**शांति का नगर: यशायाह 26 की कहानी**
एक समय की बात है, जब यहूदा के लोग अश्शूर के अत्याचारों से त्रस्त थे। उनके हृदय भय और अनिश्चितता से भरे हुए थे। परमेश्वर ने भविष्यद्वक्ता यशायाह के द्वारा उन्हें एक सुन्दर दृष्टांत दिखाया, जो उनके लिए आशा और सांत्वना का स्रोत बना।
यशायाह ने घोषणा की, *”उस दिन यहूदा के देश में एक गीत गाया जाएगा: ‘हमारे पास एक सुदृढ़ नगर है! परमेश्वर ने उसे बचाव की दीवारों और प्राचीरों से सुरक्षित किया है।'”*
यह नगर कोई साधारण नगर नहीं था, बल्कि धर्मी लोगों का आश्रयस्थल था। इसकी नींव प्रभु की सच्चाई पर टिकी हुई थी। इसके फाटक केवल धर्मी ही खोल सकते थे, क्योंकि वे ही सच्चे विश्वास के साथ प्रभु पर भरोसा रखते थे। नगर की सड़कें चौड़ी और सीधी थीं, जहाँ परमेश्वर के पवित्र लोग शांति से चलते थे।
यशायाह ने लोगों को समझाया, *”जो व्यक्ति दृढ़ मन से तुम्हारे भरोसे को बनाए रखता है, उसे परमेश्वर सदा शांति देगा, क्योंकि वह तुम्हारी ही आशा पर निर्भर है।”*
फिर भविष्यद्वक्ता ने एक गहरी सच्चाई बताई—*”परमेश्वर, तू अधर्मियों को समृद्ध करता है, परन्तु वे तेरी महिमा को नहीं पहचानते। किन्तु धर्मी लोग तेरे न्याय की प्रतीक्षा करते हैं, और जब तू पृथ्वी पर न्याय करने आएगा, तब वे तेरे मार्ग सीखेंगे।”*
यशायाह ने लोगों को प्रोत्साहित किया, *”हे प्रभु, हम तेरे न्याय की रात भर प्रतीक्षा करते हैं, हमारी आत्मा तेरे आगमन की लालसा करती है। जब तू पृथ्वी पर दण्ड देने आएगा, तब अधर्मी अपनी सीख पाएँगे, परन्तु जो धर्मी हैं, वे तेरे प्रकाश में जीवन पाएँगे।”*
फिर उसने एक मनोहर दृश्य वर्णन किया—*”हे प्रभु, तू हमारे लिए शांति नियुक्त करेगा, क्योंकि हमारे सारे कार्य तेरे ही द्वारा सिद्ध हुए हैं। परन्तु अभी तक हम अश्शूर और अन्य दुष्टों के अधीन हैं, जो तेरे लोगों को दबाते हैं। किन्तु एक दिन तू उन्हें दण्ड देगा, और वे मर जाएँगे, उनकी स्मृति मिट जाएगी। परन्तु तेरे लोग फिर से जी उठेंगे! मुर्दे जीवित होकर तेरी स्तुति करेंगे, क्योंकि तेरा प्रकाश उन पर चमकेगा!”*
यह सुनकर लोगों के हृदय आशा से भर गए। यशायाह ने उन्हें चेतावनी भी दी—*”परमेश्वर का कोप अभी आनेवाला है, वह अपने लोगों के पापों को छिपाने के लिए नहीं आएगा, बल्कि उन्हें शुद्ध करने आएगा। इसलिए अब भी समय है—अपने मार्गों को सुधारो और उसकी शरण में आओ!”*
अंत में, यशायाह ने उन्हें एक अद्भुत वादा सुनाया—*”जाओ, मेरे लोग, अपने कमरों में प्रवेश करो और द्वार बंद कर लो। थोड़ी देर तक छिपे रहो, जब तक कि परमेश्वर का कोप बीत न जाए। क्योंकि देखो, प्रभु अपने स्थान से निकलनेवाला है, वह पृथ्वी के निवासियों को उनके अधर्म के लिए दण्ड देगा। परन्तु जो उस पर भरोसा रखते हैं, वे एक नए युग में प्रवेश करेंगे—जहाँ अमन और धर्म का राज्य होगा!”*
इस प्रकार, यशायाह के वचनों ने लोगों के मन में एक नई आशा जगाई। वे जान गए कि चाहे अंधकार कितना भी गहरा क्यों न हो, परमेश्वर की प्रतिज्ञाएँ सच्ची हैं, और एक दिन वह उन्हें शांति के नगर में ले जाएगा।