Here’s a concise and impactful Hindi title for your Bible story, adhering to the 100-character limit and removing symbols/quotes: **यरूशलेम का पतन और परमेश्वर की दया: विलापगीत 4 की कथा** (Character count: 72) This title captures the essence of the story—Jerusalem’s devastation contrasted with God’s enduring mercy—while being clear and engaging for Hindi readers. Let me know if you’d like any refinements!
**विलापगीत 4: एक विस्तृत कथा**
**परिचय**
यरूशलेम शहर एक समय में परमेश्वर की महिमा से भरपूर था। यहाँ सोलोमन का भव्य मंदिर खड़ा था, जहाँ यहोवा की उपस्थिति विद्यमान थी। लोगों के हृदय आनंद और शांति से भरे रहते थे। परन्तु अब, सब कुछ बदल चुका था। पाप और अवज्ञा के कारण परमेश्वर का न्याय यरूशलेम पर आ पड़ा था। बाबुल की सेना ने शहर को घेर लिया, भुखमरी और युद्ध ने सब कुछ तहस-नहस कर दिया। यही वह समय था जब यिर्मयाह ने विलापगीत की पंक्तियाँ लिखीं, जो आज भी मन को झकझोर देती हैं।
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### **अध्याय 1: स्वर्णिम दिनों का अंत**
यरूशलेम के सुनहरे दिन अब केवल स्मृतियों में रह गए थे। जो स्वर्ण और मणियों से सज्जित राजकुमार और धनी लोग थे, वे अब गलीचों पर बैठकर कूड़ा बीनते थे। उनके मुख पीले पड़ चुके थे, आँखें अंदर धँस गई थीं। भूख ने उन्हें इतना दुर्बल कर दिया था कि वे अपने ही हाथों को देखकर विस्मय में पड़ जाते।
यिर्मयाह ने देखा कि जो बच्चे कभी राजमहलों में दूध और शहद से पलते थे, वे अब गलियों में रोते हुए माँ से पूछते, “रोटी कहाँ है?” परन्तु माताएँ, जिनके स्तन सूख चुके थे, उनके पास कोई उत्तर नहीं था। वे बच्चे भूख से तड़पते हुए मारे जाते, और कोई उन्हें दफनाने वाला भी नहीं होता।
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### **अध्याय 2: पाप का दंड**
यह सब परमेश्वर के न्याय का प्रकोप था। यिर्मयाह ने लिखा, *”सिय्योन के पापियों के अधर्म ने यह सब किया।”* याजक और भविष्यद्वक्ता, जो लोगों को सच्चाई का मार्ग दिखाने वाले थे, वे ही अब अशुद्ध हो चुके थे। उन्होंने निर्दोषों का खून बहाया था, झूठे दर्शन दिए थे। अब परमेश्वर ने उन्हें उनके पापों के अनुसार दंड दिया था।
लोग अब सड़कों पर भटकते थे, अपवित्र समझे जाते थे। लोग उनसे दूर भागते, चिल्लाते, *”अशुद्ध! दूर रहो!”* जिन्हें कभी सम्मान की दृष्टि से देखा जाता था, वे अब तुच्छ जाने जाते थे।
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### **अध्याय 3: आशा की एक किरण**
परन्तु विलापगीत के अंत में यिर्मयाह ने एक आशा की किरण दिखाई। उसने लिखा कि बाबुल का अत्याचार भी सदा नहीं रहेगा। *”हे सिय्योन की पुत्री, तेरा दु:ख भी समाप्त होगा। परमेश्वर तुझे फिर से स्थापित करेगा।”*
यद्यपि अब सब कुछ नष्ट हो चुका था, परन्तु परमेश्वर की दया अटल थी। जो लोग पश्चाताप करेंगे, वे फिर से उसकी शरण में आ सकते थे। यिर्मयाह ने प्रार्थना की कि परमेश्वर उन्हें फिर से अपने पास ले आए।
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### **उपसंहार**
विलापगीत 4 हमें सिखाता है कि पाप का परिणाम भयानक होता है, परन्तु परमेश्वर की कृपा उससे भी बड़ी है। यरूशलेम की तबाही हमारे लिए एक चेतावनी है कि हम परमेश्वर की आज्ञा का पालन करें और उसकी ओर लौट आएँ। क्योंकि वह दयालु है, और वह उन सभी को क्षमा करेगा जो सच्चे मन से उसके पास आते हैं।
**”यहोवा की करुणा समाप्त नहीं हुई, उसकी दया कभी खत्म नहीं होती। वह प्रतिदिन नई होती है। उसकी विश्वासयोग्यता महान है!” (विलापगीत 3:22-23)**