिन, गाँव के बुजुर्गों ने सभा बुलाई और कहा, *”हमारे गाँव में अकाल पड़ रहा है। जो बुद्धिमान है, वह अपने भविष्य के लिए अभी से तैयारी करे।”* एलिय्याह ने नीतिवचन 13:4 की बात सुनी थी—*”आलसी मनुष्य तो चाहता है, पर उसका मन कुछ पाता नहीं; परन्तु परिश्रमी मनुष्य का मन सम्पन्न हो जाता है।”* उसने तुरंत काम शुरू कर दिया। वह प्रतिदिन सुबह उठकर खेतों में जाता, बीज बोता, पानी देता और फसल की देखभाल करता। उसके हाथों में छाले पड़ गए, पर वह नहीं रुका।

लेकिन योशिय्याह हँसता और कहता, *”क्यों इतनी मेहनत करते हो? परमेश्वर हमें देखभाल करेगा!”* वह दिन भर आराम करता, दोस्तों के साथ समय बर्बाद करता और अपने पिता के धन पर निर्भर रहता। उसने नीतिवचन 13:18 की चेतावनी को नज़रअंदाज़ कर दिया—*”जो अनुशासन से घृणा करता है, वह निर्धन और अपमानित होता है; परन्तु जो डाँट को मानता है, उसकी प्रतिष्ठा बढ़ती है।”*

कुछ महीनों बाद, अकाल ने गाँव को जकड़ लिया। एलिय्याह के खेतों में भरपूर फसल हुई, क्योंकि उसने समय रहते तैयारी की थी। उसने न केवल अपने परिवार के लिए अनाज इकट्ठा किया, बल्कि गाँव के जरूरतमंदों को भी बाँटा। लोग उसकी बुद्धिमानी की प्रशंसा करते थे।

लेकिन योशिय्याह के पास कुछ भी नहीं था। उसने अपने पिता का धन बर्बाद कर दिया था। भूख से व्याकुल होकर, वह एलिय्याह के पास गया और बोला, *”मुझे कुछ खाने को दे दो।”* एलिय्याह ने उसे अनाज दिया, पर साथ ही समझाया, *”योशिय्याह, परमेश्वर का वचन कहता है कि जो अपने पापों से पश्चाताप नहीं करता, वह दुःख पाता है। तूने मेहनत से भागकर अपना नुकसान किया है।”*

योशिय्याह ने अपनी गलती मानी और एलिय्याह से कहा, *”अब से मैं भी परिश्रम करूँगा और परमेश्वर की आज्ञाओं को मानूँगा।”* एलिय्याह ने उसे अपने साथ काम करने का मौका दिया। धीरे-धीरे, योशिय्याह ने भी बुद्धिमानी से काम करना सीखा।

गाँव वालों ने देखा कि नीतिवचन 13:20 सच है—*”जो बुद्धिमानों के संग चलता है, वह बुद्धिमान होता है; परन्तु जो मूर्खों का साथी है, उसका अहित होता है।”* एलिय्याह और योशिय्याह की कहानी सुनकर, सभी ने समझा कि परमेश्वर का वचन ही सच्ची मार्गदर्शिका है।

**सीख:**
1. **परिश्रम और बुद्धिमानी** आशीष लाते हैं (नीतिवचन 13:4)।
2. **अनुशासन और सीख** ग्रहण करने से जीवन सुधरता है (नीतिवचन 13:18)।
3. **अच्छे संगति** का चुनाव हमें सफल बनाता है (नीतिवचन 13:20)।

इस प्रकार, एलिय्याह और योशिय्याह की कहानी हमें सिखाती है कि परमेश्वर के वचन का पालन करने वाला ही सच्चा जीवन जीता है।

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